नई दिल्ली: देश भर में जारी कोरोना महामारी के बीच दिल्ली के एलएनजीपी अस्पताल में काम करने वाले कोरोना वॉरियर्स ने सरकारी तैयारी का फंडा फोड़ दिया है। इसके साथ ही वॉरियर्स ने कहा कि दर्जनों लोग गुजरात सदन में रह रहे हैं।
इन लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही उन लोगों ने एएनआई को बताया कि 17 लड़कियों को एक कमरे में रखा जा रहा है। यही नहीं उनके लिए 2 बाथरूम है, जिसको दर्जनों से अधिक लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। यहां साफ सफाई की भी सही व्यवस्था नहीं है।
इससे पहले बीबीसी की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आया था कि जेएनएमसी के डॉक्टरों ने कहा कि उनके पास संदिग्ध मरीज़ों की जांच के लिए पर्याप्त टेस्टिंग किट मौजूद नहीं हैं।
जेएनएमसी के रेज़िडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) के महासचिव डॉक्टर मोहम्मद काशिफ़ ने कहा था कि कोरोना के बढ़ते कर्व को चपटा करने के लिए ज़रूरी है कि हर संदिग्ध की जाँच हो। कई बार कोरना के मरीज़ों के तुरंत लक्षण दिखाई नहीं देते। इसलिए जांच के नतीजों को पुख़्ता बनाने के लिए ज़रूरी है कि नाक और मुँह दोनों से सैम्पल लिया जाए। लेकिन यह स्वॉब आम रुई के टुकड़ों पर नहीं, सिर्फ़ रेलोन के बने टुकड़ों पर लिया जा सकता है।"
जेएनएमसी जैसे महत्वपूर्ण अस्पताल रेलोन के साथ साथ कोरोना की जांच करने वाली पूरी टेस्टिंग किट के लिए जूझ रहे हैं। डॉक्टर काशिफ़ जोड़ते हैं, "कोरोना की जांच करने के लिए ज़रूरी मीडिया और कल्चर अभी हमारे पास पुणे के वाइरलॉजी संस्थान से बनकर आता है।