सुकमा/नयी दिल्ली, आठ नवंबर छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सोमवार तड़के केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक शिविर में एक जवान ने अपने साथियों पर गोलीबारी कर दी, जिसमें चार जवान मारे गये और तीन अन्य घायल हो गये। पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
राज्य के बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि राज्य की राजधानी से करीब 400 किमी दूर स्थित सुकमा जिले के मरईगुड़ा थाना क्षेत्र के अंतर्गत लिंगनपल्ली गांव में सीआरपीएफ की 50वीं बटालियन की ‘सी’ कंपनी के शिविर में तड़के करीब सवा तीन बजे यह घटना हुई।
अधिकारी ने बताया कि बिहार के जहानाबाद जिला निवासी कांस्टेबल रितेश रंजन (25) ने अपनी एके-47 राइफल से अपने सहकर्मियों पर गोलीबारी की, जिसमें सात जवान घायल हो गए। सभी घायलों को फौरन पड़ोसी तेलंगाना के भद्राचलम जिले के अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने चार जवानों को मृत घोषित कर दिया जबकि तीन जवानों का इलाज चल रहा है।
उन्होंने बताया कि इस घटना में मारे गये चार जवानों में धनजी, राजीब मंडल, राजमणी कुमार यादव और धर्मेंद्र कुमार शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि रंजन की 13 नवंबर से छुट्टी मंजूर हो गई थी। घटना के तुरंत बाद आरोपी कांस्टेबल को पकड़ लिया गया और घटना की वजह का पता लगाने के लिए उससे पूछताछ की जा रही है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘एक शुरूआती जांच से पता चला है आरोपी कांस्टेबल और घटना का शिकार बने जवानों के बीच हाल में कोई झगड़ा नहीं हुआ था। रंजन के पास छुट्टियों और सेवा विषयों से जुड़ा अन्य कोई मुद्दा भी नहीं था। जांच के बाद ही घटना के मकसद का पता चल सकेगा।’’
हालांकि, नयी दिल्ली में सीआरपीएफ ने कहा कि आरोपी जवान कथित तौर पर ‘‘भावनात्मक तनाव’’ से गुजर रहा था, जिस वजह से अचानक उसने मानसिक संतुलन खो दिया।
सुकमा जिले के पुलिस अधीक्षक सुनील शर्मा ने कहा,‘‘ रंजन सुबह चार बजे से शिविर में संतरी की ड्यूटी करने वाला था और इसके लिए तैयार होने के बाद उसने अपने सहकर्मियों पर कथित तौर पर गोलीबारी शुरू कर दी, जो बैरक में सो रहे थे।
उन्होंने बताया, ‘‘उस वक्त बैरक के अंदर करीब 40 से 50 जवान सो रहे थे। रंजन की राइफल की सारी गोलियां खत्म हो जाने के बाद उसे उसके कुछ सहकर्मियों ने काबू कर लिया, जो गोलियों की आवाज सुनकर जाग गये थे।’’
उन्होंने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ में जानकारी मिली है कि रंजन और अन्य जवान पिछले दो-तीन दिनों से एक-दूसरे का मजाक उड़ा रहे थे और एक-दूसरे को चिढ़ा रहे थे। उन्होंने बताया कि ऐसी आशंका है कि रंजन ने इससे नाराज होकर यह कदम उठाया है। हालांकि घटना के कारणों के बारे में सही जानकारी जांच के बाद ही मिल सकेगी।
शर्मा ने बताया कि घायल जवानों को बेहतर इलाज के लिए रायपुर ले जाया जा रहा है। एक अन्य घायल जवान का इलाज भद्राचलम में चल रहा है। उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।
शर्मा ने बताया कि मृतक जवानों का पोस्टमार्टम जगदलपुर के एक मेडिकल कॉलेज में किया गया है और उनके पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह विमान से उनके मूल निवास वाले स्थानों पर भेजे जाएंगे।
उन्होंने बताया कि मृतकों में तीन बिहार से , जबकि एक पश्चिम बंगाल से हैं।
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुकमा जिले के लिंगनपल्ली स्थित सीआरपीएफ शिविर में गोलीबारी की घटना में चार जवानों की मौत होने की घटना पर दुख जताया है। बघेल ने पुलिस अधिकारियों से कहा है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाएं।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस घटना में घायल जवानों के बेहतर इलाज का निर्देश दिया है।
