PNB ने 1.30 करोड़ में खरीदी तीन ऑडी कारें, सरकार ने पीएसयू बैंकों से कहा-कम जरूरी खर्च को टालिए, लागत घटाइए
By भाषा | Published: June 18, 2020 03:32 PM2020-06-18T15:32:39+5:302020-06-18T15:32:39+5:30
सरकार ने बैकों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। सरकार ने कहा कि लॉकडाउन और कोरोना में बेवजह खर्च कम कीजिए। पंजाब नेशनल बैंक ने हाल में अपने शीर्ष अधिकारियों के लिए 1.30 करोड़ रुपये से अधिक की तीन ऑडी कारें खरीदी हैं।
नई दिल्लीः सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कहा है कि कम जरूरी खर्च को टालिए, जिनमें कर्मचारियों के लिए कार खरीदना और अतिथि गृहों की साज-सज्जा शामिल है।
कोरोना वायरस महामारी के बीच वित्तीय संसाधनों का अधिक उत्पादक इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए ऐसा कहा गया है। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों के प्रमुखों को एक विस्तृत सलाह में कहा कि यह आवश्यक है कि बैंक अपने वित्तीय संसाधनों का इस्तेमाल मुख्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए सुनिश्चित करने के उचित उपाय करें। गौरतलब है कि पंजाब नेशनल बैंक ने हाल में अपने शीर्ष अधिकारियों के लिए 1.30 करोड़ रुपये से अधिक की तीन ऑडी कारें खरीदी हैं।
विभाग ने अपनी सलाह में पीएसयू बैंकों से कहा है कि वे चालू वित्त वर्ष में कम जरूरी खर्चों को टाल दें, जिसमें कर्मचारियों के लिए कारें खरीदना भी शामिल है। हालांकि, बहुत जरूरी होने पर ऐसा किया जा सकता है। डीएफएस ने बैंकों से कहा है कि प्रशासनिक कार्यालयों और ऐसे बैंक कार्यालयों, जहां सीधे ग्राहक सेवाएं नहीं दी जाती हैं, वहां साज-सज्जा और नवीनीकरण के खर्चों को भी टाल दिया जाए।
इसके अलावा बैंकों से मुख्य व्यावसायिक गतिविधियों से संबंधित खर्चों के अलावा अन्य खर्चों में उल्लेखनीय कमी करने के लिए भी कहा गया है। इसके अलावा डीएफएस ने बैंकों को यात्रा से बचने और संचार के डिजिटल साधनों को अपनाने के साथ ही स्थानीय स्तर पर उपलब्ध प्रशासनिक अधिकारियों का बेहतर उपयोग करने का निर्देश भी दिया है। विभाग ने भाड़े पर लगे वाहनों के मौजूदा बेड़े की समीक्षा करने का सुझाव भी दिया है।
विश्वबैंक ने भारतीय कंपनी को भ्रष्ट गतिविधियों के लिए चिह्लित किया
विश्वबैंक ने कहा कि उसने कनार्टक और उत्तर प्रदेश में दो सड़क परियोजनाओं से जुड़ी एक भारतीय कंपनी के भ्रष्ट और धोखाधड़ी वाली गतिविधियों में शामिल होने के मामले में उसे दो साल के लिये शर्त के साथ काम करने (नॉन-डिबारमेंट) की मंजूरी दी है।
इसका मतलब है कि कंपनी एगिस इंडिया कंसल्टिंग इंजीनियर्स प्राइवेट लि. विश्वबैंक वित्त पोषित परियोजनाओं में तबतक शामिल होने के लिये पात्र होगी जबतक वह निपटान समझौते के बाध्यताओं को पूरा करेगी। कंपनी पर दूसरी कर्नाटक राज्य राजमार्ग सुधार परियोजना और उत्तर प्रदेश् ‘कोर रोड नेटवर्क डेवलपमेंट प्रोजेक्ट’ में भ्रष्ट और धोखाधाड़ी वाली गतिविधियों में शमिल होने का आरोप है। विश्वबैंक ने कहा कि एगिस इंडिया को सशर्त काम करने की अनुमति दी गयी है और उस पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
वैश्विक निकाय ने कहा कि अगर कंपनी बाध्यताओं को पूरा नहीं करती है, यह प्रतिबंध में बदल जाएगा और उसके बाद पह विश्वबैंक वित्त पोषित किसी भी परियोजना में भाग नहीं ले सकेगी। यह पाबंदी तबतक रहेगी जबतक वह निपटान समझौते की शर्तों को पूरा नहीं करेगी।