पैगंबर पर विवादित बयान के बाद भाजपा ने धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले 38 नेताओं की लिस्ट की तैयार, 27 को दी गई हिदायत: रिपोर्ट
By विनीत कुमार | Published: June 7, 2022 01:25 PM2022-06-07T13:25:41+5:302022-06-07T13:35:32+5:30
भाजपा ने पिछले 8 सालों में विवादित बयान देने वाले अपने 38 नेताओं की लिस्ट तैयार की है। रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 27 लोगों को विवादास्पद बयान देने से बचने की हिदायत दी गई है।
नई दिल्ली: नुपूर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के बाद जारी विवाद के बीच भाजपा अब एक्शन में नजर आ रही है। दरअसल, पार्टी ने धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले अपने ऐसे 38 नेताओं की लिस्ट तैयार है। इनमें से 27 नेताओं को भड़काऊ और विवादास्पद बयान देने से बचने की नसीहत दी गई है।
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार इन नेताओं से से कहा गया है कि वे धार्मिक मुद्दों पर कोई बयान देने से पहले पार्टी से इजाजत ले लें।
सामने आई जानकारी के अनुसार ताजा विवाद के बाद भाजपा ने अपने नेताओं के पिछले 8 साल (सितंबर 2014 से 3 मई 2022 तक) के ऐसे विवादास्पद और भावनाओं को आहत करने वाले बयानों की पूरी लिस्ट IT विशेषज्ञों की मदद से खंगाली है। इसमें करीब 5200 बयान गैर-जरूरी पाए गए है। वहीं, 2700 बयानों के शब्दों को संवेदनशील बताया गया। साथ ही 38 नेताओं के बयानों को धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले वर्ग में रखा गया।
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में साक्षी महाराज, अनंत कुमार हेगड़े, गिरिराज सिंह, संगीत सोम तथागत राय, विनय कटियार, प्रताप सिम्हा, शोभा करंदलाजे, विक्रम सिंह सैनी जैसे भाजपा नेता कई मौकों पर हेट स्पीच वाले बयान देते नजर आए हैं।
बता दें कि नुपूर शर्मा द्वारा एक टीवी शो में पैगंबर पर दिए बयान के बाद विवाद इतना बढ़ा कि मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छा गया। कतर, ईरान और कुवैत जैसे देशों ने भारतीय राजदूतों को भी तलब किया। वहीं, खाड़ी के कई महत्वपूर्ण देशों ने इन टिप्पणियों की निंदा करते हुए अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई।
कुवैत के कुछ सुपरस्टोर्स में भारत में बने सामानों की बिक्री भी रोक दी गई। वहीं, इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने भारत की आलोचना करते हुए मुसलमानों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। इन सबके बीच भारत ने भी जवाब दिया और OIC के बयान को ‘संकीर्ण’ बताया है। भारत की ओर से कहा गया कि कुछ लोगों की टिप्पणी भारत सरकार के विचारों को प्रदर्शित नहीं करती है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिदंम बागची ने कहा कि भारत सभी धर्मों के प्रति सर्वोच्च सम्मान का भाव रखता है और 57 सदस्यीय समूह का बयान निहित स्वार्थी तत्वों की शह पर उसके विभाजनकारी एजेंडे को उजागर करता है।