कोविड-19 की दूसरी लहर में दवाओं की जमाखोरी, अधिक दरों पर बिक्री के आरोपियों को अदालत ने जमानत दी

By भाषा | Updated: November 21, 2021 13:58 IST2021-11-21T13:58:24+5:302021-11-21T13:58:24+5:30

Court grants bail to those accused of hoarding drugs, selling at high rates in the second wave of Kovid-19 | कोविड-19 की दूसरी लहर में दवाओं की जमाखोरी, अधिक दरों पर बिक्री के आरोपियों को अदालत ने जमानत दी

कोविड-19 की दूसरी लहर में दवाओं की जमाखोरी, अधिक दरों पर बिक्री के आरोपियों को अदालत ने जमानत दी

नयी दिल्ली, 21 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान मरीजों के उपचार में काम आने वाली जीवन रक्षक दवाओं की जमाखोरी और उन्हें अधिक कीमत पर बेचने के आरोप में गिरफ्तार किए गए चार लोगों की जमानत मंजूर कर ली।

उच्च न्यायालय ने कहा कि हालांकि ये व्यक्ति घृणित अपराध के आरोपी हैं लेकिन इस तथ्य को देखते हुए कि सबूत मुख्य रूप से दस्तावेजी प्रकृति के हैं और ये पुलिस के कब्जे में हैं अत: अदालत का मानना है कि आरोपियों को लंबे समय तक कैद में रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, ‘‘यह स्थापित कानून है कि अपराध की गंभीरता जमानत से इनकार करने का इकलौता आधार नहीं बन सकता। जमानत का उद्देश्य मुकदमे में आरोपी की उपस्थिति सुनिश्चित करना है। जमानत का उद्देश्य न तो दंडात्मक है और न ही निवारक और जिस व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया गया है उसे केवल मुकदमे में उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए हिरासत में रखा जाना चाहिए; और यह सुनिश्चित करने के लिए कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है और गवाहों को धमकी नहीं दी गई है।’’

उच्च न्यायालय ने मोहन कुमार झा, मोहम्मद शोएब खान, पुष्कर चंद्रकांत पखाले और आदित्य गौतम को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही दो जमानत-राशि पर जमानत दी। ये आरोपी बीते सात महीने से हिरासत में थे।

अभियोजन पक्ष के अनुसार अप्रैल में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान पुलिस की अपराध शाखा के अधिकारियों को कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में काम आने वाली रेमडेसिविर समेत अन्य जीवन रक्षक दवाओं की जमाखोरी और गैरकानूनी तरीके से उनकी आपूर्ति करने की जानकारी मिली थी।

दो आरोपियों को बत्रा अस्पताल के पास से पकड़ा गया था और उनके पास ये दवाएं तो मिली थीं लेकिन चिकित्सक के पर्चे, बिल नहीं मिले थे। दवाओं के बारे में आरोपी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए थे। इसी प्रकार, अन्य आरोपियों को भी अलग-अलग स्थानों से पकड़ा गया था।

आरोपियों ने जमानत के आवेदन में कहा था कि वे बीते सात महीने से न्यायिक हिरासत में हैं, आरोप-पत्र दायर हो चुका है और उन्हें अब अधिक समय तक जेल में रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है।

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Web Title: Court grants bail to those accused of hoarding drugs, selling at high rates in the second wave of Kovid-19

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