गुलाम नबी आजाद से दिग्विजय सिंह का सवाल- राहुल जी के किस पीए ने आपको विपक्ष का नेता बनाने का लिया निर्णय?

By मनाली रस्तोगी | Published: August 27, 2022 01:28 PM2022-08-27T13:28:52+5:302022-08-27T13:29:57+5:30

गुलाम नबी आजाद ने आरोप लगाया कि सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को राहुल गांधी और उनके "निजी सहायकों और सुरक्षा गार्डों" की मंडली ने दरकिनार कर दिया।

Congress's Digvijaya Singh asks Ghulam Nabi Azad that which PA of Rahul Gandhi took the decision to make you the Leader of Opposition | गुलाम नबी आजाद से दिग्विजय सिंह का सवाल- राहुल जी के किस पीए ने आपको विपक्ष का नेता बनाने का लिया निर्णय?

गुलाम नबी आजाद से दिग्विजय सिंह का सवाल- राहुल जी के किस पीए ने आपको विपक्ष का नेता बनाने का लिया निर्णय?

Highlightsकांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में राहुल गांधी की कंकर आलोचना कीकांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आजाद पर निशाना साधासिंह ने ट्विटर पर आजाद से उस निजी सहायक या सुरक्षा गार्ड का नाम बताने को कहा जिसने उन्हें राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनाने का फैसला किया

नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे पत्र में राहुल गांधी की तीखी आलोचना की, जिससे पार्टी में काफी हंगामा हुआ। जहां कांग्रेस महासचिव प्रभारी जयराम रमेश ने आजाद पर अपने "शातिर व्यक्तिगत हमलों" से कांग्रेस नेतृत्व को धोखा देने का आरोप लगाया, तो वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर के नेता लगातार पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने अब अपने पूर्व पार्टी सहयोगी पर उनके इस दावे पर हमला किया है कि सोनिया गांधी सिर्फ एक नाममात्र की मुखिया थीं और सभी बड़े फैसले राहुल गांधी द्वारा लिए गए थे या उनके सुरक्षा गार्डों और पीए से भी बदतर थे। सिंह ने ट्विटर पर आजाद से उस निजी सहायक या सुरक्षा गार्ड का नाम बताने को कहा जिसने उन्हें राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनाने का फैसला किया।

दिग्विजय सिंह ने शनिवार को ट्वीट करते हुए लिखा, "गुलाम नबी आजाद जी भाईजान, आपको राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनाए जाने का निर्णय राहुल जी के किस पीए या सुरक्षा कर्मी ने लिया था? यह भी हमें बता दें।" बताते चलें कि फरवरी 2021 को समाप्त होने वाले अपने कार्यकाल के बाद उच्च सदन में सीट से वंचित होने से पहले गुलाम नबी आजाद लगभग सात वर्षों तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। 

राहुल गांधी गुलाम नबी आजाद की पार्टी की आलोचना के केंद्र में थे और उन्होंने कहा कि कांग्रेस "कोई वापसी नहीं" के बिंदु पर पहुंच गई है। अपने त्यागपत्र में आजाद ने लिखा था, "पूरी संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया एक दिखावा और दिखावा है। देश में कहीं भी किसी भी स्तर पर संगठन के स्तर पर चुनाव नहीं हुए हैं। एआईसीसी के चुने हुए लेफ्टिनेंटों को 24 अकबर रोड में बैठे एआईसीसी चलाने वाली मंडली द्वारा तैयार की गई सूचियों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया है।"

उन्होंने ये भी लिखा, "2019 के चुनाव के बाद से पार्टी की स्थिति और खराब हुई है। विस्तारित कार्यसमिति की बैठक में अपने प्राणों की आहुति देने वाले पार्टी के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों का अपमान करने से पहले राहुल गांधी के 'आशंक' में पद छोड़ने के बाद आपने अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया। एक ऐसा पद जिसे आप आज भी पिछले तीन वर्षों से धारण किए हुए हैं।"

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