कोरोना वायरस लॉकडाउन: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रवासी मजदूरों के स्वास्थ्य और प्रबंधन के मुद्दों पर वह विशेषज्ञ नहीं

By भाषा | Published: April 7, 2020 02:45 PM2020-04-07T14:45:34+5:302020-04-07T14:45:34+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजूदरों से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, न्यायालय ऐसी शिकायतों की निगरानी नहीं कर सकता कि किसी आश्रय गृह में कामगारों को दिया गया भोजन खाने योग्य नहीं था।

Corona virus lockdown supreme Court said not expert on health and management issues of migrant laborers | कोरोना वायरस लॉकडाउन: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रवासी मजदूरों के स्वास्थ्य और प्रबंधन के मुद्दों पर वह विशेषज्ञ नहीं

लोकमत फाइल फोटो

Highlightsसरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि प्रवासी मजूदरों की समस्याओं के लिए कॉल सेंटर बनाए गए हैं, मंत्रालय उनकी निगरानी कर रहे हैं.पीठ ने कहा कि वह इस समय बेहतर नीतिगत निर्णय नहीं ले सकती और वैसे भी अगले 10-15 दिन के लिए नीतिगत फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती

सुप्नीम कोर्ट ने मंगलवार (7 अप्रैल) को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के मदेनजर 21 दिन के लॉकडाउन की वजह से पलायन करने वाले कामगारों के स्वास्थ्य और उनके प्रबंधन से जुड़े मुद्दों से निबटने के विशेषज्ञ नहीं है। कोर्ट ने कहा, बेहतर होगा कि सरकार से जरूरतमंदों के लिये हेल्पलाइन शुरू करने का अनुरोध किया जाये।

चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। पलायन करने वाले कामगारों के जीवन के मौलिक अधिकार की रक्षा और लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार हुये श्रमिकों को उनका पारिश्रमिक दिलाने के लिये सामाजिक कार्यकताओं हर्ष मंदर और अंजलि भारद्वाज ने दायर की थी। शीर्ष अदालत ने इससे पहले एक जनहित याचिका पर सरकार से जवाब मांगा था और उसने इस स्थिति से निबटने के बारे में उसके जवाब पर संतोष व्यक्त किया था।

नीतिगत फैसलों में अभी हस्तक्षेप नहीं करना चाहते

पीठ ने कहा था कि सरकार स्थिति पर निगाह रखे है और उसने इन कामगारों की मदद के लिये हेल्पलाइन भी शुरू की है। पीठ ने इस याचिका की सुनवाई13 अप्रैल के लिये स्थगित कर दी और कहा, ‘‘हम सरकार के विवेक पर अपनी इच्छा नहीं थोपना चाहते। हम स्वास्थ्य या प्रबंधन के विशेषज्ञ नहीं है और सरकार से कहेंगे कि शिकायतों के लिये हेल्पलाइन बनाये।’’

पीठ ने कहा कि वह इस समय बेहतर नीतिगत निर्णय नहीं ले सकती और वैसे भी अगले 10-15 दिन के लिए नीतिगत फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती। इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि चार लाख से अधिक कामगार इस समय आश्रय गृहों में हैं और यह कोविड-19 का मुकाबला करने के लिये परस्पर दूरी बनाने का मखौल बन गया है। उन्होने कहा कि अगर उन्हें आश्रय गृहों में रखा जा रहा है और उनमें से किसी एक व्यक्ति को भी कोरोना वायरस का संक्रमण हो गया तो फिर सारे इसकी चपेट में आ जायेंगे।

उन्होंने कहा कि इन कामगारों को अपने अपने घर वापस जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। उनके परिवारों को जिंदा रहने के लिये पैसे की जरूरत है क्योंकि वे इसी पारिश्रमिक पर निर्भर हैं। भूषण ने कहा कि 40 फीसदी से ज्यादा कामगारों ने पलायन करने का प्रयास नहीं किया और वे शहरों में अपने घरों में रहे रहे हैं लेकिन उनके पास खाने पीने का सामान खरीदने के लिये पैसा नहीं है। इस पर पीठ ने कहा कि उसे बताया गया है कि ऐसे कामगारों को आश्रय गृहों में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और ऐसी स्थिति में उन्हें पैसे की क्या जरूरत है।

सरकार दे रही है शिकायतों पर ध्यान

केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार स्थिति पर निगाह रखे है और उसे मिलने वाली शिकायतों पर ध्यान भी दे रही है। इसके लिए कॉल सेन्टर बनाया गया है। गृह मंत्रालय और मंत्री हेल्पलाइन की निगरानी भी कर रहे हैं। इस दौरान पीठ ने कहा कि न्यायालय ऐसी शिकायतों की निगरानी नहीं कर सकता कि किसी आश्रय गृह में कामगारों को दिया गया भोजन खाने योग्य नहीं था। 

Web Title: Corona virus lockdown supreme Court said not expert on health and management issues of migrant laborers

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