शिलांग, 26 मार्च पद्मश्री से सम्मनित वरिष्ठ पत्रकार पैट्रिशा मुखिम ने शुक्रवार को कहा कि फेसबुक पोस्ट को लेकर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के उच्च्तम न्यायालय के आदेश ने देश भर में लोगों को आशा की किरण दिखाई है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा की है जो, लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
शिलांग में गैर-आदिवासी युवाओं पर हमलों की निंदा करते हुए फेसबुक पर लिखे गए एक पोस्ट को लेकर पिछले साल ‘शिलांग टाइम्स’ की संपादक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। ग्रामीण समिति की ओर से दी गई शिकायत में दावा किया गया था कि उनकी टिप्पणी से साम्प्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है।
मेघालय उच्च न्यायालय ने इससे पहले पुलिस शिकायत खारिज करने से इंकार कर दिया था और मामले की विस्तृत जांच का आदेश दिया था।
मुखिम डेविड स्कॉट ट्रेल पर ट्रेकिंग कर रही थीं, उसी दौरान उन्हें न्यायालय के फैसले की सूचना मिली।
उन्होंने पीटीआई/भाषा से कहा, ‘‘बुद्धिमततापूर्ण और तार्किक फैसला पूरे देश के लोगों में आशा जगाता है कि उच्चतम न्यायालय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता है, जाकि लोकतंत्र के लिए बहुत आवश्यक है।’’
मुखिम ने कहा कि अगर भविष्य में किसी को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है तो यह फैसला नजीर साबित होगा।
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