चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में दुस्साहस का अप्रत्याशित परिणाम भुगत रही है: सीडीएस रावत
By भाषा | Published: November 6, 2020 06:07 PM2020-11-06T18:07:37+5:302020-11-06T18:07:37+5:30
नयी दिल्ली, छह नवंबर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) भारतीय सशस्त्र बलों की ‘‘कड़ी एवं मजबूत’’ प्रतिक्रिया के कारण पूर्वी लद्दाख में अपने दुस्साहस का ‘‘अप्रत्याशित परिणाम’’ भुगत रही है।
जनरल रावत ने कहा कि सीमा पर झड़पों, अतिक्रमण और बिना उकसावे की सामरिक सैन्य कार्रवाइयों के बड़े संघर्षों में बदलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने एक डिजिटल सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं और भारत का रुख ‘‘स्पष्ट’’ बना हुआ है।
जनरल रावत ने कहा कि देश एलएसी में किसी प्रकार का बदलाव स्वीकार नहीं करेगा।
उन्होंने देश के सामने मौजूद बाह्य सुरक्षा चुनौतियों का जिक्र करते हुए पाकिस्तान और चीन के बीच ‘‘बढ़ते गठजोड़’’ का भी उल्लेख किया और कहा कि इससे क्षेत्रीय सामरिक अस्थिरता का ‘‘सर्वव्यापी खतरा’’ पैदा होता है तथा भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए भी खतरा उत्पन्न करता है ।
जनरल रावत ने कहा, ‘‘पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। पीएलए लद्दाख में भारतीय बलों की मजबूत प्रतिक्रिया के कारण अपने दुस्साहस का अप्रत्याशित परिणाम भुगत रही है। हमारा रुख स्पष्ट है और हम वास्तविक नियंत्रण रेखा में कोई बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘समग्र सुरक्षा स्थिति की बात की जाए, तो सीमा पर झड़पों, अतिक्रमण और बिना उकसावे की सामरिक सैन्य कार्रवाइयों के बड़े संघर्षों में बदलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।’’
सीडीएस ने कहा, ‘‘हमने जिन दो पड़ोसी देशों के साथ युद्ध लड़े हैं और जो परमाणु हथियारों से लैस हैं, वे लगातार मिलकर काम कर रहे हैं। उनके साथ लगातार टकराव से क्षेत्रीय सामरिक अस्थिरता का सर्वव्यापी खतरा पैदा होने और उसके लगातार बढ़ने की आशंका है। इससे हमारी क्षेत्रीय अखंडता और सामरिक सामंजस्य को भी खतरा पैदा होता है।’’
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के ‘‘लगातार छद्म युद्ध’’, सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ ‘‘दुष्ट’’ बयानबाजी और भारत में सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिशों के कारण भारत और पाकिस्तान के संबंध और भी खराब हो गए हैं।
जनरल रावत ने राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय की ओर आयोजित सम्मेलन में कहा, ‘‘उरी हमले और बालाकोट में हवाई हमलों के बाद सर्जिकल हमलों ने कड़ा संदेश दिया है कि पाकिस्तान अब नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों को भेजने के बाद बच नहीं सकता।’’
उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने के भारत के नए तरीके के कारण पाकिस्तान में अस्पष्टता और अनिश्चितता पैदा हो गई है, जो भारतीय सशस्त्र बलों की प्रतिक्रिया को लेकर उसके यहां मीडिया में आ रही खबरों से स्पष्ट है।
जनरल रावत ने कहा कि अपनी आंतरिक समस्याओं, अर्थव्यवस्था के ढहने, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग होने और आम नागरिकों एवं सेना के बीच खराब संबंधों के बावजूद पाकिस्तान लगातार यह दिखाता रहेगा कि कश्मीर उसका ‘‘अधूरा एजेंडा’’ है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना युद्ध लड़ने की अपनी क्षमताओं को बरकरार रखने के लिए धन की आवश्यकता को सही ठहराने के लिए भारत से अपने अस्तित्व को खतरे का हौआ दिखाती रहेगी।
जनरल रावत ने कहा कि पाकिस्तान सशस्त्र इस्लामी कट्टरवाद और आतंकवाद का हमेशा केंद्र रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशक से पाकिस्तान सेना और आईएसआई जम्मू-कश्मीर में छद्म युद्ध छेड़ रहे हैं और अब सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ बयानबाजी करके एवं भारत के भीतर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए बातों को गलत तरीके से साम्प्रदायिक मोड़ देकर दुष्प्रचार करने के तरीके अपना रहे हैं।
जनरल रावत ने थियेटर कमानों के गठन को लेकर जारी काम, आवंटित बजट के सर्वश्रेष्ट प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए खरीदारी प्रकिया में सुधार, प्रशिक्षण एवं साजो-सामाज को लेकर तीनों बलों के बीच एकजुटता सुनिश्चित करने की पहलों समेत कई कदमों के जरिए भारतीय रक्षा बलों में सुधार के लिए विभिन्न पहलों की जानकारी दी।
उन्होंने बदल रही भू-राजनीतिक स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि वैश्विक शक्ति बनने की महत्वाकांक्षा के साथ चीन दक्षिण एशिया, भारतीय हिंद क्षेत्र और बेल्ट एंड रोड पहल के जरिए खासकर पूर्वी अफ्रीका में पहले ही पहुंच बना रहा है।
सीडीएस ने कहा, ‘‘चीन की आकांक्षाएं विदित हैं। वह हिंद प्रशांत में सेना की संख्या बढ़ा रहा है, भारतीय हिंद क्षेत्र के तटों पर बड़े निवेश कर रहा है और दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, पाकिस्तान और आसियान देशों की तरह क्षेत्र में कई देशों के साथ सामरिक साझेदारी कर रहा है।’’
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक मंदी ने चीन को घर पर कमजोर कर दिया है, लेकिन अन्य देशों में इसे आक्रामक बना दिया है, जैसा कि दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में उसके रुख से स्पष्ट है।
जनरल रावत ने कहा कि आगामी वर्षों में चीन अपने हितों को साधने के लिए कमजोर देशों का आर्थिक शोषण करके आक्रामकता का सहारा ले सकता हैं।
उन्होंने आंतरिक चुनौतियों के बारे में कहा कि ‘‘वामपंथी कट्टता’’ और बढ़ते ‘‘शहरी आतंकवाद’’ ने भी भारत की सुरक्षा की स्थिति बिगाड़ने में भूमिका निभाई है।
जनरल रावत ने कहा कि भविष्य में नागरिक-सैन्य एकीकरण, राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर 'संपूर्ण राष्ट्रों' के दृष्टिकोण में अहम रहेगा।
उन्होंने रक्षा क्षेत्र में निर्माण में असैन्य-सैन्य भागीदारी की आवश्यकता की भी बात की। उन्होंने कहा कि चीन बदलती तकनीक के अनुसार अपनी सेना में बदलाव पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
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