अवमानना कार्यवाही: सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण को नोटिस जारी किया, 5 अगस्त को सुनवाई

By भाषा | Published: July 22, 2020 07:28 PM2020-07-22T19:28:17+5:302020-07-22T19:28:17+5:30

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने नवंबर, 2009 में प्रशांत भूषण द्वारा एक पत्रिका को दिये गये साक्षात्कार में शीर्ष अदालत के कुछ पूर्व और पीठासीन न्यायाधीशों के बारे में कथित रूप से आक्षेप लगाने के मामले में उन्हें अवमानना का नोटिस दिया था। यह मामला शीर्ष अदालत में अभी तक लंबित है

Contempt proceedings: Supreme Court issues notice to advocate Prashant Bhushan | अवमानना कार्यवाही: सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण को नोटिस जारी किया, 5 अगस्त को सुनवाई

पीठ ने इस मामले में सही पक्षकार ट्विटर इंडिया नहीं बल्कि ट्विटर इंक के होने संबंधी तथ्य का संज्ञान लेते हुये कंपनी को इस बारे में उचित आवेदन दायर करने की अनुमति दे दी।

HighlightsSC ने कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता प्रशांत भूषण को बुधवार नोटिस जारी किया।न्यायालय ने कहा कि उनके बयानों ने पहली नजर में ‘‘न्याय के प्रशासन का अपयश किया है।

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने न्यायपालिका के प्रति कथित आपत्तिजनक ट्वीट करने के कारण न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही के लिये कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता प्रशांत भूषण को बुधवार नोटिस जारी किया। न्यायालय ने कहा कि उनके बयानों ने पहली नजर में ‘‘न्याय के प्रशासन का अपयश किया है।’’ शीर्ष अदालत ने भूषण के हालिया ट्वीट का जिक्र करते हुये कहा कि ये बयान पहली नजर में जनता की नजरों में उच्चतम न्यायालय की संस्था और विशेषकर प्रधान न्यायाधीश के पद की गरिमा और सत्ता को कमतर करने वाले हैं।’’

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया और अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल को भी इसमें सहयोग के लिये नोटिस जारी किया। शीर्ष अदालत ने अवमानना की कार्यवाही के इस मामले में ट्विटर इंक को भी पक्षकार बनाने और उसे इसमें जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हमारी, पहली नजर में, यह राय है कि ट्विटर पर ये बयान न्याय के प्रशासन में अपयश लाये हैं और ये सामान्य रूप में उच्चतम न्यायालय की संस्था और विशेष रूप से प्रधान न्यायाधीश के पद की गरिमा और सत्ता को आम जनता की नजरों में कमतर करते हैं।’’

पीठ ने आदेश में आगे कहा, ‘‘हम इन ट्वीट का स्वत: संज्ञान लेते हैं और स्वत: कार्यवाही दर्ज करते हैं। हम अटॉर्नी जनरल और अधिवक्ता प्रशांत भूषण को भी नोटिस जारी करते हैं।’’ पीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रशासनिक पक्ष में उसके समक्ष एक याचिका पेश की गयी थी कि क्या इसे सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया जाये या नहीं क्योंकि याचिकाकर्ता ने यह याचिका दायर करने के लिये अटॉर्नी जनरल से अनुमति नहीं ली है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘प्रशासनिक पक्ष में मामले के परीक्षण के बाद हमने मामले को न्यायालय में उचित आदेश पारित करने के लिये सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। हमने याचिका का अवलोकन किया है।’’

पीठ ने ‘‘प्रधान न्यायाधीश के बारे में किये गये ’’ट्वीट का हवाला दिया है। पीठ ने भूषण द्वारा 27 जून को किये गये एक अन्य ट्वीट का भी उल्लेख किया है। सुनवाई के दौरान ट्विटर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया ने पीठ से कहा कि ट्विटर इंडिया को इस मामले में गलती से पक्षकार बनाया गया है और इसकी जगह ट्विटर इंक होना चाहिए था।

पीठ ने इस मामले में सही पक्षकार ट्विटर इंडिया नहीं बल्कि ट्विटर इंक के होने संबंधी तथ्य का संज्ञान लेते हुये कंपनी को इस बारे में उचित आवेदन दायर करने की अनुमति दे दी। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि पूवैया का कहना है कि ट्विटर इंक, कैलिफोर्निया, अमेरिका सही वर्णन है जिस पर प्रशांत भूषण ने ट्वीट किये थे।

पीठ ने कहा कि इन्हें जवाब दाखिल करने दीजिये। साथ ही पीठ ने इस मामले को पांच अगस्त को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया। प्रशांत भूषण लगातार न्यायपालिका से जुड़े मसले उठाते रहे हैं और हाल ही में उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान दूसरे राज्यों से पलायन कर रहे कामगारों के मामले में शीर्ष अदालत के रवैये की तीखी आलोचना की थी। भूषण ने भीमा-कोरेगांव मामले में आरोपी वरवर राव और सुधा भारद्वाज जैसे जेल में बंद नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं के साथ हो रहे व्यवहार के बारे में बयान भी दिये थे।

इससे पहले भी उच्चतम न्यायालय ने नवंबर, 2009 में प्रशांत भूषण द्वारा एक पत्रिका को दिये गये साक्षात्कार में शीर्ष अदालत के कुछ पूर्व और पीठासीन न्यायाधीशों के बारे में कथित रूप से आक्षेप लगाने के मामले में उन्हें अवमानना का नोटिस दिया था। यह मामला शीर्ष अदालत में अभी तक लंबित है और न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस प्रकरण में आखिरी बार मई, 2012 में सुनवाई हुयी थी और यह अब 24 जुलाई के लिये सूचीबद्ध है। 

Web Title: Contempt proceedings: Supreme Court issues notice to advocate Prashant Bhushan

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