Migrant crisis: रेलवे ने एक मई से अबतक 115 श्रमिक ट्रेन चलाईं, एक लाख से ज्यादा प्रवासियों को मंजिल पर पहुंचाया, UP में 27
By भाषा | Published: May 6, 2020 05:03 PM2020-05-06T17:03:07+5:302020-05-06T17:03:07+5:30
उत्तर प्रदेश अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह एवं सूचना) अविनाश अवस्थी ने कहा कि अब तक लगभग 65 हजार से अधिक लोगों को (श्रमिकों का, कामगारों को, छात्रों को) राज्य में लाया जा चुका है या एक जगह से दूसरे स्थान भेजा जा चुका है।
नई दिल्लीः रेलवे ने बुधवार को बताया कि उसने एक मई से अबतक 115 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं, जिनमें लॉकडाउन की वजह से देश अलग अलग हिस्सों में फंसे एक लाख से ज्यादा लोगों को ले जाया गया। रेलवे ने कहा कि बुधवार को चलने वाली 42 ट्रेनों में से 22 दिन में रवाना हो चुकी हैं। 20 और ट्रेने रात को चलेंगी।
रेलवे ने मंगलवार रात तक कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर लागू किए गए लॉकडाउन के कारण कार्यस्थलों पर फंस गए प्रवासी कामगारों के लिए 88 ट्रेनें चलाई। प्रत्येक विशेष ट्रेन में 24 डिब्बे हैं और हर डिब्बे में 72 सीट हैं। सामाजिक दूरी के नियम का पालन हो, इसके लिए रेलवे एक डिब्बे में 54 यात्रियों को ही बैठाया जा रहा है।
कर्नाटक सरकार ने अगले पांच दिनों में राज्य से चलने वाली 10 ट्रेनों को मंगलवार को रद्द कर दिया। हालांकि राज्य सरकार ने कहा कि बेंगलुरु से बिहार के लिए तीन ट्रेन तयशुदा कार्यक्रम से रवाना होंगी। रेलवे ने अभी तक आधिकारिक तौर पर यह खुलासा नहीं किया है कि इन सेवाओं पर कितना पैसा खर्च हुआ है, हालांकि सरकार ने कहा है कि 85 और 15 के अनुपात में राज्यों के साथ खर्च वहन किया गया।
अधिकारियों ने संकेत दिए हैं रेलवे ने प्रत्येक सेवा पर 80 लाख रुपये खर्च किए। मंगलवार की सुबह तक, गुजरात से करीब 35 ट्रेन रवाना हुईं, जबकि केरल से 13 रेलगाड़ियां रवाना हुईं। पीटीआई-भाषा के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, 13 ट्रेनें बिहार गई हैं और 11 ट्रेनें रास्ते में हैं, जबकि छह और चलाए जाने की योजना है।
आंकड़ों के मुताबिक, 10 ट्रेने उत्तर प्रदेश गई हैं और पांच ट्रेने रास्ते हैं व 12 और चलायी जानी हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने केवल दो ट्रेनों को मंजूरी दी है जिनमें से एक राजस्थान और दूसरी केरल से है। ये ट्रेनें रास्ते में हैं। झाऱखंड चार ट्रेने पहुंची हैं जबकि पांच रास्ते में हैं। ओडिशा में सात ट्रेने पहुंची हैं और पांच रास्ते में हैं।
श्रम आयुक्त कार्यालय के पास फंसे हुए प्रवासी मजदूरों का कोई आंकड़ा नहीं
मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय ने पिछले महीने देश में फंसे प्रवासी मजूदरों की गणना करने का आदेश दिया था लेकिन उसके पास इससे संबंधित कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) कार्यकर्ता को यह जवाब दिया है। राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल से जुड़े आवेदक वेंकटेश नायक ने कहा कि देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर मुख्य श्रम आयुक्त ने आठ अप्रैल को सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को तीन दिन के अंदर फंसे हुए मजदूरों की गणना करने का निर्देश दिया था, इसके बावजूद कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
आयुक्त की ओर से जारी परिपत्र में कहा गया था कि लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर प्रभावित हुए हैं। इसमें कहा गया कि बहुत से प्रवासी मजदूर शरणस्थलों, राज्य सरकारों के राहत शिविरों, अपने कार्यस्थलों और कुछ समूहों में फंसे हुए हैं। ऐसे में तीन श्रेणियों के तहत प्रवासी मजदूरों की गणना किए जाने के आदेश दिए गए थे। नायक ने कहा कि आरटीआई आवेदन दायर करने से पहले करीब दो सप्ताह तक उन्होंने आंकड़े एकत्र करने की कार्यवाही के नतीजे घोषित होने का इंतजार किया।
अपने आवेदन में उन्होंने राज्य के जिलों के नाम समेत वहां फंसे मजदूरों का आंकड़ा जानने की कोशिश की। उन्होंने हर राज्य में परिपत्र की श्रेणियों के मुताबिक महिला और पुरुष प्रवासी मजदूरों की संख्या समेत अन्य सूचनाएं दिए जाने की मांग की थी।
नायक को केंद्रीय जन सूचना अधिकारी की ओर से मिले जवाब में सूचित किया गया कि अपेक्षित जानकारी के आधार पर ऐसा कोई विवरण उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि श्रम विभाग की ओर से प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा एकत्र करने की कवायद शुरू करने के बावजूद संख्या उपलब्ध नहीं होना बेहद चिंताजनक है। नायक ने कहा, ''इस मामले में जल्द सुनवाई की मांग करते हुए हुए मैंने केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष शिकायत दायर की है।''