दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा, 'जज केवल कानून की व्याख्या करते हैं, उसे बनाते नहीं हैं'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 11, 2022 08:11 PM2022-03-11T20:11:59+5:302022-03-11T20:20:09+5:30

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल आगामी 12 मार्च को 62 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हो जाएंगे। विदाई भाषण में बोलते हुए चीफ जस्टिस पटेल ने कहा कि जब भी अपवाद स्वरूप कानून और न्याय के बीच अंतर होता है, तब जजों को न्यायिक सक्रियता निभानी होती है लेकिन यही हर समय की तय भूमिका नहीं हो सकती है।

Chief Justice of Delhi High Court said, judges only interpret the law, not make it | दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा, 'जज केवल कानून की व्याख्या करते हैं, उसे बनाते नहीं हैं'

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल

Highlightsचीफ जस्टिस डीएन पटेल ने कहा कि जज केवल कानून की व्याख्या करते हैंकानून बनाने के लिए संसद है और नीति बनाने के लिए कार्यपालिका हैअगर न्याय और कानून के बीच कोई अंतर है, तो जज का काम है कि वह उस अंतर को भरे

दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने शुक्रवार को कहा कि जज केवल कानून की व्याख्या करते हैं। एक तरह से वह केवल दुभाषिए होते हैं। कानून या नीति बनाने का काम उनका नहीं होता है और उन्हें हर समय न्यायिक सक्रियता और संयम के बीच संतुलन को बनाए रखना चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल आगामी 12 मार्च को 62 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हो जाएंगे। अपने विदाई भाषण में बोलते हुए चीफ जस्टिस पटेल ने कहा कि जब भी अपवाद स्वरूप कानून और न्याय के बीच अंतर होता है, तब न्यायिक सक्रियता निभानी होती है और यही हर समय की भूमिका नहीं हो सकती है।

उन्होंने कहा, "कानून बनाने के लिए संसद है और अगर कानून नहीं है तो उसकी नीति बनाने के लिए कार्यपालिका है। न्यायिक सक्रियता और न्यायिक संयम के बीच संतुलन बनाए रखना होगा।"

चीफ जस्टिस ने आगे कहा, "अगर न्याय और कानून के बीच कोई अंतर है, तो जज को उस अंतर को भरना होगा और इसी को न्यायिक सक्रियता कहते हैं।  यह जरूरी है लेकिन कभी-कभीअपवाद के स्वरूप में लेकिन यह जज की भूमिका नहीं हो सकती है। हम हैं य नहीं हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से यही मानता हूं कि हम कानून के एकमात्र व्याख्याकार हैं।"

चीफ जस्टिस ने कहा कि जजों का पहला काम न्यायिक आदेशों के माध्यम से न्याय प्रदान करना है और "बार और बेंच दोनों के सदस्यों का नागरिकों के प्रति उत्तरदायित्व है और हममें से प्रत्येक कतार में खड़े आखिरी आदमी को भी न्याय देने के लिए संविधान के आदेश से बाध्य हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट की बार बेहतरीन है। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान भी न्यायिक प्रणाली को चालू रखने के लिए दिल्ली कोर्ट के द्वारा लिये गये सभी महत्वपूर्ण प्रयासों को स्वीकार किया।

चीफ जस्टिस डीएन पटेल की विदाई समारोह में जस्टिस विपिन सांघी ने कहा कि यह जस्टिस पटेल का ही विचार था कि दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्चुअल और हाइब्रिड सुनवाई को बढ़ावा दिया, जिसकी अन्य कोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी सराहना की गई। जस्टिस डीएन पटेल को 7 जून 2019 को दिल्ली हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया था।

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में जजों के रिटायर होने की उम्र सीमा 65 वर्ष निर्धारित है, जबकि हाईकोर्ट में जजों के रिटायर होने की आयु 62 वर्ष तय है।

Web Title: Chief Justice of Delhi High Court said, judges only interpret the law, not make it

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