Migrant crisis: क्या महाराष्ट्र में बारह लाख प्रवासी मजदूर के बच्चे शिक्षा से वंचित और स्कूल से बाहर हो जाएंगे?

By शिरीष खरे | Published: June 5, 2020 05:43 PM2020-06-05T17:43:21+5:302020-06-05T17:43:21+5:30

महाराष्ट्र में ऐसी स्थिति को लेकर शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत कई सामाजिक कार्यकर्ता और जानकारों का कहना है कि डिजिटल प्रणाली से उच्च और मध्यम वर्ग के परिवारों के बच्चों को तो कुछ हद तक लाभ होगा, लेकिन इससे खासी तादाद में प्रवासी मजदूरों के बच्चों को लाभ नहीं मिलेगा.

Coronavirus lockdown central government migrant workers Maharashtra 12 lakh laborers child deprived education and out of school | Migrant crisis: क्या महाराष्ट्र में बारह लाख प्रवासी मजदूर के बच्चे शिक्षा से वंचित और स्कूल से बाहर हो जाएंगे?

राज्य के लाखों प्रवासी श्रमिक परिवार कोरोना के भय और बेकारी की वजह से अपने-अपने गृह राज्यों में चले गए हैं. (file photo)

Highlightsकेंद्र सरकार ने स्कूलों को जुलाई तक बंद रखने के लिए कहा था. इसके बावजूद महाराष्ट्र सरकार ने शैक्षणिक वर्ष 15 जून से शुरू करने का निर्णय लिया है.दूसरी तरफ, राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे स्कूल शुरू करने का निर्णय लिया गया है जहां कोरोना संक्रमण का प्रभाव नहीं है.

पुणेः महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बावजूद 15 जून से शैक्षणिक वर्ष शुरू करने की घोषणा की है. इस दौरान बच्चों की शिक्षा पर कोरोना का प्रभाव कम करने के लिए डिजिटल प्रणाली अपनाने का निर्णय लिया है.

राज्य में ऐसी स्थिति को लेकर शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत कई सामाजिक कार्यकर्ता और जानकारों का कहना है कि डिजिटल प्रणाली से उच्च और मध्यम वर्ग के परिवारों के बच्चों को तो कुछ हद तक लाभ होगा, लेकिन इससे खासी तादाद में प्रवासी मजदूरों के बच्चों को लाभ नहीं मिलेगा. लिहाजा, यह चिंता भी है कि इस हालत में लाखों प्रवासी बच्चे शिक्षा से वंचित और स्कूल से बाहर न हो जाएं.

हालांकि, केंद्र सरकार ने स्कूलों को जुलाई तक बंद रखने के लिए कहा था. इसके बावजूद महाराष्ट्र सरकार ने शैक्षणिक वर्ष 15 जून से शुरू करने का निर्णय लिया है. इसके लिए मोबाइल और लैपटॉप जैसे डिजिटल साधनों के अलावा टीवी और रेडियो मुख्य आधार होंगे. दूसरी तरफ, राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे स्कूल शुरू करने का निर्णय लिया गया है जहां कोरोना संक्रमण का प्रभाव नहीं है.

वहीं, राज्य के लाखों प्रवासी श्रमिक परिवार कोरोना के भय और बेकारी की वजह से अपने-अपने गृह राज्यों में चले गए हैं. राज्य सरकार ने लगभग 12 लाख मजदूरों को उनके राज्यों में भेजा है. इनमें से कई मजदूर परिवार वाहनों तो कई सड़क और रेल मार्गों से होकर अपने पैतृक गांवों तक पहुंच गए हैं.

खासी संख्या में इन श्रमिक परिवारों के बच्चे राज्य भर के विभिन्न स्कूलों में पढ़ रहे हैं

जबकि, हकीकत यह भी है कि खासी संख्या में इन श्रमिक परिवारों के बच्चे राज्य भर के विभिन्न स्कूलों में पढ़ रहे हैं. वहीं, रोग और बेरोजगारी के चलते अब भी प्रवासी मजदूर राज्य से बाहर उनके अपने घर जा रहे हैं. जाहिर है कि कोरोना लॉकडाउन में दो जून की रोटी के लाले पड़ने के बाद अब लाखों प्रवासी मजदूरों के बच्चों के लिए डिजिटल शिक्षण का एक अर्थ शिक्षा से बेदखल हो जाना है.

पोषण व शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय संजय इंग्ले कहते हैं, 'कहा तो यह भी जा रहा है कि मजदूर परिवारों के एक हिस्से के पास स्मार्टफोन हो सकते हैं. मगर, उनमें भी बहुत बड़ी संख्या के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं हैं. फिर, डिजीटल प्रणाली से शिक्षण के लिए हर गांव में अच्छा नेटवर्क होना भी जरुरी है.'एक प्रश्न यह है कि क्या सभी प्रवासी मजदूर काम के लिए तुरंत शहर लौटेंगे? यदि लौटे भी तो उनमें से कितने अपने परिवारों को साथ लाएंगे?

लिहाजा, शिक्षाविद हेरंब कुलकर्णी आशंका व्यक्त करते हुए कहते हैं, 'राज्य में पढ़ने वाले कई बच्चे स्कूल से बाहर होंगे. दूसरी ओर, डिजिटल शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार को पहले राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों को लैपटॉप और टैब प्रदान करने चाहिए.'

दरअसल, मुख्य रूप से आशंका यह जताई जा रही है कि गरीब माता-पिता द्वारा ऐसे साधनों का अभाव बच्चों को डिजिटल शिक्षा से वंचित करेगा और वे अन्य छात्रों से पीछे रह जाएंगे. वहीं, कई कार्यकर्त्ताओं द्वारा आरटीई प्रवेश की समय सीमा बढ़ाने की मांग भी की जा रही है.

वजह, पिछले दिनों विभिन्न राज्यों के मजदूर राज्य से बाहर अपने पैतृक गांव जा चुके हैं. इन मजदूरों के बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत लागू प्रक्रिया के माध्यम से प्रवेश मिलता है. हालांकि, आरटीई इस साल खत्म हो रहा है. लेकिन, मजदूर परिवार के कई बच्चों ने प्रवेश नहीं लिया है.

सामाजिक कार्यकर्ताअनिल जेम्स कहते हैं, 'लाखों लोग गांवों गए हैं, जाहिर है आरटीई के छात्र इस साल स्कूल नहीं जा पाएंगे. इसलिए, हमारी मांग है कि इन छात्रों को स्कूल में प्रवेश देने के लिए एक महीने का समय बढ़ाया जाना चाहिए.

Web Title: Coronavirus lockdown central government migrant workers Maharashtra 12 lakh laborers child deprived education and out of school

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