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लॉकडाउन के 40 दिनः प्रवासी कामगार ने पुलिस पर किया पथराव, मजदूर बोले- पगार नहीं दिया, खाने का ठिकाना नहीं, केरल में राजमार्ग जाम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 4, 2020 16:44 IST

सूरतः बिहार का रहने वाला हूं यहां मील में काम करता हूं। अभी तक हमें मार्च की पगार भी नहीं मिली है। खाने का ठिकाना नहीं है, सरकार ने कोई सुविधा नहीं दी है। पुलिस वाला आता है, मारता है, डराता है और जाता है: प्रवासी मजदूर।

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ठळक मुद्देअधिकारी ने बताया कि घटना सूरत के बाहरी इलाके के वरेली गांव की है। प्रवासी मजदूर मांग कर रहे थे कि उन्हें उनके मूल स्थान पर भेजने का इंतजाम किया जाए। अधिकारी ने बताया कि मजदूरों ने सूरत- कदोदरा सड़क पर खड़ी कुछ गाड़ियों को भी क्षतिग्रस्त किया है।

सूरतः गुजरात में सूरत जिले के एक गांव के पास अपने घर जाने की मांग कर रहे सैकड़ों प्रवासी मजदूरों की सोमवार को पुलिस से झड़प हो गई। प्रवासी मजदूरों ने पुलिस पर पथराव किया, जिसके बाद सुरक्षा कर्मियों ने उनपर आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। एक अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा राजकोट में भी कई मजदूर सड़कों पर उतर आए।

वे मांग कर रहे हैं कि उन्हें उनके घर भेजा जाए। वापस अपने घर नहीं जा सकने वाले कुछ मजदूरों ने सूरत के एक इलाके में अपना सिर मुंडवा लिया। पुलिस के अधिकारी ने बताया कि सूरत के बाहरी इलाके के वरेली गांव के पास सैकड़ों प्रवासी मजदूरों की पुलिस झड़प हो गई। वे मांग कर रहे थे कि उन्हें उनके मूल स्थान पर भेजने का इंतजाम किया जाए। अधिकारी ने बताया कि उन्होंने पुलिस पर पथराव किया। इसके बाद सुरक्षा कर्मियों ने मजदूरों पर आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया।

अधिकारी ने बताया कि मजदूरों ने सूरत- कडोदरा सड़क पर खड़ी कुछ गाड़ियों को भी क्षतिग्रस्त किया है। उन्होंने बताया कि हालात को बाद में नियंत्रित कर लिया गया और इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। इसके अलावा सूरत के पांडेसारा इलाके में सोमवार को 50 प्रवासी मजदूरों ने अपना सिर मुंडवा लिया। ये प्रवासी उत्तर प्रदेश और झारखंड में स्थित अपने मूल स्थान के लिए रवाना नहीं हो सके। उन्होंने दावा किया कि दो दिन पहले उनकी बसों को गुजरात से जाने की अनुमति दी गई थी। लेकिन, बाद में स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने "वैध अनुमति" के अभाव के कारण उन्हें सूरत के कोसांबा में रोक लिया और उनसे वापस जाने के लिए कहा । श्रमिकों ने कहा कि वे बेसब्री से इसका इंतजार कर रहे हैं कि प्रशासन उन्हें घर वापस जाने की अनुमति दे। उनमें से एक ने कहा कि उन्होंने काफी मशक्कत के बाद बस के किराया का इंतजाम किया था, जो उन्हें लौटाया नहीं गया है।

