12 जुलाई 2012 को उर्दू दैनिक अखबार इंकलाब में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई जो कई दिनों से चर्चा में बनी हुई है। इस रिपोर्ट में राहुल गांधी के हवाले से लिखा गया है कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है। इंकलाब की रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी ने कहा, 'हां, कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है। अगर बीजेपी कहती है कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है तो ठीक है। इस देश में मुस्लिम कमजोर हैं। और कांग्रेस कमजोरों के साथ खड़ी रहती है। (अनुवाद)' इस रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ एक बंद कमरे में हुई बैठक में ये बातें कही थी।
इंकलाब अखबार में छपने के बाद इसे मुख्यधारा की मीडिया ने हाथों-हाथ लिया। भारतीय जनता पार्टी भी मुद्दे को भुनाने के लिए फौरन हरकत में आ गई। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने अखबार की प्रति के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी। इस दौरान कांग्रेसी नेता लगातार रिपोर्ट का खंडन करते रहे।
14 जुलाई को आजमगढ़ की एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है, वाले बयान पर खासा जोर दिया। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस अध्यक्ष नामदार कांग्रेस को मुस्लिमों की पार्टी कह रहे हैं। उन्हें मुबारक। लेकिन वो सिर्फ पुरुष मुस्लिमों की पार्टी है या महिलाओं की भी?' वरिष्ठ पत्रकार शाहिद सिद्दीकी ने खबर की विश्वनीयता पर सवाल खड़े किए।
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विवाद मचने के बाद सवाल उठता है कि आखिर सच्चाई क्या है? क्या राहुल गांधी ने कांग्रेस को मुस्लिमों की पार्टी कहा, अगर हां तो अब खंडन क्यों कर रहे हैं? अथवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गलत रिपोर्ट का हवाला दिया?
फेक न्यूज की पड़ताल करने वाली वेबसाइट Alt News ने मीटिंग में मौजूद मुस्लिम बुद्दिजीवियों से बात की और सच्चाई जानने की कोशिश की। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील फुजैल अहमद अय्यूबी भी मीटिंग में मौजूद थे। उन्होंने बताया कि ऐसा कोई बयान नहीं दिया गया।
बकौल अय्यूबी, 'यह बेहद हैरान करने वाला है कि बिना किसी सबूत के ऐसी बेबुनियाद खबर पर सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस की आलोचना कर रही है। सच्चाई यह है कि जब राहुल गांधी से यह सवाल पूछा गया कि कांग्रेस पार्टी में मुस्लिमों को लेकर क्या नीतियां है तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए मुस्लिम भी उतने ही मायने रखते हैं जितने अन्य कोई भारतीय। ना कम ना ज्यादा।'
उस बैठक में जेएनयू की प्रोफेसर गजाला जमीर भी मौजूद थी। उन्होंने बताया, 'मीटिंग में गांधी जी ने साफ तौर पर कहा कि मुस्लिम अन्य नागरिकों के बराबर हैं। ना किसी से कम ना ज्यादा। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि पार्टी ने कई गलतियां की हैं जिन्हें सुधारा जाएगा।' लेखक और एक्टिविस्ट फराह नकवी ने उर्दू अखबार की रिपोर्ट को गलत बताया है।
उस मीटिंग में मौजूद अधिकांश नामी-गिरामी लोगों ने उर्दू अखबार की रिपोर्ट को गलत बताया है। कांग्रेस पार्टी भी लगातार इसका खंडन कर रही है। ऐसे में देश की सबसे बड़ी पार्टी और प्रधानमंत्री को रिपोर्ट का हवाला देना उचित नहीं जान पड़ता।
* रिपोर्ट साभार- Alt News
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