कोरोना वायरस से मुस्तैदी से निपट रही सरकार इसके तीसरे चरण की ओर बढ़ने के संकेत मिलते ही कड़े उपाय करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनिंदा मंत्रियों के एक समूह के साथ स्थिति की समीक्षा के दौरान पाया कि अगले दो सप्ताह काफी महत्वपूर्ण हैं और किसी भी प्रकार की ढील की अनुमति नहीं दी जा सकती है. कोरोना पर मंत्रियों का समूह इसे स्टेज-3 तक पहुंचने से रोकने के लिए आंशिक बंदी (लॉकडाउन) और कठोर नीति अपनाने की आकस्मिक योजना बना रहा है.इस योजना के तहत पहले चरण में विभिन्न आयोगों, संस्थानों, बोर्डों और अन्य निकायों को अगले दो सप्ताह तक प्रति सप्ताह दो-तीन दिन बंदी के लिए कहा जा सकता है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) को सप्ताह में केवल दो दिन काम करने के लिए पहले ही कहा जा चुका है.इस कवायद का मकसद लोगों को बस, मेट्रो और अन्य सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने से बचाना है. सरकार के लिए चिंता की सबसे बड़ी वजह लोगों का इस महामारी को फैलने से रोकने की दिशा में असहयोगात्म रवैया है.माना जाता है कि नागरिक उड्डयन और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी ने कोरोना कोरोना पर मंत्रियों को बताया है कि फिलहाल रोजाना करीब दो लाख लोग हवाई सफर कर रहे हैं और इस संख्या में रोजाना कमी हो रही है. लोग कोरोना वायरस परीक्षण नहीं कराना चाहते हैं और न ही क्वॉरेनटाइन (सुविधा केंद्र) जाना चाहते. इस प्रकार वे प्रणाली को चुनौती दे रहे हैं.पुरी ने साफ किया कि दिल्ली मेट्रो में पिछले सप्ताह दैनिक आधार 65 लाख लोगों की तुलना में अब 45 लाख लोग सफर कर रहे हैं. बसों में सफर करने वालों की तादाद 40 लाख है. मंत्री ने मंत्री समूह से कहा, ''हम इतने लोगों की जांच कैसे कर सकते हैं.'' कोरोना वायरस पर छह सदस्यीय मंत्री समूह का नेतृत्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन करते हैं और दिन में दो बार मिलते हैं.
उसके बाद देशभर से प्राप्त रिपोर्ट की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को देता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यक्तिगत रूप से स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. उनके कार्यालय में कोरोना पर निगरानी इकाई स्थापित है.
सभी महानगरों को पूरी तरह बंद करने की सिफारिश
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) जो कोरोना से संबंधित सभी चिकित्सकीय कार्यों के लिए नोडल एजेंसी है ने वायरस को स्टेज-3 तक पहुंचने से रोकने के लिए कम से कम सभी महानगरों को तत्काल पूरी तरह बंद करने की सिफारिश की है. उद्यमियों और स्टार्ट-अप के एक समूह ने भी प्रधानमंत्री से प्रमुख शहरों में सख्त पूर्णबंदी और धारा-144 लागू करने का अनुरोध किया है. दिल्ली में धारा 144 पहले ही लगाई जा चुकी है जबकि अन्य राज्य सरकारें भी यही कदम उठा रही है.