कोरोना वायरसः लॉकडाउन में वकीलों की कमाई हुई शून्य, जनता को न्याय दिलाने वाले वकीलों को कौन न्याय दिलाएगा?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: April 15, 2020 02:35 PM2020-04-15T14:35:52+5:302020-04-15T14:35:52+5:30
देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बुधवार को 377 हो गई जबकि इससे संक्रमित लोगों की कुल संख्या 11,439 है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि संक्रमितों में कम से कम 1,305 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और 9,756 लोगों का अब भी इलाज जारी है।
नई दिल्ली: आजादी के आंदोलन से लेकर अब तक जनता को न्याय दिलाने में वकीलों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, लेकिन कोरोना वायरस अटैक और लॉकडाउन के बाद बड़ा सवाल यह है कि अब वकीलों को न्याय कौन दिलाएगा? अदालतों का काम बंद है, तो जाहिर है कि वकीलों की कमाई भी शून्य पर आ गई है. लॉकडाउन हटने के बाद भी आर्थिक तस्वीर कैसी होगी, कहा नहीं जा सकता है.
इन स्थितियों के बावजूद हो सकता है, कुछ वकील तनावमुक्त लॉकडाउन का समय गुजार लें, तो कई वकील आगे बढ़ कर देश के लिए आर्थिक योगदान भी करें, लेकिन अनेक ऐसे वकील भी हो सकते हैं, जिनके पास घरखर्च चलाने जितना पैसा भी नहीं हो, उनके सामने सामाजिक प्रतिष्ठा बचाना, बड़ा प्रश्नचिन्ह है.
क्योंकि, देश के तमाम वकीलों की सूची उपलब्ध है, इसलिए कोरोना संकट जारी रहने तक केन्द्र सरकार को इनके एकाउंट में एक निर्धारित सम्मान-सहायता राशि प्रतिमाह इस आप्शन के साथ जमा करवानी चाहिए कि यदि उन्हें जरूरत नहीं है तो सरकार को वापस कर दें.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिये लागू देशव्यापी लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने की मंगलवार को घोषणा की, साथ ही प्रस्ताव किया कि जो क्षेत्र हॉटस्पाट में नहीं होंगे और जिनके हॉटस्पाट में बदलने की आशंका भी कम होगी, वहां 20 अप्रैल से कुछ छूट दी जा सकती है. प्रधानमंत्री ने करीब 25 मिनट के राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि दूसरे चरण में लॉकडाउन का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जायेगा.