कोरोना की ताजा लहर अप्रत्याशित नहीं, स्थिति और भयावह हो सकती है: डॉ अशोक सेठ

By भाषा | Published: November 22, 2020 11:43 AM2020-11-22T11:43:51+5:302020-11-22T11:43:51+5:30

Corona's latest wave is not unexpected, the situation can be more frightening: Dr. Ashok Seth | कोरोना की ताजा लहर अप्रत्याशित नहीं, स्थिति और भयावह हो सकती है: डॉ अशोक सेठ

कोरोना की ताजा लहर अप्रत्याशित नहीं, स्थिति और भयावह हो सकती है: डॉ अशोक सेठ

(ब्रजेन्द्र नाथ सिंह)

नयी दिल्ली, 22 नवंबर राजधानी दिल्ली में कोरोना की ताजा लहर को फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक सेठ अप्रत्याशित नहीं मानते हैं। उनके मुताबिक ठंड के मौसम और इस दौरान बढ़ने वाले प्रदूषण को देखते हुए ऐसी स्थिति की आशंका थी।

उनका कहना है कि आने वाले दिनों में स्थिति में और भयावह हो सकती है। दिल्ली में कोरोना की ताजा स्थिति को लेकर पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित डाक्टर सेठ से भाषा के पांच सवाल और उनके जवाब:

सवाल: दिल्ली में कोरोना संक्रमण की शुरुआत के आठ महीने बाद एक बार फिर संक्रमण के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। क्या वजह मानते हैं आप?

जवाब: वृद्धि अप्रत्याशित नहीं है। हमें इसका अंदाजा था। चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों का भी यही अनुमान था। क्योंकि दो-तीन चीजें इकट्ठी हो रही थी। एक तो ठंड का मौसम आ रहा था। इसमें वैसे ही विषाणुजनित संक्रमण के मामले बढ़ते हैं। इसी समय प्रदूषण भी दिल्ली में बहुत तेजी से बढ़ता है। इसी समय पराली भी जलायी जाती है। मना किए जाने के बावजूद लोगों ने पटाखे छोड़े और प्रदूषण का स्तर बढ़ाया। इस परिस्थिति में अधिक उम्र के लोगों और हृदय, फेफड़े, मधुमेह ओर उच्च रक्तचाप व अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है।

दूसरे चरण में जब दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई थी। उस वक्त अधिकांश लोग पृथकवास के लिए अस्पतालों का रुख कर रहे थे। लेकिन अभी जो लोग अस्पतालों का रुख कर रहे हैं उनमें 75 से 80 प्रतिशत लोग गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंच रहे हैं। इनमें अधिकांश या तो वृद्ध है या किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं। ऐसे लोगों को इंटेसिव केयर यूनिट (आईसीयू) या क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) की ज्यादा जरूरत है। ना मिले तो उनका बचना मुश्किल हो जाता है। यह तो स्थिति आज की है लेकिन इससे भी भयावह स्थिति आगे आने वाली है। क्योंकि इस दौरान लोग इकट्ठे भी बहुत हुए हैं। त्योहारों के दौरान लोगों ने लापरवाहियां भी बरतीं। यहां तक कि लोगों ने मास्क पहनना भी छोड़ दिया जैसे उन्हें लगा कि अब मस्ती करने का समय आ गया। अगले दो-चार हफ्तों में मामले और बढ़ेंगे क्योंकि इस दौरान संक्रमित लोगों से फैलने वाले संक्रमण के मामले तेजी से सामने आएंगे।

सवाल: दिल्ली में स्थिति इतनी बिगड़ी की केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा। अभी जो कदम उठाए गए हैं, उन्हें कितना प्रभावी मानते हैं आप?

जवाब: केंद्र की ओर से उठाए गए कदमों को मैं बहुत महत्वपूर्ण मानता हूं। क्योंकि यह युद्ध जैसी परिस्थिति है। दुश्मन ने दिल्ली को घेर लिया है और वह रोज 8000 लोगों को घायल कर रहा है और 150 लोगों को मार रहा है। इसलिए अब समय आ गया है, सभी के एक साथ होने का। यह आरोप-प्रत्यारोप का समय नहीं है। केंद्र, राज्य, सभी राजनीतिक दल, चिकित्सक और जनता को मिलकर इस लड़ाई में विजय हासिल करनी है।

सवाल: मास्क न पहनने पर 2,000 रूपये का जुर्माना लगाने के फैसले को आप कैसे देखते हैं?

जवाब: मैं इसे बहुत ही उपयुक्त कदम मानता हूं। इसे लेकर भी आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति नहीं की जानी चाहिए। लोगों की लापरवाही भी बढ़ती जा रही है। अभी हमने बिहार में देखा। वहां रैलियों में क्या हो रहा था? रैली हों, चाहे बाजार हों, चाहे दुकानदार हों या राजनेता, सभी को यह समझना चाहिए कि मास्क न सिर्फ उसे सुरक्षित करता है बल्कि दूसरों की भी रक्षा करता है। आपके पास विकल्प है, मास्क पहनो या फिर जुर्माना दो। बेहतर है लोग मास्क का उपयोग करें। मेरा मानना है कि अगले साल फरवरी-मार्च तक देश में कोराना के टीकाकरण की शुरुआत हो जाने की संभावना है। अभी छह महीने और सावधानी बरतनी है। यह छह महीने लोग खुद को ओर अपने परिवार को बचा लेंगे तो आगे का जीवन आसान हो जाएगा।

सवाल: सिरो सर्वेक्षण के चार चरण हो चुके हैं दिल्ली में। ये कितना प्रभावी है?

जवाब: सिरो सर्वे में अभी तक जो आंकड़े आए हैं, उसमें पता चला है कि लगभग 25% तक लोग ही जांच के दायरे में आए हैं। सिरो सर्वे में यह देखना ज्यादा जरूरी है कि 75 प्रतिशत लोगों का सिरो सर्वे ही नहीं हआ है। यह निर्भर करता है कि किस क्षेत्र में और किस तरीके से सर्वेक्षण किए गए, जांच के लिए किस उपकरण का इस्तेमाल हुआ। इस समय ज्यादातर साइलेंट पॉजिटिव हैं जिन्हें हम सुपर स्रपेडर कहते हैं। हमें और सतर्क होना है। अब आगे बढ़ना है तो आरटी-पीसीआर टेस्ट होनी चाहिए। हमें पता होना चाहिए कि कितने लोग प्रभावित हैं। मरीज को भटकना न पड़े इसके लिए व्यवस्था करनी होगी। यह सरकार का काम है।

सवाल: दिल्ली में जिस प्रकार मामले बढ़े हैं, उससे शासन-प्रशासन को क्या सीख लेनी चाहिए और आपके सुझाव क्या होंगे?

जवाब: सबसे बड़ा सुझाव यही है कि सभी को मिलकर काम करना है। हिंदुस्तान में स्वास्थ्य को कभी महत्व नहीं दिया गया और इस क्षेत्र में अवसंरचना विकास पर ध्यान नहीं केंद्रित किया गया। सरकार को अवसंरचना विकास पर जोर देना होगा। इसमें उत्तम गुणवत्ता वाले चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल हैं। कोरोना काल में हमारे चिकित्सकों ने अपने जान की बाजी लगाकर लोगों की सेवा की। उनके योगदान को मैं सलाम करता हूं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Corona's latest wave is not unexpected, the situation can be more frightening: Dr. Ashok Seth

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे