नई दिल्लीःकोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन जितना इंसानों को परेशान कर रहा है, वहीं के लिए भी मुसीबत लेकर आया है। आवारा पशुओं को सड़क पर या दुकानों के बाहर खाने को मिल जाता था, जिससे वे अपनी भूख मिटा लेते थे। लेकिन इस बंदी ने उनके भी निवाले पर संकट खड़ा कर दिया है। ऐसी मुश्किल घड़ी में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो भूखे आवारा पशुओं को खोज-खोज कर खाना खिला रहे हैं। जानवरों से प्यार करने वाले बहुत से लोग अपने-अपने स्तर पर उन्हें खाना-पानी देने की व्यवस्था कर रहे हैं। कुछ एनजीओ भी इस काम में लगे हुए हैं। कुछ लोग लॉकडाउन में इजाजत लेकर आवारा जानवरों को खाना खिला रहे हैं, तो कुछ लोग छुप-छुप कर।
जानवरों से प्यार करने वाली मेनका गांधी ने खुद भी सभी से ये आग्रह किया है कि वह लॉकडाउन के दौरान आवारा जानवरों के खाने-पीने की व्यवस्था करें। मेनका गांधी हमेशा ही जानवरों के भले की बात करती हैं और उन पर किसी भी तरह का अत्याचार करने वाले के खिलाफ भी खड़ी होती हैं।
लॉकडाउन: लावारिस जानवरों को खाना खिलाने वालों को पास दे रही है असम सरकार
असम सरकार 21दिन के लॉकडाउन के दौरान लावारिस जानवरों को खाना खिलाने वाली संस्थाओं और लोगों को पास जारी कर रही है।अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। रविवार को लॉकडाउन का पांचवां दिन था। अधिकारी ने कहा कि पशु प्रेमियों के लिए पास जारी किए जा रहे हैं लेकिन उन्हें सामाजिक दूरी और दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। पिछले कुछ दिनों से लोगों ने होटलों के बचे हुए भोजन पर पलने वाले लावारिस जानवरों के खाने का प्रबंध करने के लिये सोशल मीडिया पर मुहिम छेड़ रखी थी। लॉकडाउन के दौरान सभी होटल और रेस्टोरेंट बंद होने के कारण ये जानवर भूखे रह जाएंगे।
असम के डिब्रूगढ़ में पशुओं के लिए खाने की व्यवस्था करने वाले वाल्यूंटीयर ने बताया कि वे इस मुश्किल वक्त में आवारा कुत्तों को खाना खिला रहे हैं। एनिमल वेलफेयर पीपल के सह-संस्थापक विनीत कहते हैं, "हम कुत्तों को खाना खिला रहे हैं क्योंकि अभी सभी भोजनालय बंद हैं और कुत्ते भोजन के लिए उन पर निर्भर हैं। हम अन्य जानवरों को भी खाना उपलब्ध कराते हैं।"