कोविड से मरने वालों की अंत्येष्टि कर रहे कर्मियों के बीमा कवर पर किया जा रहा विचार:केंद्र

By भाषा | Updated: June 21, 2021 20:29 IST2021-06-21T20:29:48+5:302021-06-21T20:29:48+5:30

Consideration is being given to the insurance cover of the workers performing the last rites of those who died of Kovid: Center | कोविड से मरने वालों की अंत्येष्टि कर रहे कर्मियों के बीमा कवर पर किया जा रहा विचार:केंद्र

कोविड से मरने वालों की अंत्येष्टि कर रहे कर्मियों के बीमा कवर पर किया जा रहा विचार:केंद्र

नयी दिल्ली, 21 जून केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि सरकार कोविड-19 से मरने वाले लोगों की अंत्येष्टि में मदद करने वालों और शवदाह गृहों में काम करने वाले कर्मियों को अग्रिम मोर्चे के अन्य कर्मियों की तर्ज पर बीमा कवर उपलब्ध कराने पर विचार करेगी। साथ ही, इस मुद्दे को ‘वैध चिंता’ बताया।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाश पीठ ने कोविड से मरने वाले लोगों के आश्रितों को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का अनुरोध करने वाली दो याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए यह टिप्पणी की।

पीठ से अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने कहा कि शवदाह गृहों में काम करने वाले लोगों को बगैर किसी बीमा कवर के छोड़ दिया गया है।

इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका दायर करने वाले बंसल ने कहा कि शवदाहगृह के कर्मी इस जानलेवा वायरस से संक्रमित हो रहे हैं और उनकी मौत हो रही है।

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक वैध चिंता है। उन्होंने कहा, ‘‘शवदाह गृहों के सदस्यों को बीमा योजना के दायरे में नहीं लाया गया है। मैं इस पहलू की सुध लूंगा। वर्तमान में 22 लाख स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को बीमा योजना कवर प्राप्त है। ’’

न्यायालय ने केंद्र से सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने कोविड-19 से मरने वाले लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि नहीं देने का फैसला किया था।

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि एकसमान मुआवजा योजना लागू की जानी चाहिए क्योंकि विभिन्न राज्यों द्वारा अलग-अलग राशि का भुगतान किये जाने से लाभार्थियों के मन में किसी भी तरह के मलाल को दूर करने के लिए ‘एकसमान मुआवजा योजना’ लागू की जानी चाहिए।

पीठ ने यह टिप्पणी अधिवक्ता सुमीर सोढी के यह दलील पेश करने पर दी कि महामारी से मरने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों को विभिन्न राज्यों द्वारा अदा की जा रही राशि में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

वह कोविड से जान गंवा चुके लोगों के परिवार के सदस्यों की चार हस्तक्षेप अर्जियों को लेकर उपस्थित हुए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘एक केंद्रीय योजना होनी चाहिए जो सभी मृतकों के लिए एकसमान हो।’’

न्यायालय ने कहा कि आपदाओं से निपटने के विषय पर वित्त आयोग की सिफारिशें आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12 के तहत मुआवजे पर वैधानिक योजनाओं की जगह नहीं ले सकती।

हालांकि, पीठ एक वकील की इस दलील से सहमत नहीं हुई कि अधिनियम के तहत केंद्र को महामारी में मरने वाले लोगों के परिवार को अनुग्रह राशि के तौर पर चार लाख रुपये देने चाहिए।

न्यायालय ने कहा, ‘‘हर आपदा अलग होती है...आप नहीं कह सकते कि प्रत्येक आपदा के लिए एक जैसा मानक अपनाया जाए।

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