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नृत्य इतिहासकार सुनील कोठारी का निधन, एक महीने पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे

By भाषा | Updated: December 27, 2020 15:54 IST

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नयी दिल्ली, 27 दिसंबर पद्मश्री से सम्मानित नृत्य इतिहासकार एवं आलोचक सुनील कोठारी का दिल का दौरा पड़ने से यहां के एक अस्पताल में रविवार सुबह हो गया। एक महीना पहले वह कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे।

वह 87 वर्ष के थे।

उनके परिवार की मित्र एवं नृत्यांगना विधा लाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘एक महीने पहले वह कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे और उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं था।’’

उन्होंने बताया कि नृत्य इतिहासकार एशियन गेम्स विलेज में स्थित अपने घर पर थे और स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे, लेकिन आज सुबह दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

कोठारी का जन्म 20 दिसंबर 1933 को मुंबई में हुआ था और भारतीय नृत्य कलाओं की शिक्षा लेने से पहले वह चार्टर्ड अकाउंटेंट थे।

कोठारी ने भरतनाट्यम, ओडिसी, छऊ, कथक समेत अन्य भारतीय नृत्य कलाओं पर 20 से ज्यादा किताबें लिखी हैं। उन्हें 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्हें गुजरात संगीत नाटक अकादमी ने 2000 में गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया था। उन्होंने उदय शंकर और रूक्मिणी देवी अरूंडेल की फोटो जीवनी पर भी काम किया था।

नृत्यांगना और लंबे समय से उनसे जुड़ी रहीं अनीता रत्नम ने कहा कि उनमें गजब का उत्साह था।

कोठारी की उनसे मुलाकात 1970 में चेन्नई में एक नृत्य कार्यक्रम में हुई थी, जब वह किशोरी थीं।

रत्नम ने बताया, ‘‘प्रदर्शन के बाद वह स्टेज के पिछले हिस्से में आए और मुझे देखकर कहा, ‘अप्सरा।’ वह सिर्फ नृत्य देखने नहीं आते थे, वह रिहर्सल के लिए भी आते थे, वहां मौजूद हर शख्स से बात करते थे, वह पूरी प्रक्रिया को जानना चाहते थे। वह बहुत महत्वपूर्ण नृत्य भाव-भंगिमा का हिस्सा होते थे।’’

कोठारी ने रबिंद्र भारती विश्वविद्यालय में उदय शंकर चेयर का नेतृत्व किया और फुलब्राइट प्रोफेसर के तौर पर न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में नृत्य विभाग में पढ़ाया भी।

उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया जिसमें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1995), गुजरात संगीत नाटक अकादमी का गौरव पुरस्कार (2000), पद्म श्री (2001) और अमेरिका में 2011 में डांस क्रिटिक्स एसोसिएशन, न्यूयॉर्क का ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार शामिल है।

कोठारी उन 27 कलाकारों में शामिल थे, जिन्हें नवंबर में सरकार द्वारा आवंटित घर 31 दिसंबर तक छोड़ने के लिए नोटिस जारी किया गया था।

नृत्य इतिहासकार ने कहा था कि ‘‘निकाले जाने’’ का नोटिस दिए जाने से वह ‘‘अपमानित’’ महसूस कर रहे हैं।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था, ‘‘मैं पद्म श्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता हूं। मैंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य पर कई किताबें लिखी हैं और कई समितियों का हिस्सा रहा हूं और मेरी सरकार बदले में मुझे यह दे रही है।’’

उन्होंने कहा था, ‘‘मैं बहुत अपमानित महसूस कर रहा हूं कि इस समय मुझे ‘निकल जाने’ का नोटिस भेजा गया है और मुझे उस स्थान को छोड़ने के लिए कहा जा रहा है, जो पिछले 20 वर्षों से मेरा घर है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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