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नागरिकता विधेयकः असम में 2 लोगों की मौत, कर्फ्यू का उल्लंघन, छावनी में तब्दील गुवाहाटी, आमजन सड़क पर

By भाषा | Updated: December 12, 2019 20:20 IST

इस बीच अधिकारियों ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान गोली लगने से घायल दो व्यक्तियों की गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मौत हो गई। असम में राज्यपाल जगदीश मुखी ने गुरुवार को लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की, जहां नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

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ठळक मुद्देउन्होंने अतीत में धैर्य और राजनीतिक परिपक्वता दिखाई है, उसी तरह संयम बनाए रखें।मुखी ने कहा कि संसद में पारित विधेयक से पता चलता है कि केंद्र जरूरी कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।

असम के गुवाहाटी में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस गोलीबारी में घायल हुए दो लोगों की बृहस्पतिवार को मौत हो गई। गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि एक व्यक्ति को ‘‘मृत लाया गया’’ था जबकि एक अन्य की इलाज के दौरान मौत हो गई।

अधिकारी हालांकि मृत लोगों के नाम नहीं बता सके। उन्होंने कहा कि उनकी पहचान नहीं हो सकी है। नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ असम में हजारों की संख्या में लोग कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए सड़कों पर उतर आये। प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़पें भी हुई। असम में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज होने के बीच हजारों की संख्या में लोगों ने बृहस्पतिवार को गुवाहाटी में कर्फ्यू का उल्लंघन किया और सड़कों पर उतरे।

इस बीच अधिकारियों ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान गोली लगने से घायल दो व्यक्तियों की गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मौत हो गई। असम में राज्यपाल जगदीश मुखी ने गुरुवार को लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की, जहां नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

मुखी ने एक बयान में उनसे अपील की कि जिस तरह उन्होंने अतीत में धैर्य और राजनीतिक परिपक्वता दिखाई है, उसी तरह संयम बनाए रखें। उन्होंने कहा, “अगर छात्र समुदाय को सरकार से कोई शिकायत है तो उन्हें विरोध करने का पूरा अधिकार है, लेकिन उन्हें ऐसा कानून-व्यवस्था को हाथ में लिए बिना लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिए।”

मुखी ने कहा कि संसद में पारित विधेयक से पता चलता है कि केंद्र जरूरी कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें असम समझौते के खंड छह को लागू करना शामिल है। इसके तहत वहां के लोकाचार, भाषा और संस्कृति की सुरक्षा शामिल है। 

सेना की टुकड़ियां शहर में फ्लैग मार्च कर रही हैं। प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हुई। पुलिस को लालुंग गांव में प्रदर्शनकारियों पर गोलियां भी चलानी पड़ीं क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने उनपर पथराव किया। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि इस घटना में चार लोग घायल हो गए। हालांकि इस घटना के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। गुवाहाटी एक छावनी में तब्दील हो गया है क्योंकि यहां प्रत्येक नुक्कड़ और चौराहे पर सेना, अर्द्धसैनिक बल और राज्य पुलिस के जवान तैनात हैं।

इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार उनके अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। असमिया और अंग्रेजी भाषा में किये कई ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से और केंद्र सरकार ‘‘धारा छह की भावना के अनुसार लोगों को राजनीतिक, भाषाई, सांस्‍कृतिक और भूमि अधिकारों की संवैधानिक सुरक्षा देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।’’ असम समझौते की धारा छह स्थानीय अधिकारों, भाषा और संस्कृति की सुरक्षा की गारंटी देता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, ‘‘मैं असम के अपने भाइयों और बहनों को आश्वासन देना चाहता हूं कि नागरिकता संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद उन्हें चिंतित होने की जरूरत नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ कोई उनके अधिकारों, विशिष्ट पहचान और खूबसूरत संस्कृति को छीन नहीं सकता।’’ असम के दस जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर लगाई गई रोक की अवधि को बृहस्पतिवार की दोपहर 12 बजे से 48 घंटे के लिए और बढ़ा दिया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि सोशल मीडिया का ‘‘दुरुपयोग’’ रोकने और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने के वास्ते इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाई गई थी। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह और राजनीतिक विभाग) संजय कृष्णा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि लखीमपुर, धेमाजी, तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, चराइदेव, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, कामरूप (मेट्रो) और कामरूप में इंटरनेट सेवाएं बाधित रहेंगी। नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ असम और त्रिपुरा में हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए रेलवे ने असम और त्रिपुरा आने-जाने वाली सभी यात्री ट्रेनों को स्थगित कर दिया और लंबी दूरी वाली ट्रेनों को गुवाहाटी में ही रोका जा रहा है।

