दिल्ली की तीस हजारी अदालत परिसर में शनिवार दोपहर वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प में 10 पुलिसकर्मी और कुछ वकील घायल हो गए थे, जबकि 17 वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। इस मामले में रविवार (03 नवंबर) को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र, नगर पुलिस प्रमुख, मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है। वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई शुरू करते ही संबंधित पुलिस अधिकारियों को दोपहर तीन बजे अदालत में उपस्थित रहने का आदेश दिया।
बता दें कि पार्किंग को लेकर पुलिस और वकीलों में हुई झड़प में लगभग 80 विचाराधीन कैदी फंस गए थे। पुलिस ने बताया था कि सुनवाई के लिए अदालत लाए गए इन कैदियों को शाम तक लॉकअप में बंद रखा गया था। शाम करीब छह बजे जब स्थिति पर काबू पाया गया तब इन कैदियों को सुरक्षित बारी बारी से तिहाड़ जेल भेज दिया गया था।
इससे पहले पार्किंग के मुद्दे पर कुछ वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच बहस होने के बाद घटना ने गंभीर रूप अख्तियार कर लिया था। झड़प के दौरान एक वाहन में आग लगा दी गई और कई को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। झड़प के बाद घटनास्थल पर भारी संख्या में पुलिसकर्मियों और दंगा रोधी वाहनों को तैनात किया गया था।
वकीलों ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने घटना के दौरान गोली चलाई, जिसमें एक युवक पुलिस की गोलीबारी में घायल हुआ। हालांकि, पुलिस ने इनकार किया कि उसने गोली चलाई। बार एसोसिएशनों ने घटना की निंदा की और चार नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी की सभी जिला अदालतों में एक दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया।
तीस हजारी बार एसोसिएशन के सचिव जयवीर सिंह चौहान बताया था कि एक वकील की कार, पुलिस की जेल वैन को छू गयी जिसके बाद वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच बहस हो गई। इसके बाद उन्हें हवालात ले जाया गया और बुरी तरह पीटा गया। थाना प्रभारी आए लेकिन भीतर जाने नहीं दिया गया। मध्य और पश्चिमी जिले के जिला न्यायाधीश, छह अन्य न्यायाधीशों के साथ वहां गए लेकिन वकील को नहीं निकलवा पाए।