उन्होंने मांग की कि उत्तर प्रदेश और गुजरात की सरकारें आपस में समन्वय करें ताकि वे जल्द जल्द लौट सकें। उन्होंने कहा, " हममें से कई लोगों ने बस के किराए की व्यवस्था करने के लिए अपनी घड़ियां और मोबाइल फोन तक बेच दिए हैं। हम अब भी उसी स्थान पर हैं, जहां से हमारी बसों को चलने की अनुमति नहीं दी गई है। हम यहां फंस गए हैं और अधिकारियों की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है।" राजकोट के बाहरी इलाके में शापर-वेरावल औद्योगिक इलाके में सैकड़ों प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए, वे घर वापस भेजने की मांग कर रहे हैं। पुलिस ने कहा कि उन्होंने मजदूरों को समझा-बुझाकर उनसे प्रदर्शन खत्म कराया औऱ स्थिति को नियंत्रण में लाए।

राजकोट के पुलिस उपायुक्त (जोन-) रवि मोहन सैनी ने कहा, "हम प्रवासियों के रिहायशी इलाकों में उनतक सक्रिय रूप से पहुंचे और उन्हें समझाया है कि उन्हें उन वाहनों में जाने की अनुमति दी जाएगी जिनकी उन्होंने स्वयं व्यवस्था की, लेकिन इससे पहले उनकी चिकित्सा जांच होगी और अन्य औपचारिकताओं को पूरा किया जाएगा। " उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों से हमें शिकायत मिली है कि मकान मालिक किराया मांग रहे हैं और फैक्टरी मालिक तनख्वाह नहीं दे रहे हैं।

सैनी ने कहा कि हम ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई करेंगे। अबतक प्रवासी हमारी बात समझ गए हैं और शांत हैं। कुछ प्रवासी मजदूर घर लौटने वाले फॉर्म को भरने के लिए राजकोट कलेक्टर के दफ्तर पर जमा हो गए और कहा कि उनके पास ना खाना है और ना पैसे हैं। उत्तर प्रदेश के बदायूं के एक मजदूर ने कहा, " जिस फैक्टरी में मैं काम करता हूं, वह बंद है और मैं अपने मूल स्थान पर वापस जाना चाहता हूं। वे कहते हैं कि हमें अपने मूल स्थान लौटने के लिए स्वयं वाहनों की व्यवस्था करनी होगी, लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार हमें ट्रेनों से भेजे। "

घर वापसी की मांग करते हुए प्रवासी श्रमिकों ने राजमार्ग जाम किया

केरल में कोलियांडी के समीप नंदी बाजार में सोमवार को घर वापस भेजने की मांग करते हुए कम से कम 200 श्रमिकों ने राष्ट्रीय राजमार्म पर धरना दिया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि श्रमिक अपनी मांग लेकर सड़क पर धरने पर बैठ गये और कोझिकोड-मंगलुरु राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया। उसके बाद पुलिस ने उन्हें वहां से भगान के लिए लाठीचार्ज किया।

वे इस बात से परेशान थे कि सोमवार को जाने वाली कुछ विशेष ट्रेनें रद्द कर दी गयीं। रेलवे सूत्रों ने बताया कि ट्रेनें इसलिए रद्द की गयीं क्योंकि संबंधित राज्यों से सहमति नहीं मिली। पुलिस और पंचायत के पदाधिकारियों द्वारा यह समझाने-बुलाने पर कि उनकी गृह वापसी शीघ्र सुनिश्चित करने के लिए सभी तरह की कोशिश की जाएगी, प्रदर्शनकारी अपने कैंपों में लौट गये। पिछले दो दिनों में बिहार, झारखंड और ओडिशा के प्रवासी मजदूर ट्रेनों से घर भेजे गये हैं। 

मप्र में फंसे हजारों प्रवासी मजदूर, विशेष ट्रेन के लिए रेलवे को राज्य सरकारों के अनुरोध का इंतजार

कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन के बीच अपने मूल निवास स्थानों के लिये रवाना हुए हजारों प्रवासी श्रमिक पश्चिमी मध्य प्रदेश में फंस गये हैं। रोजगार छिन जाने की चिंताओं, दर-बदर होने के दर्द और घर वापसी की अनिश्चितताओं से घिरे इन लोगों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है।

अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि पश्चिमी मध्य प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर फंसे इन प्रवासी मजदूरों में सबसे बड़ी तादाद पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से पलायन करने वाले अलग-अलग राज्यों के मजदूरों की है जहां कोरोना वायरस ने कहर बरपा रखा है। इनमें से ज्यादातर श्रमिक मुंबई से आगरा को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-तीन के जरिये अपने मूल ठिकानों की ओर रवाना हुए थे। लेकिन मध्य प्रदेश की सीमा में प्रवेश के बाद आगे बढ़ने से रोक दिये गये।

उन्होंने बताया कि बीच रास्ते में फंसे इन मजदूरों में उत्तर प्रदेश के मूल निवासियों का बाहुल्य है। इनमें से कई मजदूर किसी तरह चारपहिया वाहन का जुगाड़ कर अपने गृहप्रदेश के लिये रवाना हुए थे, तो कई लोग मोटरसाइकिलों और साइकिलों से निकल पड़े थे। फंसे मजदूरों में ऐसे लोगों की तादाद भी कम नहीं है जो चिलचिलाती गर्मी के बीच अपने परिवार के साथ सैकड़ों किलोमीटर का मुश्किल सफर तय करने के लिये पैदल ही चल पड़े थे।

अधिकारियों ने बताया कि मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के बिजासन घाट में पुलिस के रोके जाने पर भड़के सैकड़ों प्रवासी मजदूर पिछले चार दिन में राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-तीन पर चक्काजाम और पथराव की घटनाओं को भी अंजाम दे चुके हैं। महाराष्ट्र सीमा पर स्थित इस पहाड़ी इलाके में हर रोज प्रवासी मजदूरों का बड़ा जमघट देखा जा रहा है।

चश्मदीदों के मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-तीन पर बड़वानी के बिजासन घाट से इंदौर शहर के करीब 170 किलोमीटर के रास्ते में भी सैकड़ों प्रवासी मजदूरों को अपने गृहप्रदेश पहुंचने की जद्दोजहद में जुटा देखा जा सकता है। इस बीच, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर और इसके आस-पास के इलाकों में भी सैकड़ों प्रवासी श्रमिक फंसे हैं। वे जल्द से जल्द अपने गृहप्रदेश या मध्यप्रदेश के गृह जिले पहुंचना चाहते हैं। इनमें इंदौर के साथ ही नजदीकी पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की बड़ी तादाद है जहां कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते अधिकांश कल-कारखाने ठप पड़े हैं। फिलहाल इन मजदूरों को आश्रय स्थलों में रखा गया है।

इस बीच, पश्चिम रेलवे के रतलाम रेल मंडल का कहना है कि उसने प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह प्रदेश छोड़ने के लिये इंदौर से विशेष ट्रेनें चलाने की तैयारियां अपने स्तर पर पूरी कर ली हैं। लेकिन ये रेलगाड़ियां चलाने के लिये रेलवे को मध्य प्रदेश या प्रवासी श्रमिकों के गृहप्रदेश की सरकार की तरफ से कोई औपचारिक अनुरोध अब तक प्राप्त नहीं हुआ है।

रतलाम रेल मंडल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी जितेंद्र कुमार जयंत ने बताया, "अगर संबंधित राज्य सरकारों द्वारा रेलवे से औपचारिक अनुरोध किया जाता है, तो हम कोचों में एकदूसरे से दूरी बनाये रखने के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए हर विशेष रेलगाड़ी के जरिये करीब 1,200 प्रवासी श्रमिकों को उनके गृहप्रदेश छोड़ सकते हैं।" जयंत ने बताया कि रेलवे द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने से पहले दो राज्यों के बीच यह सहमति बननी जरूरी होती है कि दोनों सूबे प्रवासी मजदूरों की रवानगी और आमद की व्यवस्थाओं के लिये तैयार हैं। 

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