नयी दिल्ली, आठ नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली हेल्थकेयर कॉरपोरेशन (डीएचसी) के खातों के अंकेक्षण के अनुरोध वाली एक याचिका पर सोमवार को दिल्ली सरकार, उपराज्यपाल और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से अपना पक्ष रखने को कहा।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने वित्तीय अर्थशास्त्री अभिजीत मिश्र की जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया और संक्षिप्त जवाब दाखिल करने को कहा।
याचिकाकर्ता ने जोर दिया कि 2016 में स्थापना के बाद से ही कैग ने डीएचसी के खातों और परिचालन की समीक्षा या अंकेक्षण नहीं किया है। डीएचसी एक पंजीकृत कंपनी है जो अस्पताल और स्वास्थ्य इकाइयों को प्रशासनिक सेवाएं मुहैया कराती है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि दिल्ली सरकार ने न केवल उपराज्यपाल के अनुमोदन के बिना डीएचसी की स्थापना की बल्कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार अधिनियम, 1991 का उल्लंघन करते हुए इसे कोष भी आवंटित किया।
याचिका में कहा गया है कि कैग को आज तक दिल्ली सरकार से डीएचसी के खातों और परिचालन की लेखा-परीक्षा का कोई अनुरोध नहीं मिला है और उसकी वार्षिक रिपोर्ट या अंकेक्षण रिपोर्ट 2016, 2017, 2018 या 2019 में विधानसभा में पेश नहीं की गई थी।
याचिका में उपराज्यपाल को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि डीएचसी की स्थापना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित की जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। मामले में अगली सुनवाई 11 जनवरी को होगी।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।