क्या केन्द्र सरकार की लापरवाही की सजा राज्यों को मिली है, जिसके कारण आज राजस्थान, महाराष्ट्र जैसे राज्य कोरोना वायरस अटैक के कारण बेहद परेशान हैं.
देशभर में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 23,452 हो गई है, जिनमें 17,915 सक्रिय हैं, 4813 लोग स्वस्थ हो चुके हैं या फिर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जबकि 724 लोगों की मौत हो गई है.
राजस्थान में संक्रमितों की संख्या 2000 पार पहुंच गई है, तो मुंबई में कुल मामले 4589 हो गए हैं, जबकि अब तक 179 लोगों की मौत हो गई है.
कोरोना वायरस अटैक के मामले में भारतीय जनता पार्टी के ही वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस माह की शुरुआत में ट्वीट करके पूछा था कि भारत में विदेशियों के आने पर एक फरवरी को ही रोक क्यों नहीं लगाई गई? स्वामी का मानना है कि अगर एक फरवरी के आसपास ही ऐसा कर दिया जाता तो तबलीगी जमात वाला मामला नहीं होता.
स्वामी ने ट्वीट किया था- तबलीगी मामला नहीं होता यदि एक फरवरी के आसपास विदेशियों के देश में आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया होता. इसके अलावा अगर भारतीय, जो देश वापस आ रहे थे, उनको एयरपोर्ट के नजदीक होटल अधिग्रहित करके 14 दिनों के लिए क्वारांटाइन कर दिया गया होता तो यह स्थिति नहीं पैदा होती. आखिर प्रतिबंध में इतना समय क्यों लगा?
जाहिर है, केन्द्र सरकार से यह लापरवाही हो चुकी है, जिसकी सजा सभी देशवासियों को मिल रही है.
कोरोना वायरस को लेकर ट्वीट तो फरवरी माह में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी किया था, लेकिन उस पर केन्द्र सरकार की ओर से कोई एक्शन नहीं लिया गया, लेकिन क्या केन्द्र सरकार बीजेपी के ही वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी के सवाल का जवाब देगी कि कोरोना संकट के मद्देनजर एक फरवरी को रोक क्यों नहीं लगाई गई थी?