CLAT-2024: सीएलएटी-2024 की तैयारी अंतिम चरण में, एनएलयू ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा-क्षेत्रीय भाषाओं में पेपर कराना असंभव, आखिर वजह
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 8, 2023 05:09 PM2023-07-08T17:09:27+5:302023-07-08T17:11:03+5:30
CLAT-2024: क्षेत्रीय भाषाओं में भी सीएलएटी-2024 आयोजित करने के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) में यह दलील दी गई।
CLAT-2024: राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के समूह ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि सीएलएटी-2024 की तैयारी अंतिम चरण में है और बिना चर्चा के इस वर्ष अतिरिक्त भाषा विकल्पों को पेश करने के लिए किसी भी न्यायिक आदेश के परिणामस्वरूप गंभीर प्रशासनिक और परिचालन मुद्दे होंगे।
साझा विधि प्रवेश परीक्षा (सीएलएटी) वर्तमान में अंग्रेजी में आयोजित की जाती है। शैक्षणिक वर्ष 2024 के लिए परीक्षा दिसंबर में निर्धारित है। समूह ने कहा है कि उसने अतिरिक्त भाषाओं में परीक्षा की पेशकश के मुद्दे का अध्ययन करने और हितधारकों के दृष्टिकोण और संभावित अड़चन की समीक्षा के बाद एक व्यापक खाका तैयार करने के लिए पांच सदस्यीय विधि विश्वविद्यालयों (एनएलयू) के कुलपतियों की एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। क्षेत्रीय भाषाओं में भी सीएलएटी-2024 आयोजित करने के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) में यह दलील दी गई।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कई भाषाओं में सीएलएटी के आयोजन पर गौर करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति को अगस्त में होने वाली अपनी अगली बैठक में निर्णय लेने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने मामले को एक सितंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कानून के छात्र सुधांशु पाठक द्वारा दायर जनहित याचिका में दलील दी गई है कि सीएलएटी (स्नातक) परीक्षा ‘‘भेदभाव’’ करती है और उन छात्रों को ‘‘समान अवसर’’ प्रदान करने में विफल रहती है जिनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि क्षेत्रीय भाषाओं से संबंधित है।
समूह ने अपने जवाब में कहा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सभी प्रत्याशित कठिनाइयों को दूर करने के बाद आने वाले वर्षों में अतिरिक्त भाषाओं में परीक्षा आयोजित करने के लिए उपयुक्त अग्रिम तैयारी करने में सक्षम बनाएगी। समूह ने कहा कि समिति ने 25 जून को अपनी पहली बैठक की और विषय वस्तु से संबंधित कुछ मुद्दे तय किए।
जवाब में कहा गया कि समूह इस मुद्दे पर अधिक बारीकी से गौर करने की आवश्यकता को चुनौती नहीं देता है। हालांकि, यह दिखाने के लिए किसी भी डेटा के अभाव में इस स्तर पर न्यायिक हस्तक्षेप के लिए यह समयपूर्व फैसला होगा कि सभी एनएलयू में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होने के बावजूद पहले से ही छात्रों का एक महत्वपूर्ण समूह अनुसूचित भाषाओं में परीक्षा देना चाहता है।
उच्च न्यायालय ने पूर्व में समूह से पूछा था कि यदि मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जा सकती है, तो सीएलएटी क्यों नहीं। याचिका में कहा गया है कि नयी शिक्षा नीति, 2020 और बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना आवश्यक है।