बच्चे हमारे अनमोल मानव संसाधन हैं, बच्चों के प्रति यौन हिंसा या उत्पीड़न गंभीर मामला, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-इनका शोषण मानवता और समाज के खिलाफ किया गया अपराध

By भाषा | Published: February 8, 2022 09:55 PM2022-02-08T21:55:36+5:302022-02-08T21:57:03+5:30

न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की।

Children are our precious human resource sexual violence or harassment serious matter Supreme Court exploitation crime against humanity and society | बच्चे हमारे अनमोल मानव संसाधन हैं, बच्चों के प्रति यौन हिंसा या उत्पीड़न गंभीर मामला, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-इनका शोषण मानवता और समाज के खिलाफ किया गया अपराध

आरोपी की उम्र फिलहाल 70-75 साल है और यह भी बताया गया कि वह तपेदिक रोग से पीड़ित है।

Highlightsपांच और छह के तहत एक व्यक्ति को सजा सुनाई थी।आरोपी व्यक्ति पीड़िता का पड़ोसी था और अपराध के समय उसकी उम्र करीब 65 साल थी।लड़की की मासूमियत और कमजोरी का फायदा उठाने के बजाय अकेले होने पर उसकी रक्षा करे।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि बच्चों के प्रति यौन हिंसा या उत्पीड़न के मामलों में बहुत गंभीरता दिखानी चाहिए क्योंकि इनका शोषण मानवता और समाज के खिलाफ किया गया अपराध है। न्यायालय ने साफ किया कि ऐसे मामलों में आरोपी को कानून के अनुरूप सजा देकर एक संदेश देना चाहिए।

न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने चार साल की एक बच्ची के प्रति यौन हिंसा के मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(आई) और यौन अपराध के खिलाफ बच्चों को संरक्षण देने वाले कानून (पोक्सो) की धारा पांच और छह के तहत एक व्यक्ति को सजा सुनाई थी।

पीठ ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति ने पोक्सो कानून के तहत अपराध किए हैं, तो उसके खिलाफ सख्ती दिखानी चाहिए। पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में नरमी नहीं दिखानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी व्यक्ति पीड़िता का पड़ोसी था और अपराध के समय उसकी उम्र करीब 65 साल थी।

अदालत ने कहा कि एक पड़ोसी के रूप में आरोपी का कर्तव्य था कि वह लड़की की मासूमियत और कमजोरी का फायदा उठाने के बजाय अकेले होने पर उसकी रक्षा करे। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जहां विश्वास के साथ विश्वासघात किया गया है और सामाजिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाया गया, इसलिए आरोपी किसी तरह की नरमी का पात्र नहीं हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘बच्चे हमारे देश के अनमोल मानव संसाधन हैं, वह देश का भविष्य हैं, कल की आशा उन पर टिकी हुई है। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश में एक बच्ची बहुत कमजोर स्थिति में है। उसके शोषण के विभिन्न तरीके हैं, जिनमें यौन हिंसा और उत्पीड़न शामिल है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी की उम्र फिलहाल 70-75 साल है और यह भी बताया गया कि वह तपेदिक रोग से पीड़ित है। इसलिए न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा को 15 साल के कठोर कारावास में परिवर्तित कर दिया, लेकिन जुर्माने को बरकरार रखा। 

Web Title: Children are our precious human resource sexual violence or harassment serious matter Supreme Court exploitation crime against humanity and society

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