क्या आश्रितों को मिलने वाली मृत्यु क्षतिपूर्ति को आय माना जा सकता है और क्या यह आयकर अधिनियम के तहत कर योग्य है, गुजरात उच्च न्यायालय ने पूछा 

By भाषा | Published: March 8, 2022 05:29 PM2022-03-08T17:29:57+5:302022-03-08T21:59:12+5:30

न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति निशा ठाकुर की खंडपीठ ने आयकर विभाग से सवाल किया कि क्या मुआवजे के रूप में मिली राशि को कानून के तहत कर योग्य आय कहा जा सकता है।

Death compensation taxable IT dept seeks time respond Income Tax Act Gujarat High Court asked | क्या आश्रितों को मिलने वाली मृत्यु क्षतिपूर्ति को आय माना जा सकता है और क्या यह आयकर अधिनियम के तहत कर योग्य है, गुजरात उच्च न्यायालय ने पूछा 

पिछले साल इस मामले को दोबारा खोल दिया गया, जिसके बाद दलाल ने उच्च न्यायालय का रुख किया। 

Highlightsमामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी।20 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति का मामला है।वर्ष 2014-15 के लिए दाखिल कर रिटर्न में आय के रूप में नहीं दिखाया।

अहमदाबादः गुजरात उच्च न्यायालय ने आयकर विभाग से पूछा है कि क्या आश्रितों को मिलने वाली मृत्यु क्षतिपूर्ति को आय माना जा सकता है और क्या यह आयकर अधिनियम के तहत कर योग्य है। अदालत 1986 में पैन अमेरिकन वर्ल्ड एयरवेज की उड़ान के अपहरण के दौरान मारी गई एक महिला के पति द्वारा दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई कर रही थी।

न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति निशा ठाकुर की खंडपीठ ने आयकर विभाग से सवाल किया कि क्या मुआवजे के रूप में मिली राशि को कानून के तहत कर योग्य आय कहा जा सकता है। अदालत ने पूछा, ‘‘आपका मुख्य तर्क यह है कि मुआवजा आय नहीं है और इस पर कर नहीं लगाया जा सकता ... हम सहानुभूति के पक्ष पर नहीं जाएंगे, लेकिन यह विचार योग्य है कि मुआवजे के रूप में जो कुछ मिला है, क्या हम उसे कर योग्य आय कह सकते हैं?’’ इस मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी।

याचिकाकर्ता कल्पेश दलाल ने 20 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति पर आयकर भुगतान के लिए आयकर विभाग से नोटिस मिलने पर अदालत में अपील की थी। दलाल की पत्नी तृप्ति 1986 में मुंबई से न्यूयॉर्क जा रही उस उड़ान में सवार थीं, जिसे अपहरणकर्ताओं ने कराची में उतरने को मजबूर किया।

न्यूयॉर्क की एक अदालत ने 2013-14 और 2014-15 के बीच दलाल को 20 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया, लेकिन उन्होंने उसे आकलन वर्ष 2014-15 के लिए दाखिल कर रिटर्न में आय के रूप में नहीं दिखाया। आयकर विभाग ने पहली बार 2014 में याचिकाकर्ता को समन जारी किया था और पिछले साल इस मामले को दोबारा खोल दिया गया, जिसके बाद दलाल ने उच्च न्यायालय का रुख किया। 

Web Title: Death compensation taxable IT dept seeks time respond Income Tax Act Gujarat High Court asked

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