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चिन्मयानंद मामले में पीड़ित छात्रा की मुश्किल बढ़ी, खुद की गिरफ्तारी पर की थी रोक लगाने की मांग, हाईकोर्ट ने किया इनकार

By भाषा | Updated: September 24, 2019 06:25 IST

मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सीलबंद लिफाफे में दो न्यायाधीशों की पीठ को अपनी रिपोर्ट सौंपी। न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति रानी चौहान की पीठ ने इस मामले में अब तक की जांच पर संतोष जताया और आगे की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 22 अक्टूबर, 2019 की तारीख तय की।

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ठळक मुद्देअदालत ने कहा, ‘‘यदि पीड़ित छात्रा इस संबंध में कोई राहत चाहती है तो वह उचित पीठ के समक्ष नयी याचिका दायर कर सकती है।’’अदालत ने कहा, ‘‘यह पीठ इस मामले में केवल जांच की निगरानी करने के लिए नामित की गई है और गिरफ्तारी के मामले में रोक लगाने का कोई आदेश पारित करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।’’

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के मामले में अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग वाली शाहजहांपुर की पीड़ित छात्रा की अर्जी पर किसी भी तरह की राहत देने से सोमवार को इनकार कर दिया। उधर, शुक्रवार को गिरफ्तार हुए चिन्मयानंद को सोमवार को शाहजहांपुर जेल से लखनऊ के एक अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी हृदय संबंधी समस्याओं के लिये एंजियोग्राफी की गई। 

मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सीलबंद लिफाफे में दो न्यायाधीशों की पीठ को अपनी रिपोर्ट सौंपी। न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति रानी चौहान की पीठ ने इस मामले में अब तक की जांच पर संतोष जताया और आगे की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 22 अक्टूबर, 2019 की तारीख तय की। चिन्मयानंद से कथित तौर पर जबरन वसूली का प्रयास करने को लेकर एसआईटी के उसके खिलाफ मामला दर्ज करने और तीन लोगों को गिरफ्तार करने के बाद पीड़ित छात्रा ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी। 

हालांकि, अदालत ने कहा, ‘‘यदि पीड़ित छात्रा इस संबंध में कोई राहत चाहती है तो वह उचित पीठ के समक्ष नयी याचिका दायर कर सकती है।’’ अदालत ने कहा, ‘‘यह पीठ इस मामले में केवल जांच की निगरानी करने के लिए नामित की गई है और गिरफ्तारी के मामले में रोक लगाने का कोई आदेश पारित करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।’’ इस मामले की सुनवाई के समय पीड़ित छात्रा भी अदालत में मौजूद थी। 

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय को निर्देश दिया था कि वह मामले की जांच की निगरानी करे। उत्तर प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत के निर्देश पर एसआईटी का गठन किया था। इस बीच,चिन्मयानंद को सोमवार को इलाज के लिए लखनऊ के एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया, जहां उनकी ‘एंजियोग्राफी’ की गई। उनके हृदय की धमनियों में कोई अवरोध (ब्लॉकेज) नहीं पाया गया। 

संजय गांधी पीजीआई के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ अमित अग्रवाल ने कहा, ‘‘सीने में दर्द और कम रक्तचाप की शिकायत के बाद उन्हें (चिन्मयानंद को) सोमवार सुबह साढे़ ग्यारह बजे भर्ती कराया गया। उनके हृदय की एंजियोग्राफी और अन्य परीक्षण किये गये। उनके हृदय (की धमनियों) में कोई भी ब्लॉकेज नहीं पाया गया, इसलिये उनकी एंजियोप्लास्टी की कोई जरूरत नहीं है।'' 

डॉ अग्रवाल ने कहा, ‘‘चार पांच दिन के इलाज के बाद उनकी एक बार फिर जांच की जाएगी। वह अभी चार-पांच दिन पीजीआई के एमआईसीयू (मेडिकल इंटेसिव केयर यूनिट) में भर्ती रहेंगे। डाक्टरों की एक टीम उनके स्वास्थ्य की लगातार निगरानी करेगी। उनकी हालत फिलहाल स्थिर है।’’ इससे पहले, संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट (एसजीपीजीआई) के निदेशक डा राकेश कपूर ने बताया था कि शाहजहांपुर से चिन्मयानंद के पहुंचने पर उन्हें तुरंत हृदयरोग विभाग के एमआईसीयू में भर्ती कराया गया। 

जेल अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया था कि चिन्मयानंद के वकील ने 20 सितंबर को सीजेएम अदालत को एक अर्जी देकर उन्हें बेहतर इलाज के लिए लखनऊ भेजने की इजाजत देने का अनुरोध किया था। उधर, उच्च न्यायालय ने पीड़िता की दूसरी प्रार्थना भी अस्वीकार कर दी जिसमें उसने मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज कराये गए बयान को ठीक नहीं बताते हुए नया बयान दर्ज कराने की उसे अनुमति देने की मांग की थी। 

अदालत ने कहा कि नये बयान के लिए आवेदन में संबंधित मजिस्ट्रेट के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया है औऱ न ही पीड़ित छात्रा ने नया बयान दर्ज कराने के लिए कोई प्रावधान दर्शाया गया है। अदालत ने कहा कि केवल यह आरोप लगाया गया है कि उसके बयान के प्रत्येक पेज पर उसके हस्ताक्षर नहीं लिये गये और केवल अंतिम पेज पर हस्ताक्षर लिये गये और उसका बयान दर्ज किए जाते समय एक महिला मौजूद थी। इस पर अदालत ने कहा कि उस महिला द्वारा किसी तरह का हस्तक्षेप किए जाने संबंधी आरोप न होने से ऐसा लगता है कि चैंबर में महिला की मौजूदगी केवल इसलिए थी ताकि पीड़ित छात्रा अपना बयान दर्ज कराने के दौरान सहज और सुरक्षित महसूस कर सके। 

इससे पूर्व एसआईटी ने अदालत के समक्ष एक सीलबंद लिफाफे में जांच की प्रगति रिपोर्ट और केस डायरी पेश की। इस प्रगति रिपोर्ट का सारांश देखने के बाद अदालत ने पाया कि एसआईटी की जांच सही ढंग से चल रही है और पीड़ित छात्रा ने अपने आवेदन में एसआईटी द्वारा जांच में किसी तरह की अनियमितता का आरोप नहीं लगाया है। 

उच्च न्यायालय ने पहले आदेश दिया था कि विशेष जांच दल (एसआईटी) का एक जिम्मेदार सदस्य जांच की प्रगति की रिपोर्ट दाखिल करेगा। अपर पुलिस अधीक्षक अतुल कुमार श्रीवास्तव अदालत में मौजूद थे। गौरतलब है कि शाहजहांपुर स्थित स्वामी सुखदेवानंद विधि महाविद्यालय की एलएलएम की एक छात्रा ने 24 अगस्त को एक वीडियो पोस्ट कर चिन्मयानंद पर गंभीर आरोप लगाए थे। बाद में मीडिया के समक्ष उसने चिन्‍मयानंद पर बलात्‍कार का आरोप लगाया था। उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश पर गठित एसआईटी प्रकरण की जांच कर रही है।

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