कोविड 19 के चलते विदेश में अलग-थलग पड़े भारतीय, कहीं राशन पानी, कहीं महामारी का संकट तो कहीं अकेलापन बना परेशानी
By भाषा | Published: March 22, 2020 11:57 AM2020-03-22T11:57:02+5:302020-03-22T11:58:05+5:30
सुपरमार्केट के बाहर लगी लंबी कतार से कोई घबराया हुआ है तो किसी को छोटा बच्चा संभालने के लिये आया नहीं मिल रही और सब कुछ बंद होने के कारण कोई अकेलेपन से परेशान है , कोविड-19 के प्रकोप के बीच दुनिया भर में जिंदगियां मानों थम सी गई हैं और परदेस में बसे भारतीयों के भी अपने अनुभव है।
सुपरमार्केट के बाहर लगी लंबी कतार से कोई घबराया हुआ है तो किसी को छोटा बच्चा संभालने के लिये आया नहीं मिल रही और सब कुछ बंद होने के कारण कोई अकेलेपन से परेशान है , कोविड-19 के प्रकोप के बीच दुनिया भर में जिंदगियां मानों थम सी गई हैं और परदेस में बसे भारतीयों के भी अपने अनुभव है। ब्रिटेन स्थित सर्रे में रहने वाली आराधना दुबे और उनके पति अंकित दोनों इन दिनों घर से काम कर रहे हैं । इनकी दो साल की बेटी आर्या को घर पर संभालना इनके लिये मुश्किल हो गया है क्योंकि कोविड-19 फैलने के साथ ही आया ने काम छोड़ दिया।
आराधना ने सर्रे से फोन पर भाषा को बताया ,‘‘ हम तो घर से काम कर रहे हैं लेकिन छोटी बच्ची को घर में बांधकर रखना मुश्किल है । आम तौर पर यह क्रेच या नर्सरी में व्यस्त रहती है और इसे खेलने की आदत पड़ी हुई है । लेकिन अब तो सब बंद हो गया है और काफी घबराहट है यहां लोगों में ।’’ उन्होंने कहा कि राशन पानी की भी काफी दिक्कत है, क्योंकि सुपरमार्केट के बाहर लोग कतार लगाकर पहले से ही खड़े हो जाते हैं। ब्रिटेन में कोरोना वायरस के संक्रमण के 4000 से अधिक मामले आये हैं जबकि 150 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक स्पेन की राजधानी मैड्रिड में मास्टर्स कर रही काव्यांजलि कौशिक ने कहा कि अब उतनी घबराहट नहीं है और लोग एक दूसरे का संबल बन रहे हैं। काव्या ने कहा ,‘‘ शुरू में एक दो दिन बहुत घबराहट थी लेकिन फिर लोगों को समझ आ गया कि लड़ाई लंबी है ।
सुपरमार्केट में एक बार में 15 लोगों को सामान दिया जा रहा है और सरकार सबको आश्वस्त कर रही है कि सामान के लिये भीड़ नहीं लगानी है। पुलिस काफी सख्त है और बिना वजह बाहर निकलने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है ।’’ दिल्ली की रहने वाली काव्या ने कहा कि संकट के इस दौर में रोज रात को आठ बजे लोग घर की बालकनी में निकलकर एक दूसरे को उम्मीद बंधाते हैं। इन दिनों ऑनलाइन क्लासेस कर रही काव्या कहा ,‘‘ निश्चित तौर पर परिवार से दूर हूं तो अकेलापन है लेकिन यहां रोज रात को आठ बजे लोग घर से बाहर निकलकर कोरोना संकट से निकालने में जुटे लोगों को धन्यवाद देते हुए तालियां बजाते हैं । इसके बाद नौ बजे मिलकर कुछ देर गाते हैं । इससे अगले दिन से निपटने की ऊर्जा मिल जाती है ।’’ आस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित सर्फ पार्क में अतिथि सेवा विभाग में नियुक्त अनोक्षा सिंह को इसी सप्ताह काम करने का वीजा मिला है और दो महीने पहले ही शुरू हुए स्टार्टअप में कोविड-19 को लेकर निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है।
अनोक्षा ने कहा ,‘‘ हम सभी दफ्तर में सामाजिक दूरी बनाये रखने का पूरा ख्याल रख रहे हैं । यहां वैसे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन सुपरमार्केट में बेसिक राशन नहीं मिल पा रहा, क्योंकि लोग सामान जमा करने में लगे हैं ।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ यहां भारतीय स्टोर काफी है लेकिन उन्होंने दाम बढा दिये हैं । ऐसे में भारतीय छात्रों को दिक्कत आ सकती है लेकिन राहत यह है कि छात्र वीजाधारकों के लिये कामकाज की न्यूनतम सीमा हटा दी गई है और ये छात्र कोल्स या वूलवर्थस जैसे सुपरमार्केट में लगातार काम कर सकते हैं ।’’ यहां भारतीय छात्र फेसबुक के जरिये एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कनाडा के ओंटारियो में अपना सैलून चलाने वाली दिव्या जैन को अप्रैल में माता पिता के पास भारत आना था लेकिन मौजूदा हालात में यह संभव नहीं लगता।उन्होंने कहा ,‘‘ मैने अपने बेटे को छुट्टियां लगने के बाद मार्च में ही भेज दिया था और मुझे अप्रैल में आना था लेकिन अब तो यह संभव नहीं दिख रहा । काम भी बंद है और समय काटे नहीं कट रहा है ।’’