नागरिकता संशोधन बिल: कांग्रेस MP अधीर रंजन चौधरी ने उठाए सवाल, कहा-ये बिल अल्पसंख्यक लोगों के खिलाफ
By स्वाति सिंह | Published: December 9, 2019 01:03 PM2019-12-09T13:03:36+5:302019-12-09T13:03:36+5:30
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश किया जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता बिल को पेश किया। इस पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा 'नागरिकता संसोधन बिल सिर्फ हमारे देश के अल्पसंख्यक लोगों पर लक्षित कानून के अलावा कुछ नहीं है"।
चौधरी ने कहा 'ये बिल अल्पसंख्यक और संविधान के खिलाफ है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि इससे आर्टिकल 13, आर्टिकल 14 को कमजोर किया जा रहा है। ।इस बात का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने ये बिल कहीं पर भी इस देश के अल्पसंख्यकों के .001 प्रतिशत भी खिलाफ नहीं है।
Union Home Minister Amit Shah in Lok Sabha, to Opposition on #CitizenshipAmendmentBill2019 : I will answer all questions on the Bill. Tab House se walkout mat karna. https://t.co/x6fZwdN3Lipic.twitter.com/qYi72NonZl
— ANI (@ANI) December 9, 2019
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी):
-यह बिल नागरिकता बिल 1955 में संशोधन करता है, जिससे चुनिंदा श्रेणियों में अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने का पात्र बनाया जा सके।
-नागरिकता संशोधन बिल का उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत आने वाले छह समुदायों-हिंदू, सिख, जैन बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देना है।
-इस बिल में इन छह समुदायों को ऐसे लोगों को भी नागरिकता देने का प्रस्ताव है, जो वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना ही भारत आए गए थे या जिनके दस्तावेजों की समय सीमा समाप्त हो गई है।
-अगर कोई व्यक्ति, इन तीन देशों से के उपरोक्त धर्मों से संबंधित है, और उसके पास अपने माता-पिता के जन्म का प्रमाण नहीं है, तो वे भारत में छह साल निवास के बाद भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
-ये संशोधित बिल उन लोगों पर लागू होता है, जिन्हें धर्म के आधार पर उत्पीड़न की वजह से भारत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
-इस बिल का उद्देश्य ऐसे लोगों को अवैध प्रवास की कार्यवाही से बचाना भी है।
क्या है नागरिकता संशोधन बिल के लिए योग्य होने की कट ऑफ डेट
-इस बिल के तहत भारत की नागरिकता के लिए योग्य होने की कट ऑफ डेट 31 दिसंबर 2014 है। इसका मतलब है कि इन छह समुदायों के लोगों को इस तारीख या इसके पहले भारत में प्रवेश किया हुआ होना चाहिए। वर्तमान कानून के मुताबिक, नागरिकता या तो भारत में पैदा होने वाले लोगों या देश में कम से कम 11 साल रहने वाले लोगों को दी जाती है।
कहां लागू नहीं होगा नागरिकता संशोधन बिल
-इस नागरिकता बिल में दो अपवाद जोड़े गए हैं। सीएबी छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में लागू नहीं होगा (जो स्वायत्त आदिवासी बहुल क्षेत्रों से संबंधित है), जिनमें असम, मेघायल, त्रिपुरा और के क्षेत्र मिजोरम शामिल हैं।
-साथ ही ये बिल उन राज्यों पर भी लागू नहीं होगा जहां इनर लाइन परमिट है (अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम)।
क्या है इस बिल से सरकार का उद्देश्य
-संशोधित बिल में लिखा है, 'नागरिकता संशोधन अधिनियम 1955 में प्रस्तावित संशोधनों से भारतीय नागरिकता की सुविधा का विस्तार एक विशिष्ट वर्ग के लोगों के लिए होगा, जो वर्तमान में नागरिकता प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।'
-यह बिल सरकार को किसी के ओसीआई (सिटीजंश ऑफ इंडिया) कार्ड के पंजीकरण को रद्द करने में भी सक्षम बनाएगा यदि वे नागरिकता कानून या किसी अन्य कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।
विपक्षी दल क्यों कर रहे हैं विरोध, जानें सरकार का तर्क
विपक्षी दल नागरिकता संशोधन विधेयक को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने मुस्लिमों को इससे बाहर रखकर उनके साथ भेदभाव किया है।
वहीं सरकार का कहना है कि इसमें शामिल छह समुदाय ही इस्लामिल बहुलता वाले पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक हैं, जहां उनके साथ धर्म के आधार पर अत्याचार किया जाता है, ऐसे में ये भारत का कर्तव्य है कि वह धार्मिक उत्पीड़नका शिकार लोगों को शरण दे।