उत्तरी डोकलाम में अब भी मौजूद हो सकते हैं चीनी सैनिक, संसदीय समिति की ड्राफ्ट रिपोर्ट लीक
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 11, 2018 08:55 AM2018-08-11T08:55:30+5:302018-08-11T09:11:02+5:30
भारत और चीन के बीच 16 जून 2017 को गतिरोध शुरू हुआ था। चीनी सैनिकों ने डोकलाम में स्थायी निर्माण शुरू कर दिया था जिस पर भारतीय सैनिकों ने आपत्ति जतायी।
भारत और चीन की सीमा की मौजूदा स्थिति पर विचार कर रही संसदीय स्टैंडिंग कमेटी की ड्राफ्ट रिपोर्ट मीडिया में लीक हो गयी है। इस रिपोर्ट में दोनों देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ ही सिक्कम स्थित डोकलाम के हालात पर भी चर्चा है।
इंडियन एक्सप्रेस को मिली ड्राफ्ट रिपोर्ट के अनुसार भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद सुलझने के करीब दो महीने बाद ही तत्कालीन विदेश सचिव एस जयशंकर ने पर्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी को बताया था कि उत्तरी डोकलाम में चीनी सैनिकों मौजूद हो हैं।
एस जयशंकर के बाद विदेश सचिव बने विजय गोखले ने भी संसदीय स्टैंडिंग कमेटी को जानकारी दी कि चीनी सैनिक उत्तरी डोकलाम में मौजूद हैं। चीनी सैनिक जिस इलाके में हैं उसे लेकर उसके और भूटान के बीच विवाद है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार संसदीय स्टैंडिंग कमेटी ने "साइनो-इंडिया रिलेशनशिप इनक्लुडिंग डोकलाम, बॉर्डर सिचुएशन एंड कोऑपरेशन इन इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन" नामक रिपोर्ट का मसविदा तैयार किया है। इस मसविदे में विजय गोखले, एस जयशंकर प्रसाद, रक्षा सचिव संजय मित्रा और पूर्व सैन्य प्रमुख दीपक कपूर के बयान शामिल हैं।
इस संसदीय कमेटी में राहुल गांधी भी सदस्य हैं
रिपोर्ट के अनुसार इस रिपोर्ट का मसविदा कमेटी के सभी सदस्यों को दिया गया था और उस पर गुरुवार (नौ अगस्त) को चर्चा हुई। इस कमेटी की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद शशि थरूर कर रहे हैं।
कमेटी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, वरुण गाँधी, स्वपनदास गुप्ता, रिचर्ड हे, राघव लखनपाल, विष्णु दयला राम, राम स्वरूप शर्मा, शरद त्रिपाठी, चुन्नीभाई गोहिल, सुगत बोस, कनिमोई, मोहम्मद सलीम और सुप्रिया सुले इत्यादि सदस्य शामिल हैं।
भारत और चीन के बीच 16 जून 2017 को गतिरोध शुरू हुआ था। चीनी सैनिकों ने डोकलाम में स्थायी निर्माण शुरू कर दिया था जिस पर भारतीय सैनिकों ने आपत्ति जतायी।
चीन डोकलाम इलाके में युद्ध में इस्तेमाल किए जा सकने वाले भारी सैन्य वाहनों की आवाजाही लायक सड़क बना रहा था।
जिस इलाके में चीन निर्माण कर रहा था वो भूटान के क्षेत्र में स्थित है। विवादित इलाके में निर्माण से भारत की सुरक्षा को लेकर खतरा हो सकता है।
डोकलाम के इलाके में चीन और भारत के बीच किसी तरह का स्थायी निर्माण न करने को लेकर पुरानी सहमति रही है जिसका चीन उल्लंघन कर रहा था।
दो महीने से ज्यादा लम्बे गतिरोध के बाद 28 अगस्त 2017 को दोनों देशों के सैनिक डोकलाम में विवादित स्थल से पीछे हटे।
समझौते के बाद भी पास डटे रहे चीनी सैनिक
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत और चीन ने आपसी सहमति से सैनिकों के पीछे हटने का फैसला किया था लेकिन चीनी सैनिक विवादित स्थल के पास ही बने रहे, खासकर उत्तरी डोकलाम में।
पूर्व विदेश सचिव जयशंकर ने 18 अक्टूबर 2017 को संसदीय कमेटी को सूचना दी कि चीनी सैनिक जिस इलाके में मौजूद हैं वो दरअसल भूटान का इलाका है।
एस जयशंकर ने कमेटी से कहा कि भारत के लिए गतिरोध की जगह अहम थी क्योंकि वहाँ से जामफेरी रिज का रास्ता है और इसीलिए भारत की सुरक्षा की दृष्टि से वो जगह महत्वपूर्ण है।
संसदीय कमेटी ने जब जयशंकर से पूछा कि चीनी सैनिक भूटान की सीमा में हैं या चीनी सीमा में तो इस पर तत्कालीन विदेश सचिव ने जवाब दिया कि उन्हें इसके बारे में जमीनी जानकारी नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 22 फ़रवरी 2018 को मौजूदा विदेश सचिव विजय गोखले ने भी कमेटी के सामने स्पष्ट किया कि उत्तरी डोकलाम में चीनी सैनिक मौजूद हैं।
गोखले ने कमेटी को बताया कि जिस इलाके मं चीनी सैनिक मौजूद हैं उस इलाके को लेकर भूटान और चीन के बीच विवाद है।
गोखले ने कमेटी को बताया कि भारत-चीन सीमा के बड़े इलाके के दोनों तरफ सैनिकों का जमावड़ा हो रहा है।
चीन कई सालों से बना रहा था सड़क
रक्षा सचिव मित्रा ने 30 अक्टूबर 2017 को संसदीय कमेटी को बताया कि चीन ने बटांगला-मेरुगला-सिनचेला रिजलाइन के पास 15 साल पहले सड़क बनानी शुरू की थी।
एस जयशंकर ने भी संसदीय कमेटी को बताया कि चीन ने अचानक ही सड़क नहीं बनायी है।
जयशंकर ने बताया कि चीन ने कई सालों में सड़क बनायी है और अगर उसकी नई गतिविधियाँ जारी रहीं तो यह भारत के हित में नहीं होगा।
कमेटी को बताया गया कि भारत और चीन के बीच 13 दौर की बातचीत के बाद डोकलाम गतिरोध समाप्त हुआ था।
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