सीआरपीएफ के एक प्रवक्ता ने नयी दिल्ली में कहा, ‘‘ स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और फिर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने घटना के कारण का पता लगाने और उपचारात्मक उपाय के सुझाव देने के लिए जांच के आदेश दिए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि किसी तनाव के कारण कॉन्स्टेबल रितेश रंजन ने अचानक मानसिक संतुलन खो दिया और गुस्से में आकर अपने सहकर्मियों पर गोलियां चला दीं।’’
उन्होंने बताया कि सीआरपीएफ के स्थानीय उप महानिरीक्षक (डीआईजी), 50वीं बटालियन (जहां गोलीबारी हुई) के कमांडेंट और अन्य वरिष्ठ अधिकारी घटना स्थल पर मौजूद हैं।
माओवादियों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए इकाई को इलाके में तैनात किया गया है।
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ सभी घायलों को आवश्यक उपचार मुहैया कराया गया है।’’ जिन घायलों को अतिरिक्त उपचार की आवश्यकता है उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाने की व्यवस्था की जा रही है।
घटना के बारे में अधिक जानकारी और पिछले कुछ दिनों की घटनाओं का पता सीआरपीएफ द्वारा शुरू की गई ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ (सीओआई) के तहत लगाया जा रहा है।
नक्सल विरोधी अभियानों के लिए राज्य में 28 से अधिक बटालियन तैनात करने वाले अर्धसैनिक बल ने हाल ही में अपनी सभी टुकड़ियों को एक पत्र भेजकर उन कर्मियों की पहचान करने को कहा था, जो अवसाद या तनाव में हैं और उन्हें आत्महत्या करने से रोकने तथा किसी साथी पर हमला करने से रोकने के लिए, उन्हें उचित परामर्श देने को कहा था।
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘ ऐसे कर्मियों की हथियार तक आसान पहुंच सुरक्षा बल के लिए एक बड़ी चुनौती है, जो या तो आत्महत्या कर लेते हैं या अपने सहकर्मियों पर हमला कर देते हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए कई विकल्प अपनाए गए, लेकिन फिर भी कोई उचित समाधान अभी तक नहीं मिल पाया है।’’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर ऐसे मुद्दे जो सैनिकों के बीच तनाव और कभी-कभी आत्महत्या का कारण बनते हैं, वे उन समस्याओं से संबंधित होते हैं जिनका वे घर पर सामना करते हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सहकर्मियों की घटनाओं में, यह देखा गया है कि कर्मियों के बीच झगड़ा, मजाक या बहस घातक हत्याओं का कारण बनता है।
छत्तीसगढ़ में पिछले लगभग तीन वर्ष के दौरान आपसी विवाद के बाद अलग-अलग घटनाओं में सुरक्षा बल के 15 जवानों की मौत हो चुकी है।
वर्ष 2019 के जून में बस्तर क्षेत्र के बीजापुर जिले में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के शिविर में गोलीबारी के दौरान दो जवानों की मौत हो गई थी। वहीं 2019 में ही दिसंबर में नारायणपुर जिले में जवानों के बीच हुई गोलीबारी में भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के छह जवानों की मौत हो गई थी।
वर्ष 2018 के बाद से लगभग 3.25 लाख कर्मियों के मजबूत बल में कुल 193 आत्महत्याओं की सूचना मिली है, जिसमें अकेले इस वर्ष 52 घटनाएं दर्ज की गई हैं।
पिछले वर्ष इसी तरह की घटना में नारायणपुर जिले में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के असिस्टेंट प्लाटून कमांडर ने विवाद के बाद अपने सहकर्मियों पर गोलीबारी कर दी थी। इस घटना में दो जवान मारे गए थे। इस वर्ष जनवरी में बस्तर जिले में सीआरपीएफ के जवानों के बीच हुई गोलीबारी में एक जवान की मौत हो गई थी तथा एक अन्य घायल हो गया था।
राज्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस ने पिछले वर्ष जून में सुरक्षाकर्मियों को मानसिक तनाव और अवसाद से बचाने के लिए 'स्पंदन' कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
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