Corona Crisis: रोजी-रोटी गंवा दी.. अब भूखों मरने की नौबत, इनका दर्द सुन छलक जाएंगे आपके आंसू

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 14, 2020 07:14 AM2020-06-14T07:14:55+5:302020-06-14T07:15:17+5:30

कोरोना वायरस की मार लोगों से अब झेली नहीं जा रही है। देश में सबसे बुरा हाला महाराष्ट्र का है। राज्य में अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है। रोज कमाकर खाने वालों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है। आइये आपको इन लोगों के दर्द से रूबरू कराते हैं।

corona crisis in maharashtra saloon workers coaching teachers collies are in worst condition | Corona Crisis: रोजी-रोटी गंवा दी.. अब भूखों मरने की नौबत, इनका दर्द सुन छलक जाएंगे आपके आंसू

कोरोना वायरस ने महाराष्ट्र में लाखों लोगों का रोजगार छीन लिया।

Highlightsमहाराष्ट्र में सलून एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष सतीश कान्हेरकर ने कहा कि सलून दुकानदार व कारीगरों ने रोजी-रोटी गंवा दी है.कर्ज नहीं चुका पाने से चिंता और बढ़ गई है. सरकार से मांग है कि उनका लॉकडाउन के दौरान जो भी नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करके दे. आर्थिक सहायता दे.

मुंबई। महाराष्ट्र में सलून एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष सतीश कान्हेरकर ने कहा कि सलून दुकानदार व कारीगरों ने रोजी-रोटी गंवा दी है. कर्ज नहीं चुका पाने से चिंता और बढ़ गई है. सरकार से मांग है कि उनका लॉकडाउन के दौरान जो भी नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करके दे. आर्थिक सहायता दे. केश शिल्पी महामंडल के माध्यम से सहायता प्रदान करे. बॉक्स अन्यथा दुकानें शुरू कर देंगे नाभिक एकता मंच के केंद्रीय अध्यक्ष धनंजय वालूरकार ने कहा कि सरकार समाज की भावना को समझते हुए तत्काल पैकेज घोषित करे. केश शिल्पी महामंडल को कार्यान्वित करे अन्यथा जान की परवाह किए बिना दुकानदार काम शुरू कर देंगे. साथ ही सड़कों पर भी उतरेंगे. ऐसे में कुछ हुआ तो सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी. बॉक्स तीव्र आंदोलन करेंगे महाराष्ट्र नाभिक महामंडल के जिला महासचिव राजेंद्र इंगले ने कहा कि राज्य कार्यकारिणी के आदेश के बाद आंदोलन हुए. अन्य संगठनों के आंदोलन को देखते हुए समाज की भावना को सरकार समझे. सरकार ने यदि 72 घंटे में संज्ञान नहीं लिया तो तीव्र आंदोलन करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रहेगा. महाराष्ट्र नाभिक महामंडल के जिलाध्यक्ष सतीश तलवारकर ने कहा कि दुकानदार व कारीगर भूखे मर रहे हैं. यह अधिक समय तक बर्दाश्त करना संभव नहीं है. सरकार ने समय पर फैसला नहीं लिया तो जबरन दुकानें शुरू करनी पड़ेंगी. समाज के लोगों ने अब तक सहयोग किया है. सरकार को उनकी भावना समझनी चाहिए.

कोचिंग क्लासेस शिक्षकों पर भुखमरी की नौबत नागपुर

नागपुर खाजगी शिक्षण संगठन नागपुर ने सरकार से कुछ शर्तों पर कोचिंग क्लासेस शुरू करने की मांग की है. संगठन ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि शहर के कोचिंग क्लास चलाने वाले हजारों शिक्षकों पर भुखमरी की नौबत आ गई है. इन क्लासेस के भरोसे ही निजी शिक्षकों की उपजीविका चलती है लेकिन कोविड-19 के चलते जारी 'लॉकडाउन' से क्लासेस बंद हैं. एडमिशन के समय ही लॉकडाउन होने से विद्यार्थी भी नहीं मिल रहे हैं. इसके कारण शिक्षकों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अनेक कोचिंग क्लासेस किराए की जगह पर चलाए जाते हैं. जगह का किराया और बिजली बिल अदा करना भी मुश्किल हो गया है. सरकार को पैकेज से निजी शिक्षकों को भी कर्ज उपलब्ध कराना चाहिए.

रेलवे स्टेशन के कुलियों पर भूखे रहने की नौबत

रेलवे स्टेशन के कुलियों पर भूखे रहने की नौबत - ऑटो चालक भी आर्थिक संकट में नागपुर : लॉकडाउन में रेल यातायात ढाई महीने से ठप है. 1 जून से रेल प्रशासन ने 200 ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया. इनमें से 14 ट्रेनें नागपुर स्टेशन पर आ रही हैं. लेकिन कोविड संक्रमण के डर से यात्री कुलियों को अपना सामान उठाने नहीं दे रहे हैं. इससे 10 घंटे तक स्टेशन पर काम करने के बाद भी एक कुली की झोली में बमुश्किल 100-150 रुपए ही आ रहे हैं. इससे उन्हें परिवार का भरण-पोषण करने में दिक्कत पेश आ रही है. वहीं, स्टेशन का प्री-पेड ऑटो बूथ बंद होने से ऑटो चालकों पर भी भूखे रहने की नौबत आ गई है. गौरतलब है कि लॉकडाउन के पहले तक नागपुर स्टेशन पर 146 कुली कार्यरत थे. कोविड संक्रमण रोकने के लिए रेलवे में भी लॉकडाउन किए जाने से सभी रेल सेवा बंद हो गई थी. दो महीने रेलवे की कुछ सामाजिक संस्थाओं के कुलियों के लिए राशन का प्रबंध करने से उनका समय कट गया. लेकिन 1 जून से रेल मंत्रालय ने 200 ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है. इनमें से 14 ट्रेनें नागपुर के रास्ते चल रही हैं. वर्तमान में रेलवे स्टेशन पर सुबह 8 से शाम 6 बजे तक 12 कुली और शाम 6 से सुबह 8 बजे तक 12 कुली काम कर रहे हैं. गिनती की ट्रेनें स्टेशन पर आने से और कोविड के डर से यात्रियों द्वारा कुलियों को काम देने में टालमटोल करने से कुली आर्थिक संकट में आ गए हैं. स्टेशन पर काम न मिलने से अन्य कुलियों ने तो स्टेशन पर आना ही बंद कर दिया।

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