लॉकडाउन के चलते 'भीख' भी नहीं मिल रही, समलैंगिक समुदाय बोला- कम से कम हमें खाना दे दें
By भाषा | Published: March 30, 2020 03:20 PM2020-03-30T15:20:26+5:302020-03-30T15:45:19+5:30
''हमारी गलती क्या है? हालात यह हैं कि हम बाहर जाकर पैसा या खाना भी नहीं मांग सकते...कम से कम हमें खाना तो मुहैया कराया जाए।''
कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये लागू लॉकडाउन के चलते बेंगलुरु में हाशिये पर खड़ा समलैंगिक समुदाय बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में भी मुश्किलों का सामना कर रहा है।
समलैंगिक समुदाय के एक बड़े हिस्से का गुजारा भीख मांगकर चलता है, लेकिन लोगों के सड़कों से नदारद होने और दुकान बंद होने से समुदाय के अधिकतर लोगों के पास पैसा नहीं बचा है।
एक समलैंगिक ने कहा, ''हमें एक समय के भोजन का इंतजाम करने में भी दिक्कतें हो रही हैं। कोई हमारी मदद करने के लिये आगे नहीं आ रहा।'' जब उनसे कहा गया कि सरकार मजदूरों और अन्य जरूरतमंदों की मदद कर रही है तो एक अन्य समलैंगिक ने कहा, ''हमारी गलती क्या है? हालात यह हैं कि हम बाहर जाकर पैसा या खाना भी नहीं मांग सकते...कम से कम हमें खाना तो मुहैया कराया जाए।''
एक समलैंगिक ने कहा कि हम में से कुछ के पास को दवा खरीदने के लिये भी पैसे नहीं हैं, हमारे कई बुजुर्ग हैं जो बीमार हैं और एचआईवी से संक्रमित हैं।
हालांकि समलैंगिकों के अधिकारों के लिये काम कर रहे 'ओनडेडे' जैसे संगठन समुदाय के शुभचिंतकों के साथ मिलकर उन्हें घर पर ही किराने का सामान मुहैया करा रहे हैं।
ओनडेडे की प्रमुख अक्काई पद्मशाली की मांग है कि जब तक हालात ठीक नहीं हो जाते तब तक सरकार को समलैंगिक समुदाय और अन्य संवेदनशील तबकों की मदद करने चाहिये ताकि वे एक-दो महीने तक अपना गुजारा कर सकें।