कृषि विभाग के पदों पर भर्ती के लिए ली गई परीक्षा में हुआ भ्रष्टाचार: दिग्विजय
By भाषा | Updated: March 18, 2021 19:54 IST2021-03-18T19:54:19+5:302021-03-18T19:54:19+5:30

कृषि विभाग के पदों पर भर्ती के लिए ली गई परीक्षा में हुआ भ्रष्टाचार: दिग्विजय
ग्वालियर (मप्र), 18 मार्च कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) द्वारा हाल ही में कृषि विभाग के पदों के लिए कराई गई परीक्षा में बृहस्पतिवार को भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इस परीक्षा को निरस्त कर नए सिरे से परीक्षा कराने की मांग की।
उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें योग्य छात्रों के साथ अन्याय हुआ है।
पीईबी को पूर्व में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के रूप जाना जाता था और पिछले दशक में व्यापमं करोडों रूपये के प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) एवं भर्ती परीक्षाओं के घोटाले के लिए बहुचर्चित रहा, जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने इसकी सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
पीईबी द्वारा कृषि अधिकारियों की भर्ती के लिए हाल में ली गई परीक्षा में व्यापमं जैसे हुए कथित घोटाले के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में दिग्विजय ने यहां मीडिया से कहा, ‘‘ ब्लैक लिस्टेड कंपनी (पीईबी) द्वारा कृषि अफसरों की भर्ती की गई और जो लोग चार वर्ष का कोर्स आठ वर्ष में कर पाए, उन्हें 200 में से 198 व 199 नंबर मिले ऐसे में सवाल है कि जो मेरिट होल्डर छात्र थे, वे कैसे पीछे रह गए?’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए सरकार को चाहिए कि इस भर्ती को निरस्त करके फिर से परीक्षा आयोजित करे।’’
दिग्विजय ने कहा कि यह प्रश्नपत्र इतना कठिन था कि मैं भी इसे उत्तीर्ण नहीं कर पाता।
उन्होंने कहा कि इसमें होशियार लड़के भी 100 से 120 नंबर ही ला पाते।
पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव के बारे में दिग्विजय ने कहा कि वहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लड़ाई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से है और चुनाव में मोदी, ममता से हार जाएंगे।
जब दिग्विजय सिंह से पूछा गया कि प्रदेश और ग्वालियर में व्यापार मेले जैसे भीड़ वाले आयोजन हो रहे हैं तो क्या इससे कोरोना नहीं फैलेगा? इस पर उन्होंने कहा, ‘‘अब यदि भाजपा की राजनीतिक बैठक या आयोजन हो तो कोरोना नहीं फैलता, लेकिन दूसरे राजनीतिक दलों या सामान्य लोग कोई आयोजन करें तो कोरोना फैलने लगता है। यह बात समझ से परे है।’’
ग्वालियर के गोहद में पानी कमी पर कांग्रेस के आंदोलन के संदर्भ में दिग्विजय ने कहा कि 1987 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जो जल नीति बनाई थी, वो आज भी जारी है और गोहद के पानी संकट के बारे में अधिकारियों व केन्द्र सरकार के मंत्री से भी बात हुई है। इसके अलावा राजस्थान सरकार से भी बात की जाएगी, जिससे वे चंबल नहर में पानी छोडें और गोहद के लोगों को पानी मिल सके।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।