राम जेठमलानी का निधन: सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में अमित शाह की थी पैरवी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 8, 2019 11:46 AM2019-09-08T11:46:17+5:302019-09-08T11:51:01+5:30
बहुचर्चित केस सोहराबुद्दीन एकाउंटर मामले में राम जेठमलानी ने अमित शाह की पैरवी की थी। इसके बाद सीबीआई कोर्ट ने अमित शाह समेत 16 लोगों को बरी कर दिया था। बरी किए गए लोगों में भारतीय जनता पार्टी के अमित शाह (तत्कालीन गृह मंत्री), पुलिस अफसर डी. जी. बंजारा जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
देश के जाने माने वकील राम जेठमलानी का रविवार (8 सितंबर) को निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। जेठमलानी ने नयी दिल्ली में अपने आधिकारिक आवास में सुबह पौने आठ बजे अंतिम सांस ली। संन्यास लेने से पहले उनका शुमार भारत के सबसे महंगे वकीलों में होता था। राम जेठमलानी अपनी एक सुनवाई के लिए 25 लाख और उससे ज्यादा फीस चार्ज करते हैं। इसके साथ ही इन्होंने अपनी वकालत के दौरान कई हाई प्रोफाइल केस हैंडल किया।
बहुचर्चित केस सोहराबुद्दीन एकाउंटर मामले में राम जेठमलानी ने अमित शाह की पैरवी की थी। इसके बाद सीबीआई कोर्ट ने अमित शाह समेत 16 लोगों को बरी कर दिया था। बरी किए गए लोगों में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह (तत्कालीन गृह मंत्री), पुलिस अफसर डी. जी. बंजारा जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
क्या था सोहराबुद्दीन एनकाउंटर
सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर 2005 में हुआ था। इस मामले की जांच गुजरात में चल रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि गुजरात में इस केस को प्रभावित किया जा रहा है, इसलिए 2012 में इसे मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया था।
बीजेपी से था गहरा नाता
दिग्गज वकील होने के साथ-साथ ही जेठमलानी राजनीति में काफी सक्रिय रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से उनका गहरा नाता रहा है। 1998 में एनडीए की सरकार में वे अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं। हालांकि, उन्हें कैबिनेट से निकाल दिया गया था।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि लालकृष्ण आडवाणी से नजदीकी के चलते उन्हें वाजेपयी कैबिनेट में शामिल किया गया था। अटल जेठमलानी को ज्यादा पसंद नहीं करते थे। पूर्व पीएम वाजपेयी उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल नहीं करना चाहते थे। हालांकि 1999 में जेठमलानी को कानून मंत्री बनाया गया। लेकिन कुछ महीनों बाद ही भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश और अटॉर्नी-जनरल से विवादों के चलते उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया। उनकी जगह वाजपेयी सरकार में दिवंगत बीजेपी नेता अरुण जेटली ने ली थी।
कैबिनेट से निकाले जाने के बाद जेठमलानी इतने खफा हुए कि उन्होंने लोकसभा चुनाव 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी के खिलाफ लखनऊ से चुनाव लड़ा। निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरे जेठमलानी को सिर्फ 57000 वोट मिले।