उद्योगमंडल ने सरकार को दिया था सस्ती दर पर कर्ज सुलभ करने का सुझाव, बात नहीं मानने पर गईं लोगों की नौकरियां: CII अधिकारी
By भाषा | Published: May 24, 2020 08:40 PM2020-05-24T20:40:19+5:302020-05-24T20:40:19+5:30
कोरोना लॉकडाउन के कारण बड़े पैमाने पर लोगों ने अपनी नौकरियां खो दी हैं, जिसके बाद प्रमुख उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने कहा कि अगर वेतन भुगतान के लिए कंपनियों को सस्ते कर्ज की सुविधा दिला जाती तो कई क्षेत्रों में नौकरियां बचाई जा सकती थीं।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी और ‘लॉकडाउन’ के चलते बड़े पैमाने पर लोगों को नौकरी से निकाले जाने की रिपोर्ट्स के बीच देश के प्रमुख उद्योगमंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) का कहना है कि कंपनियों को वेतन भुगतान के लिए सस्ते कर्ज की सुविधा दिला कर कई क्षेत्रों में नौकरियां बचाई जा सकती थीं।
सीआईआई के एक शीर्ष अधिकारी ने रविवार को कहा कि उद्योगमंडल ने सरकार को कंपनियों के लिये वेतन भुगतान बिल के बराबर 3 से 6 महीने के लिये सस्ती दर पर कर्ज सुलभ करने का सुझाव दिया था ताकि कंपनियां वे अपने कामगारों को समय पर पारिश्रमिक का भुगतान कर सकें। पर ऐसा हुआ नहीं। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने ‘भाषा’ के एक सवाल पर कहा कि वर्तमान संकट में देश के कृषि क्षेत्र में चीजें बेहतर नजर आयी और इसने एक भरोसा दिया है।
बनर्जी ने मौजूदा संकट में बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां जाने, सरकार के आर्थिक पैकेज समेत विभिन्न मुद्दों से जुड़े सवालों पर उद्योग मंडल के विचार रखे। सरकार के आर्थिक पैकेज के बारे में सीआईआई महानिदेशक बनर्जी ने कहा, ‘‘वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान प्रोत्साहन और सुधारवादी उपायों का एक अच्छा मिश्रण है। निश्चित रूप से इसका न केवल अल्पकाल में बल्कि मध्यम से दीर्घकाल में अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा।’’
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 संकट के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को उबारने और उसे पटरी पर लाने के लिये सरकार ने हाल में 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया। इसमें लघु उद्योगों को 3 लाख करोड़ रुपये का बिना किसी गारंटी के सस्ता कर्ज सुलभ कराने, गैर-बैंकिंग कंपनियों को नकदी बढ़ाने के उपायों के साथ बिजली, कृषि समेत विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सुधार की बात कही गयी है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘यह सही है कि आर्थिक पैकेज के तहत जिन सुधारों की घोषणा की गयी है, उसमें से ज्यादातर का प्रभाव मध्यम से दीर्घावधि में पड़ेगा। हालांकि कुछ अल्पकालीन उपायों की भी घोषणा की गयी है, जैसे छोटे उद्यमों के लिये कर्ज की गारंटी (3 लाख करोड़ रुपये का बिना किसी गारंटी के कर्ज सुलभ करना)।’’ बनर्जी ने कहा, ‘‘इससे कोविड-19 संकट से सर्वाधिक प्रभावित एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र को आसानी से कर्ज सुलभ होगा। इससे निवेश बढ़ेगा, लोगों को रोजगार मिलेगा और मांग को गति मिलेगी। अंतत: अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।’’
विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर लोगों को नौकरी से निकाले जाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में सीआईआई के महानिदेशक ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस संकट के दौरान लोगों की नौकरियां और आजीविका बचाये रखने के लिये कदम उठाये जाने चाहिए थे और इसकी जरूरत है। सीआईआई ने सरकार को वेतन समर्थन कार्यक्रम का सुझाव दिया था जिसके तहत कंपनियों को 3 से 6 महीने के लिये सस्ती दर पर कर्ज लेने की सुविधा मिलती ताकि वे अपने कामगारों को समय पर वेतन का भुगतान कर सके पर ऐसा हुआ नहीं है। अगर ऐसा होता तो संभवत: नौकरियां कुछ हद तक सुरक्षित रहती।’’
हाल के दिनों में बेरोजगारी दर में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है और सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार तीन मई को समाप्त सप्ताह के दौरान यह बढ़कर 27.11 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक नियमित वेतन पाने वालों की संख्या में भी अप्रत्याशित कमी आई है। 2019-20 में जहां उनकी संख्या 8.6 करोड़ थी तो अप्रैल 2020 में वह घट कर 6.8 करोड़ रह गई।
कृषि क्षेत्र के बारे में बनर्जी ने कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था के लिये कृषि क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है और यह ऐसा क्षेत्र है जहां चीजें बेहतर नजर आयी और इसने एक भरोसा दिया है। वित्त मंत्री ने अपने आर्थिक पैकेज में कृषि बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिये अच्छा काम किया है। क्षेत्र के लिये व्यापक बदलाव (आवश्यक वस्तु अधिनियम से कृषि जिंसों को हटाने और किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की आजादी आदि) की घोषणा की गयी है जिससे कृषि उत्पादों के विपणन की बाधाएं दूर होंगी।’’
मौजूदा समय में प्रवासी मजदूरों की समस्या और उद्योग की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस संकट की घड़ी में जहां तक संभव हुआ उद्योग ने सामुदायिक रसोई स्थापित कर और अस्थायी तौर पर रहने की व्यवस्था कर राहत उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। मध्यम अवधि के लिये उद्योग का सुझाव है कि असंगठित क्षेत्र में काम करनेवाले श्रम बल को सामाजिक सुरक्षा योजना के दायरे में लाया जाए।’’ बनर्जी ने कहा, ‘वित्त मंत्री ने श्रमिकों के लिये सस्ता किराये का मकान बनाने की योजना घोषणा की है, यह एक अच्छा प्रस्ताव है और इसे तत्काल क्रियान्वित किया जाना चाहिए।’’