Coronavirus: श्रमिकों के लिए आएगा सामाजिक सुरक्षा अध्यादेश, कोरोना के बाद व्यापक पैमाने पर छंटनी रोकना चाहती है केंद्र सरकार

By हरीश गुप्ता | Published: April 13, 2020 07:00 AM2020-04-13T07:00:35+5:302020-04-13T07:27:10+5:30

Coronavirus Lockdown: सरकार को ऐसा लगता है कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन से जो स्थिति पैदा हो रही है, उसके बाद बड़े पैमाने पर छंटनी संभव है। इसलिए श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा की रक्षा के लिए यह कदम उठाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो देश में सामाजिक अव्यवस्था पैदा हो सकती है।

Coronavirus lockdown Narendra Modi Govt wants social security ordinance for workers to Stop layoffs | Coronavirus: श्रमिकों के लिए आएगा सामाजिक सुरक्षा अध्यादेश, कोरोना के बाद व्यापक पैमाने पर छंटनी रोकना चाहती है केंद्र सरकार

कोरोना वायरस का असर (फाइल फोटो)

Highlightsमध्यम, लघु उद्योग क्षेत्र सहित औद्योगिक श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के लिए अध्यादेश जारी करने पर विचारइस सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में हो सकता है मंथन, हालांकि भारत में 90 फीसदी श्रमिक श्रम कानूनों के दायरे में नहीं

सरकार मध्यम, लघु उद्योग क्षेत्र सहित औद्योगिक श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के लिए अध्यादेश जारी करने पर गंभीरता से विचार कर रही है. सरकारी सूत्रों पर विश्वास किया जाए, तो सामाजिक सुरक्षा कोड से संबंधित तीन कोड औद्योगिक संबंध कोड, पेशेवर स्वास्थ्य और सुरक्षा कोड को सामाजिक सुरक्षा कोड से जोड़ा जाएगा.

उनका कहना है कि इस सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक होने की संभावना है. मंत्रिमंडल अध्यादेश जारी करने पर विचार करेगा क्योंकि सरकार के पास बड़ी संख्या में कामगारों की शिकायतें हैं, जिनमें वेतन के अलावा नियोक्ताओं की ओर से उनके हितों की सुरक्षा नहीं करना शामिल हैंं. दिहाड़ी मजदूरों की परवाह नहीं की जाती है.

सरकार को लगता है कि कोरोना वायरस महामारी खत्म होने के बाद बड़े पैमाने पर छंटनी रोककर श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा की रक्षा के लिए यह कदम उठाना चाहिए, अन्यथा देश में सामाजिक अव्यवस्था पैदा होगी. पहले से ही एक करोड़ प्रवासी श्रमिक आश्रयगृहों में रहने या राज्यों में सरकारों, गैर सरकारी संगठनों और आम लोगों की ओर से खिलाए जाने के लिए मजबूर हैं.

सरकार ने पहले ही कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि श्रमिक विशेष रूप से अनुबंधित जो कोरोना वायरस महामारी के कारण एहतियातन छुट्टी लेते हैं, उन्हें ड्यूटी पर माना जाना चाहिए और उनके वेतन में कटौती नहीं करनी चाहिए.

कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने यह सलाह जारी की थी और श्रम मंत्रालय ने आदेश जारी किया था. इसमें कहा गया था, ''ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में सार्वजनिक और निजी प्रतिष्ठानों के सभी नियोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने कर्मचारियों, विशेषकर आकस्मिक या संविदाकर्मियों को नौकरी से नहीं निकालें और न ही उनका वेतन कम करें.''

90 फीसदी श्रमिक श्रम कानूनों के दायरे में नहीं : संगठित क्षेत्र की कंपनियों के पास अपने कर्मचारियों को निकालने का अधिकार होता है जो कि अस्थायी छटनी के रूप में उनका बकाया चुकाने के बाद होता है. हालांकि भारत में 90 फीसदी श्रमिक असंगठित क्षेत्र में आते हैं, लेकिन वे सामाजिक सुरक्षा से संबंधित श्रम कानूनों के दायरे में नहीं आते हैं.

श्रम मंत्रालय ने मजदूरी, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति से संबंधित 44 श्रम कानूनों को चार कोड में समाहित करने का फैसला किया था. मजदूरी पर कोड के बाद अब तीन पर फैसले का इंतजार है.

Web Title: Coronavirus lockdown Narendra Modi Govt wants social security ordinance for workers to Stop layoffs

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे