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मेकेदातु परियोजना पर राजनीति न करे कांग्रेस, सरकार इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध": ईश्वरप्पा

By भाषा | Updated: November 8, 2021 16:44 IST

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बेंगलुरु, आठ नवंबर कर्नाटक के वरिष्ठ मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने कावेरी नदी पर मेकेदातु परियोजना को साकार करने के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए सोमवार को विपक्षी कांग्रेस से कहा कि वह इस मुद्दे पर राजनीति न करे।

कांग्रेस ने इस परियोजना के त्वरित क्रियान्वयन की मांग को लेकर ‘पदयात्रा’ आयोजित करने का फैसला किया है।

ईश्वरप्पा ने कहा, "मेकेदातु परियोजना कर्नाटक के प्रत्येक नागरिक की दिली इच्छा है। हमने कानून के दायरे में परियोजना को लागू करने का निर्णय लिया है और हम इसे करके रहेंगे। लेकिन पता नहीं कांग्रेस मेकेदातु को अब क्यों याद कर रही है? जब उसकी सरकार सत्ता में थी तो उसने इस पर ध्यान नहीं दिया और अब जब भाजपा सत्ता में है तो वह इसके बारे में बात कर रही है।’’

उन्होंने यहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, "उन्हें (कांग्रेस से) किसने कहा कि हम मेकेदातु परियोजना लागू नहीं करेंगे? अगर आप हर मुद्दे का राजनीतिकरण करते रहेंगे, तो राज्य का विकास संभव नहीं होगा। चाहे हम सत्ता में हों या विपक्ष में, हमने कभी भी मेकेदातु या राज्य के पानी के मसले पर राजनीति नहीं की। मैं उनसे राजनीति न करने की अपील करता हूं।"

ग्रामीण विकास मंत्री ने आगे कहा कि कर्नाटक सरकार निश्चित रूप से यह परियोजना लागू करेगी। इसके बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए।

ईश्वरप्पा रविवार को कर्नाटक कांग्रेस की घोषणा पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें परियोजना के कार्यान्वयन की मांग को लेकर संभवत: दिसम्बर के पहले सप्ताह के दौरान मेकेदातु से बेंगलुरु तक 100 किलोमीटर से अधिक की 'पदयात्रा' आयोजित करने की घोषणा की गई है।

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस की प्रस्तावित पदयात्रा अनुचित है, उन्होंने कहा, "यदि वे इसे राजनीति के लिए करना चाहते हैं और यह दिखाना चाहते हैं कि वे एक विपक्षी दल के रूप में गतिविधियों में शामिल हैं, तो उन्हें ये सब करने दीजिए। भले ही वे पदयात्रा करें या नहीं, हम मेकेदातु परियोजना लागू करेंगे।"

मेकेदातु एक बहुउद्देश्यीय (पेयजल और बिजली) परियोजना है, जिसके तहत रामनगर जिले में कनकपुरा के पास एक जलाशय का निर्माण होना है।

पड़ोसी राज्य तमिलनाडु इस परियोजना का विरोध कर रहा है और आशंका जता रहा है कि अगर परियोजना साकार होती है तो राज्य प्रभावित होगा।

परियोजना पूरी होने के बाद बेंगलुरु और पड़ोसी क्षेत्रों में पेयजल (4.75 टीएमसी) सुनिश्चित हो सकता है और 400 मेगावाट बिजली पैदा हो सकती है। परियोजना की अनुमानित लागत 9,000 करोड़ रुपये है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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