आईएमए प्रमुख मामले में निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने से अदालत का इनकार

By भाषा | Published: June 14, 2021 05:16 PM2021-06-14T17:16:04+5:302021-06-14T17:16:04+5:30

Court refuses to stay trial court order in IMA chief case | आईएमए प्रमुख मामले में निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने से अदालत का इनकार

आईएमए प्रमुख मामले में निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने से अदालत का इनकार

नयी दिल्ली, 14 जून दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक निचली अदालत के उस आदेश पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया जिसमें आईएमए अध्यक्ष जे ए जयलाल को किसी भी धर्म का प्रचार करने के लिए संगठन के मंच का उपयोग नहीं करने का निर्देश दिया गया था। साथ ही निचली अदालत ने उन्हें आगाह किया था कि जिम्मेदार पद पर आसीन व्यक्ति से स्तरहीन टिप्पणियों की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

न्यायमूर्ति आशा मेनन ने कहा कि अदालत इस मामले में कोई एकतरफा आदेश पारित नहीं करेगी क्योंकि उस व्यक्ति की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ है जिनकी शिकायत पर चार जून को निचली अदालत ने आदेश जारी किया था।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) प्रमुख ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। उनकी इस याचिका पर उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया। मामले में अगली सुनवाई 16 जून को होगी। उच्च न्यायालय ने कहा कि उसे निचली अदालत के आदेश पर गौर करना होगा।

सुनवाई अदालत ने ‘कोविड रोगियों के इलाज में आयुर्वेद पर एलोपैथिक दवाओं की श्रेष्ठता साबित करने की आड़ में ईसाई धर्म को बढ़ावा देकर’’ हिंदू धर्म के खिलाफ अपमानजनक अभियान शुरू करने का आरोप लगाते हुए जयलाल के खिलाफ दायर याचिका पर आदेश पारित किया था।

शिकायतकर्ता रोहित झा ने निचली अदालत के समक्ष आरोप लगाया था कि जयलाल अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और हिंदुओं को ईसाई बनाने के लिए देश तथा नागरिकों को गुमराह कर रहे हैं।

निचली अदालत ने कहा था कि जयलाल द्वारा दिए गए इस आश्वासन के आधार पर किसी निषेधाज्ञा की जरूरत नहीं है कि वह इस तरह की गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। अदालत ने कहा था कि यह याचिका एलोपैथी बनाम आयुर्वेद को लेकर विवाद का हिस्सा है।

निचली अदालत को चुनौती देते हुए जयलाल की ओर से पेश वकील तन्मय मेहता ने दावा किया कि आईएमए प्रमुख ने निचली अदालत को ऐसा कोई आश्वासन कभी नहीं दिया क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।

उन्होंने निचली अदालत के आदेश में जयलाल के खिलाफ की गई टिप्पणियों पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि इससे उनकी प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही है क्योंकि वह एक ऐसे संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं जिसके 3.5 लाख डॉक्टर सदस्य हैं।

उन्होंने दलील दी कि जयलाल और योग गुरु रामदेव के बीच टेलीविजन पर कोई बहस नहीं हुयी थी और वह ईसाई धर्म सहित किसी भी धर्म का प्रचार नहीं कर रहे हैं तथा निचली अदालत के समक्ष दायर मुकदमा फर्जी खबरों पर आधारित था।

वकील ने कहा कि अगर कोई एलोपैथी को बढ़ावा देता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह ईसाई धर्म अपनाने को कह रहा है तथा जयलाल आयुर्वेद के खिलाफ नहीं बल्कि ‘मिक्सोपैथी’ के खिलाफ हैं।

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Web Title: Court refuses to stay trial court order in IMA chief case

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