रेलवे के प्रवक्ता सुभानन चंदा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में बताया कि सुरक्षा स्थिति को देखते हुए यह फैसला बुधवार रात में लिया गया, जिसके बाद कई यात्री कामाख्या और गुवाहाटी में फंस गए। आरपीएफ के प्रमुख अरुण कुमार ने राष्ट्रीय राजधानी में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि डिब्रूगढ़ के चबुआ में एक रेलवे स्टेशन में बुधवार की देर रात और तिनसुकिया में पानिटोला रेलवे स्टेशन में आग लगाये जाने के बाद रेलवे सुरक्षा विशेष बल (आरपीएसएफ) की 12 कंपनियों को क्षेत्र में भेजा गया है। रेलवे के प्रवक्ता चंदा ने कहा, ‘‘यात्री फंसे हुए हैं और हम उनकी यथासंभव मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। हम इन यात्रियों को लाने के लिए विशेष ट्रेन चलाने पर विचार कर रहे हैं, लेकिन अभी इसका आकलन कर रहे हैं कि क्या खतरा उठाना उचित है।’’

कोलकाता हवाई अड्डे के एक अधिकारी ने बताया कि गुवाहाटी समेत पूर्वोत्तर को जाने वाली कई उड़ानों को रद्द किया गया है या उनके समय में बदलाव किया गया है। प्रदर्शनों के जारी रहने के बीच केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने निजी उपग्रह टीवी चैनलों को एक परामर्श जारी कर ऐसी सामग्री प्रसारित करने को लेकर सतर्क किया है जो हिंसा भड़का सकती है, ‘‘राष्ट्र विरोधी प्रवृत्ति’’ को बढ़ावा दे सकती है तथा जिसमें ऐसा कुछ हो जो देश की अखंडता को प्रभावित करे। कुछ टीवी चैनलों ने बुधवार को संसद में पारित हुए इस विधेयक के खिलाफ पूर्वोत्तर में हिंसक प्रदर्शनों की फुटेज प्रसारित की जिसके बाद यह परामर्श जारी किया गया। स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने राज्य पुलिस रैंक में कुछ बदलाव किये हैं।

गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त दीपक कुमार को हटा दिया गया है और उनके स्थान पर मुन्ना प्रसाद गुप्ता को नियुक्त किया गया है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) मुकेश अग्रवाल का स्थानांतरण एडीजीपी (सीआईडी) के रूप में किया गया और जी पी सिंह को उनका प्रभार दिया गया है। पुलिस को गुवाहाटी-शिलांग रोड सहित अन्य इलाकों में भी गोलियां चलानी पड़ी। ये क्षेत्र युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो चुके हैं क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने दुकानों और इमारतों में तोड़फोड़ करने के साथ ही सड़कों पर टायर जलाए। प्रदर्शकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प भी हुई है। छात्र संगठन आसू और किसान संगठन केएमएसएस ने लताशील मैदान में लोगों को जुटने का आह्वान किया था।

इसमें सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। प्रतिबंध के बावजूद भी इस रैली में फिल्म और संगीत क्षेत्र की कई हस्तियों ने हिस्सा लिया। कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ जुबिन गर्ग भी सभा में शामिल हुए। आसू के सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने इस सभा में कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस विधेयक का पारित होना सुनिश्चित कराके असम के लोगों के साथ धोखा किया है।’’ आसू और नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (एनईएसओ) के नेताओं ने कहा कि वह हर साल 12 दिसंबर को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाएंगे। एक अधिकारी ने बताया कि डिब्रूगढ़ के चबुआ में स्थानीय विधायक विनोद हजारिका के आवास को जला दिया गया। इमारत में खड़े वाहनों को प्रदर्शनकारियों ने जला दिया।

कामरूप जिले में कार्यालय, स्कूल और कॉलेज पूरी तरह से बंद रहे। यहां दुकानें बंद हैं और राष्ट्रीय राजमार्ग 31 सहित विभिन्न मार्गों पर सड़कों से गाड़ियां नदारद हैं क्योंकि इसे बंद किया जा रहा है। पुलिस ने बताया कि उन्हें रंगिया शहर में तीन गोलियां चलानी पड़ीं क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने उन पर पत्थर और जले हुए टायर फेंके। शहर के कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज भी हुआ। उपायुक्त रोशनी कोरती ने बताया कि जोरहाट जिले में रात में हिंसा की घटनाओं को रोकने के वास्ते शाम छह बजे से सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लगाया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस को गोलाघाट जिले में भी हवा में गोलियां चलानी पड़ीं क्योंकि प्रदर्शकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 39 बंद कर रखा था और पुलिस उन्हें तितर-बितर करने का प्रयास कर रही थी। अधिकारियों ने बताया कि राज्य के विभिन्न इलाकों में सेना की पांच टुकड़ियां तैनात हैं और वे गुवाहाटी, तिनसुकिया, जोरहाट और डिब्रूगढ़ में फ्लैग मार्च कर रही हैं। उन्होंने बताया कि असम से आने-जाने वाली कई ट्रेनें और उड़ानें स्थगित कर दी गई हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा कि सड़क परिवहन व्यवस्था ठप होने के कारण डिब्रूगढ़ हवाई अड्डे पर यात्रियों की आवाजाही भी प्रभावित रही।

मंत्रालय ने कई ट्वीट करके कहा कि फंसे हुए यात्रियों को चरणबद्ध तरीके से बाहर निकाला जा रहा है। नागरिकता (संशोधन) विधेयक बुधवार को राज्यसभा में पारित हो गया। इससे पहले यह विधेयक सोमवार को लोकसभा में पारित हो चुका है। इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी - हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। 

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