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कोर्ट ने नाबालिग बलात्कार पीड़िता का 24 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दी, जानिए मामला

By भाषा | Updated: February 6, 2020 20:10 IST

इस संबंध में यहां के स्वरूप नगर थाने में बलात्कार का मामला दर्ज है। आधिकारिक बयान के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत सप्ताह ‘‘विशेष श्रेणी की महिलाओं’’ के लिए गर्भपात की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दी थी।

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ठळक मुद्दे‘विशेष श्रेणी’ की महिलाओं में बलात्कार पीड़िता, कौटुम्बिक व्यभिचार की पीड़िता, दिव्यांग और नाबालिग महिलाएं शामिल हैं।मंत्रिमंडल ने चिकित्‍सकीय गर्भ समापन अधिनियम, 1971 को संशोधित करने के लिए चिकित्‍सकीय गर्भ समापन (संशोधन) विधेयक, 2020 को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आर एम एल अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता का 24 सप्ताह का गर्भ गिराने की बृहस्पतिवार को अनुमति प्रदान कर दी।

राम मनोहर लोहिया (आर एम एल) अस्पताल द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यदि गर्भ बरकरार रहता है तो नाबालिग लड़की के लिए बड़ा जोखिम उत्पन्न हो सकता है। मेडिकल बोर्ड की राय न्यायमूर्ति विभु बाखरू के समक्ष रखी गई जिन्होंने खुली अदालत में आदेश सुनाने से पहले 16 वर्षीय पीड़िता और उसके माता-पिता के साथ बंद कमरे में चर्चा की।

न्यायाधीश ने अदालत में पेश हुए आर एम एल अस्पताल के डॉक्टर से गर्भ गिराने की प्रक्रिया 24 घंटे के भीतर सुनिश्चित करने को कहा। डॉक्टर ने अदालत को बताया कि सर्जरी सहित प्रक्रिया से जुड़े जोखिम के बारे में पीड़िता को बताया गया है और आदेश मिलने के कुछ घंटे के भीतर इसे अंजाम दिया जा सकता है।

अदालत ने बयान का संज्ञान लेते हुए कहा कि ‘‘जितना जल्द संभव हो सके, प्रक्रिया को अंजाम दिया जाए’’ और साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल के लिए ‘‘डीएनए संरक्षित रखा जाए।’’ अदालत ने निर्देश जारी करने के साथ ही अधिवक्ताओं-अन्वेष मधुकर और प्राची निर्वाण के माध्यम से लड़की द्वारा दायर याचिका का निपटारा कर दिया।

याचिका इसलिए दायर की गई क्योंकि चिकित्‍सकीय गर्भ समापन अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ को गिराने पर रोक है। संबंधित मामले में पीड़िता का गर्भ 24 सप्ताह का है। अदालत ने गत चार फरवरी को आर एम एल अस्पताल से मेडिकल बोर्ड का गठन करने को कहा था और इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी कि गर्भ के जारी रहने से कहीं पीड़िता के स्वास्थ्य के लिए कोई जोखिम तो नहीं है।

इस संबंध में यहां के स्वरूप नगर थाने में बलात्कार का मामला दर्ज है। आधिकारिक बयान के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत सप्ताह ‘‘विशेष श्रेणी की महिलाओं’’ के लिए गर्भपात की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दी थी। ‘विशेष श्रेणी’ की महिलाओं में बलात्कार पीड़िता, कौटुम्बिक व्यभिचार की पीड़िता, दिव्यांग और नाबालिग महिलाएं शामिल हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चिकित्‍सकीय गर्भ समापन अधिनियम, 1971 को संशोधित करने के लिए चिकित्‍सकीय गर्भ समापन (संशोधन) विधेयक, 2020 को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

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