और साल भर का राशन जमा कर लेते हैं भोपाल में बोटिंग कराने वाले, लॉकडाउन ने छीन लिया सबकुछ...

By अजीत कुमार सिंह | Published: May 26, 2020 03:05 PM2020-05-26T15:05:41+5:302020-05-26T15:33:44+5:30

लॉकडाउन में भोपाल में ऊपरी झील के पास बोटिंग कराने वाले 250 परिवारों का बुरा हाल है। केवट समाज के बोट मालिक ने कहा कि इन्हीं दो महीनों में साल भर का राशन जमा करते थे."

Covid 19 Lockdown: Boat owners near Upper Lake in Bhopal Struggling for daily need amid lockdown, 250 families affected. | और साल भर का राशन जमा कर लेते हैं भोपाल में बोटिंग कराने वाले, लॉकडाउन ने छीन लिया सबकुछ...

इलाका वीरान है. कुछ बत्तख हैं, खाली नावें हैं, पंछी चहचहा रहे हैं लेकिन ये सब देखने के लिए पर्यटक नहीं हैं. फोटो-ANI

Highlightsरंग बिरंगी ये बोट पानी की लहरों के साथ हिचकोले तो लेती है लेकिन सैलानियों बिना इनकी रफ्तार थमी हुई हैं. झील के पानी पर पंछी भी करतब दिखाते लगते हैं जैसे उन्हें भी किसी का इंतज़ार हो.

भोपालः भोपाल में सुबह का वक्त है. भोपाल की ऊपरी झील के ऊपर सूरज आसमान में अभी ताज़ा उगा है. सूरज की किरणें झील के पानी में जैसे सिंदूर घोल रही है. लेकिन पानी पर तैरती सैकड़ों नावें सूनी है.

रंग बिरंगी ये बोट पानी की लहरों के साथ हिचकोले तो लेती है लेकिन सैलानियों बिना इनकी रफ्तार थमी हुई हैं. झील के पानी पर पंछी भी करतब दिखाते लगते हैं जैसे उन्हें भी किसी का इंतज़ार हो. क्रूज़ बोट, पैडल बोट और स्पीड बोट सब किनारे से बंधे हैं. इलाका वीरान है. कुछ बत्तख हैं, खाली नावें हैं, पंछी चहचहा रहे हैं लेकिन ये सब देखने के लिए पर्यटक नहीं हैं.

सैलानी नहीं तो ये सब नज़ारे काटने को दौड़ते हैं. कम से कम उनको, जिनकी रोजी रोटी इन सब पर टिकी है. इन नावों की रफ्तार थमी तो इनसे गुज़र बसर करने वालों के घर चूल्हें की आंच भी नरम पड़ गयी है. आज भी बोटिंग से अपना घर चलाने वाले सैलानियों के इंतज़ार में सूनी आखों से झील को निहारते हैं. कोरोनानायरस से बचने के लिए चेहरा तो मास्क ने आधा ढका हुआ है लेकिन आंखें सारी कहानी कह देती हैं. सैलानियों को बोटिंग कराने वाले टिकट काउंटर के पास बैठे, गहरी सांस लेते हुए लहरें गिनते हैं और इस गाढ़े वक्त के ज़ल्दी गुज़र जाने की दुआ करते हैं. 

झील में नाव चलाने वाले एक बोट मालिक का कहना है कि "हम यहां लोगों को नौका विहार कराते हैं.अब लॉकडाउन खुलने का इंतज़ार कर रहे हैं. परेशान हो चुके हैं. हमारा सारा पैसा खत्म हो चुका है, रोज़ गढ्ढा खोदते हैं, रोज़ पानी पीते हैं. हमारे साथ 10-12 लोग और जुड़े हैं. यही गर्मी के दो महीने होते हैं जब हम घर में साल भर का राशन जमा लेते हैं. बारिश में वैसे ही 4 महीने खराब हो जाते हैं. सर्दियों में पब्लिक नहीं आती है. इस तरह ही हम साल भर काम चलाते थे. लॉकडाउन के चक्कर में हालत खराब हो गयी है."

 इनकी तरह दूसरे बोट मालिक भी अच्छे दिनों की उम्मीद में झील किनारे बैठे मिले. उनकी भी कहानी यही है. कहते हैं "लॉकडाउन के चक्कर में घर की हालत खराब हो गयी है. हमारे पास बोट है तो हम कुछ कमा लेते हैं लेकिन हमारे साथ जो लड़के काम करते हैं उनकी हालत बहुत खराब है. हम लोग केवट समाज से है. हमारे समाज़ में पढ़े लिखे कम लोग हैं. मोदी जी ने जो नयी योजनाएं बनाई है जैसे नाव का बीमा, मछली पालन के लिए. उन सबका हमें फायदा ही नहीं मिलता." 

आज भी रोज़ाना बोट मालिक झील में अपनी नावों को देखने आते हैं, साथ बैठते है कुछ बातें होती हैं फिर खाली हाथ घर चले जाते हैं. इन लोगों जैसे 250 परिवारों की जिंदगी झील की तरह सूनी पड़ी है. इस इतंज़ार में कि कब सैलानी लौटेंगे, तब तक सरकार की तरफ उम्मीद भरी नज़रों से देखते है कि वो ही कुछ मदद कर दे. मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस से 6859 लोग संक्रमित हैं और अब तक 300 लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोनावायरस से होने वाली मौतों के मामले में मध्यप्रदेश पूरे देश में तीसरे नंबर पर हैं. 

Web Title: Covid 19 Lockdown: Boat owners near Upper Lake in Bhopal Struggling for daily need amid lockdown, 250 families affected.

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