कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंगः युद्ध में आप सैनिकों को नाराज नहीं करते, डाक्टरों को वेतन नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा

By भाषा | Published: June 12, 2020 06:46 PM2020-06-12T18:46:48+5:302020-06-12T18:46:48+5:30

उच्चतम न्यायालय ने वेतन मुद्दे को लेकर सरकार को जमकर फटकार लगाई है। युद्ध में सैनिक को नाराज मत कीजिए। हरसंभव अतिरिक्त धन की व्यवस्था कीजिए।

Coronavirus Delhi lockdown War against covid-19 pandemic do not annoy soldiers Supreme Court said doctors not getting salary | कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंगः युद्ध में आप सैनिकों को नाराज नहीं करते, डाक्टरों को वेतन नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा

डाक्टर हड़ताल पर हैं। दिल्ली में कुछ डाक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं दिया गया है। (file photo)

Highlightsस्वास्थ्यकर्मियों के वेतन का भुगतान नहीं होने जैसे मामलों में अदालतों को शामिल नहीं करना चाहिए और सरकार को ही इसे हल करना चाहिए।पीठ ने कहा कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों में चिकित्सकों को वेतन नहीं दिया जा रहा है। पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये डाकटरों की समस्याओं को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

नई दिल्लीः  कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्सकों को वेतन का भुगतान नहीं करने और उनके रहने की समुचित व्यवस्था नही होने पर कड़ा रुख अपनाते हुये उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा, ‘‘युद्ध के दौरान आप सैनिकों को नाराज मत कीजिये। थोड़ा आगे बढ़कर उनकी शिकायतों के समाधान के लिये कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिये।’’

न्यायालय ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन का भुगतान नहीं होने जैसे मामलों में अदालतों को शामिल नहीं करना चाहिए और सरकार को ही इसे हल करना चाहिए। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये डाकटरों की समस्याओं को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों में चिकित्सकों को वेतन नहीं दिया जा रहा है।

पीठ ने कहा, ‘‘हमने ऐसी खबरें देखीं हैं कि डाक्टर हड़ताल पर हैं। दिल्ली में कुछ डाक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं दिया गया है। इसका ध्यान रखा जाना चाहिए था और इसमे न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होनी चाहिए।’’ न्यायालय इस संबंध में एक डाक्टर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि कोविड-19 के खिलाफ जंग में पहली कतार के योद्धाओं को वेतन नहीं दिया जा रहा या फिर वेतन में कटौती की जा रही है अथवा इसके भुगतान में विलंब किया जा रहा है।

इस चिकित्सक ने 14 दिन के पृथक-वास की अनिवार्यता खत्म करने संबंधी केन्द्र के नए दिशानिर्देश पर भी सवाल उठाये थे। पीठ ने कहा, ‘‘युद्ध में, आप सैनिकों को नाराज नहीं करते। थोड़ा आगे बढ़िये और शिकायतों के समाधान के लिये कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिये। कोरेाना महामारी के खिलाफ चल रहे इस तरह के युद्ध में देश सैनिकों की नाराजगी सहन नहीं कर सकता।’’ केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कुछ बेहतर सुझाव मिलेंगे तो उन्हें शामिल किया जायेगा।

पीठ ने कहा कि आपको और अधिक करना होगा

पीठ ने कहा कि आपको और अधिक करना होगा। आप सुनिश्चित कीजिये कि उनकी चिंताओं का समाधान हो। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के वी विश्वनाथन ने कहा कि अगर कोविड-19 में ड्यूटी कर रहे चिकित्सकों को अस्पतालों के पास ही आवास उपलबध नहीं कराया गया तो उनके परिवार और परिचितों के लिये संक्रमण का खतरा ज्यादा होगा। उन्होंने कहा कि कोविड ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को समुचित पीपीई किट के बगैर संक्रमण का ज्यादा खतरा होगा और आवास की सुविधा के बगैर उनके परिवार के सदस्यों को भी संक्रमण का अधिक खतरा होगा।

पीठ ने मेहता से कहा, ‘‘संभव है कि कोई एक दिन उच्च स्तर पर जंग लड़ रहा हो और कोई निचले स्तर पर । इस समस्या से कैसे निबटा जाये, इसे न्यायालय के समक्ष रखना होगा। आवास के मामले में थोड़ा लचीला रूख अपनाने की जरूरत है।’’ मेहता ने कहा कि सरकार ने हलफनामे में आवास के बारे में सुझाव दिये हैं, अगर और सुझाव मिलते हैं तो उन पर गौर किया जा सकता है। विश्वनाथन ने कहा कि चिकित्सकों का अब वेतन काटा जा रहा है और अगर वे सरकारी आदेश के तहत काम कर रहे हैं तो कोई कटौती नहीं की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘निजी अस्पतालों को भी डाक्टरों के वेतन में कटौती नहीं करनी चाहिए।’’ पीठ ने कहा कि सरकार को इन बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन पर विचार किया जाये। पीठ ने इसके साथ ही इस मामले को 17 जून को आगे सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया। केन्द्र ने डा आरुषि जैन की याचिका पर चार जून को न्यायालय से कहा था कि संक्रमित लोगों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुये निकट भविष्य में उनके लिये बड़ी संख्या में अस्थाई अस्पतालों का निर्माण करना होगा।

केन्द्र ने यह भी दलील दी कि यद्यपि संक्रमण के रोकथाम और नियंत्रण की गतिविधियां लागू करने की जिम्मेदारी अस्पतालों की है लेकिन कोविड- 19 से खुद को बचाने की अंतिम रूप से जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है। केन्द्र ने यह भी कहा था कि 7/14 दिन की ड्यूटी के बाद स्वास्थ्यकर्मियों के लिये 14 दिन का पृथकवास अनावश्यक है और यह न्यायोचित नहीं है।

Web Title: Coronavirus Delhi lockdown War against covid-19 pandemic do not annoy soldiers Supreme Court said doctors not getting salary

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