मुंबई में भीड़ कम करने संबंधी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की टिप्पणी पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने सोमवार को कहा कि अगर उत्तर प्रदेश और बिहार में पुणे और मुंबई जैसे स्मार्ट शहर बना लिए जाएं तो देश की आर्थिक राजधानी का जनसंख्या घनत्व अपने आप कम हो जाएगा। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में दावा किया गया है कि लॉकडाउन के दौरान अपने गृह प्रदेशों को गए करीब 1.50 लाख प्रवासी मजदूर महाराष्ट्र लौट आए हैं क्योंकि उनके पास वहां “कोई काम नहीं है।”
इसमें यह भी दावा किया गया कि मुंबई देश के राजकोष में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है लेकिन कोविड-19 के खिलाफ जंग में उसे “केंद्र से उचित आर्थिक सहायता नहीं प्राप्त हुई।” गडकरी ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों का संदर्भ देते हुए पिछले महीने कहा था कि मुंबई से भीड़ कम करने की जरूरत है क्योंकि घनी आबादी वाला यह शहर “विनाशकारी परिणामों” का सामना कर रहा है।
इसके जवाब में शिवसेना ने सोमवार को कहा, “अगर आप उत्तर प्रदेश और बिहार में मुंबई और पुणे जैसे स्मार्ट शहर बना लें तो इन दोनों शहरों का जनसंख्या घनत्व अपने आप कम हो जोगा। पहले उन राज्यों में रोजगार पैदा करना होगा।” मराठी दैनिक ने कहा कि अगर ये राज्य ज्यादा से ज्यादा अवसंरचाएं खड़ी करें तो गडकरी की चिंता का अपने आप समाधान हो जाएगा। इसने कहा, “करीब 1.50 लाख प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के दौरान फिर महाराष्ट्र लौट आए हैं। उनके गृह राज्यों में उनके लिए कोई रोजगार नहीं है। इसका कारण यह है कि उन राज्यों में विकास अब तक नहीं पहुंचा है।”
उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने कहा, “करीब तीन लाख लोग पुणे से गए और अब उन्होंने वापस आना शुरू कर दिया है। इसी कारण मुंबई और पुणे पर बोझ बढ़ रहा है।” इसने कहा, “यह साफ तौर पर दिखाता है कि कोरोना वायरस के खतरे से ऊपर भूख का खतरा है। लोग जोखिम लेने के लिए तैयार हैं और नौकरी की तलाश में सफर कर रहे हैं।