न्यायालय ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर लगाई रोक

By भाषा | Updated: December 8, 2020 22:19 IST2020-12-08T22:19:37+5:302020-12-08T22:19:37+5:30

Court prohibits contempt proceedings against Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari | न्यायालय ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर लगाई रोक

न्यायालय ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर लगाई रोक

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय के पिछले साल के आदेश पर अमल नहीं करने के कारण शुरू हुयी अवमानना की कार्यवाही पर मंगलवार को रोक लगा दी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि सरकारी आवास के लिये राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बाजार दर से किराया देना होगा।

उच्च न्यायालय ने पिछले साल तीन मई को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को पद से हटने के बाद से सरकारी आवास में रहने की अवधि के लिये बाजार दर से किराया देने का आदेश दिया था।

कोश्यारी ने उच्च न्यायालय द्वारा अवमानना कार्यवाही के लिये जारी नोटिस के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर रखी है।

न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘विशेष अनुमति याचिका और अंतरिम राहत के आवेदन पर नोटिस जारी किया जाये। इस बीच, अवमानना कार्यवाही पर रोक लगाई जाती है।’’

पीठ ने इसके साथ इसी मुददे पर पहले से लंबित याचिकाओं के साथ कोश्यारी की याचिका भी संलग्न कर दी।

उत्तराखंड की ओर से पेश अधिवक्ता ने न्यायालय में ही नोटिस स्वीकार की।

इससे पहले, न्यायालय ने 26 अक्टूबर को केन्द्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल के खिलाफ इसी विषय पर अवमानना कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।

उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुये कोश्यारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमन सिन्हा ने कहा कि वह महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और इस संबंध में उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपालों को इस तरह की कार्यवाही से प्राप्त संरक्षण की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया।

अधिवक्ता अर्धेंधु मौली प्रसाद और प्रवेश ठाकुर के माध्यम से दायर याचिका में कोश्यारी ने कहा है कि देहरादून में आवासीय परिसर के लिये बाजार दर पर इतना अधिक किराया बगैर किसी तर्क के निर्धारित किया गया है और ऐसा करते समय उन्हें अपना पक्ष रखने की अनुमति भी नहीं दी गयी।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष तीन मई को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आदेश दिया था कि पद से हटने के बाद वे जितनी अवधि तक सरकारी आवास में रहे हैं, उसका बाजार दर के मुताबिक उन्हें किराया अदा करना होगा।

यही नहीं, न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा इन आवासों में उपलब्ध करायी गयी बिजली, पानी, पेट्रोल, ईंधन ओर ऐसी ही दूसरी सुविधाओं की मद में देय सारी राशि की चार महीने के भीतर गणना करने का भी निर्देश दिया था।

न्यायालय ने कहा था कि इसकी जानकारी पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जायेगी, जिसका उन्हें इसकी सूचना मिलने की तारीख से छह महीने के भीतर भुगतान करना होगा।

उच्च न्यायालय ने देहरादून स्थित एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर यह फैसला सुनाया था।

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Web Title: Court prohibits contempt proceedings against Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari

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