जानिए आखिर कैसे किया जाता है गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि का चयन?
By पल्लवी कुमारी | Published: January 25, 2019 08:22 AM2019-01-25T08:22:10+5:302019-01-25T08:22:10+5:30
26th January Chief Guest: 26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र देश के रूप में बदला और देश में संविधान लागू हुआ। इसी वजह से हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।
गणतंत्र दिवस परेड (Republic Day Parade) में मुख्य अतिथि की यात्रा एक राजकीय यात्रा होती है। ये एक सर्वोच्च सम्मान है, जो हम देश के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए गणतंत्र दिवस परेड को देखने के लिए दूसरे देशों के अतिथि को आमंत्रित कर देते हैं। गणतंत्र दिवस पर आने वाले अतिथि हमारे देश के लिए सम्मानित गेस्ट होते हैं। गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि को राष्ट्रपति भवन में औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। गणतंत्र दिवस के चीफ गेस्ट के लिए भारत के राष्ट्रपति एक स्वागत समारोह करते हैं। जिसमें गणतंत्र दिवस के चीफ गेस्ट को शामिल होना होता है। वे राजघाट पर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं, उनके सम्मान में भव्य डिनर का आयोजन किया जाता है। वहीं, प्रधानमंत्री द्वारा दोपहर का भोजन आयोजित करते हैं।
लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर गणतंत्र दिवस के सम्मानित अतिथि का चयन हमारे देश में कैसे किया जाता है? यानी ये कैसे तय किया जाता है कि गणतंत्र दिवस के चीफ गेस्ट कौन होंगे? ये जानने से पहले की गणतंत्र दिवस के सम्मानित अतिथि का चयन कैसे होता है? आइए ये जानते हैं कि इस साल (2019) में कौन हैं गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट?
इस साल(2019) में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति होंगे गणतंत्र दिवस (Republic Day Chief Guest) पर सम्मानित अतिथि
इस साल 2019 में गणतंत्र दिवस में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सीरिल रामफोसा सम्मानित अतिथि होंगे। राष्ट्रपति सीरिल रामफोसा शुक्रवार(25 जनवरी) से दो दिवसीय भारत दौरे पर रहेंगे।
विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सीरिल रामफोसा के साथ-साथ उनकी पत्नी डॉ. शेपो मोसेपे, नौ मंत्रियों सहित उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल, वरिष्ठ अधिकारी और 50 सदस्यों का व्यावसायिक प्रतिनिधिमंडल भी होगा।
बता दें कि नेल्सन मंडेला के बाद सीरिल रामफोसा दक्षिण अफ्रीका के दूसरे राष्ट्रपति होंगे जो गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि होंगे। देश के राष्ट्रपति के तौर पर रामफोसा की यह पहली भारत यात्रा है। भारत विदेश मंत्रालय के मुताबिक, ''राष्ट्रपति रामफोसा के साथ उनकी पत्नी डॉ. शेपो मोसेपे 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड की सम्मानित अतिथि होंगी।'' प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रपति सीरिल रामफोसा के सम्मान में 25 जनवरी को दोपहर का भोजन आयोजित करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा, ''इस दौरे से भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच संबंधों में और मजबूती आने की उम्मीद है।''
कैसे किया जाता है गणतंत्र दिवस पर सम्मानित अतिथि का चुनाव?
गणतंत्र दिवस के भव्य परेड/ समाहरोह के लिए मुख्य अतिथि कौन होगा, इसका फैसला करने के लिए काफी लंबा विचार-विमर्श किया जाता है। चीफ गेस्ट का चुनाव करते वक्त इस बात को ध्यान में रखा जाता है कि इससे देश के राजनयिक हितों को लाभ मिलेगा या नहीं? केन्द्र सरकार सावधानीपूर्वक विचार के करने के बाद ही किसी देश के प्रमुख (प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति) को अपना निमंत्रण देती है। मुख्य अतिथि के चुनाव की प्रक्रिया गणतंत्र दिवस से लगभग छह महीने पहले शुरू होती है। ऐसे कई मुद्दों पर विदेश मंत्रालय (MEA) विचार करता है, जिनमें भारत और उसके करीबी देश के बीच संबंधों को ध्यान में रखकई कई मुद्दों पर विचार किया जाता है।
विदेश मंत्रालय विचार करते वक्त, राजनीतिक, आर्थिक, और वाणिज्यिक संबंध, सैन्य सहयोग, पड़ोसी देशों के साथ संबंध, क्षेत्रीय समूहों में प्रमुखता, रंगभेद जैसे मसलों पर विचार करने के बाद विदेश मंत्रालय (MEA)अतिथि को निमंत्रण देने के लिए प्रधानमंत्री की मंजूरी लेता है। प्रधानमंत्री की सहमति के बाद राष्ट्रपति भवन की मंजूरी मांगी जाती है। इसके बाद मंजूरी मिलने के बाद जिस देश के व्यक्ति को मुख्य अतिथि के रूप में चुना जाता है, उस देश में भारत के राजदूत अतिथि की उपलब्धता का पता लगाने की कोशिश करने के निर्देश दिए जाते हैं। जब अतिथि की उपलब्धता यानी समय का पता चल जाता है तो विदेश मंत्रालय की तरफ से बातचीत शुरू की जाती है और अतिथि के लिए निमंत्रण भेजा जाता है। गणतंत्र दिवस के लिए मुख्य अतिथि अन्य देशों की रुचि और अतिथि की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है।
इस लंबी प्रक्रिया के बाद विदेश मंत्रालय में क्षेत्रीय विभाजन सार्थक वार्ता और समझौतों की ओर काम करते हैं, जबकि प्रोटोकॉल के तहत सारे इंतजामों पर काम किया जाता है। इसके बाद देश की प्रशासन व्यवस्तथा बताते हैं कि उन्हें अतिथि के पक्ष से अपने समकक्ष को विस्तृत कार्यक्रम के बारे में बताता है, जो गणतंत्र दिवस समारोह के लिए, सैन्य परिशुद्धता के साथ मिनट-दर-मिनट का पालन करना होता है।
क्या कुछ खास है इस बार के गणतंत्र दिवस (Republic Day 2019) समारोह में
- 70 वें गणतंत्र दिवस के 90 मिनट की परेड में निकलेगी 22 झांकियां निकलने वाली है। इस साल के गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राजपथ पर होने वाली परेड के मुख्य आकर्षणों में 58 जनजातीय अतिथि, विभिन्न राज्यों और केंद्र सरकार के विभागों की 22 झाकियां तथा विभिन्न स्कूलों के छात्रों द्वारा दी जाने वाली प्रस्तुतियां होंगी।
- गृह मंत्रालय के एक ज्ञापन में बताया गया कि इस साल के गणतंत्र दिवस के मौके पर विभिन्न राज्यों की झांकियों के साथ सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और विकास पर आधारित केंद्र सरकार के विभागों की झांकियां परेड का हिस्सा होंगी। सांस्कृतिक विषय पर आधारित कुछ झांकियों में लोक नृत्य भी होगा। राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे गए 26 बच्चे भी खुली जीप में बैठकर झांकी का हिस्सा बनेंगे।
- महात्मा गांधी की 'समाधि' को सुरक्षा कवच मुहैया कराने वाले केंद्रीय अर्ध सैनिक बल सीआईएसएफ की झांकी भी इस बार 11 साल के अंतराल के बाद गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा ले रही है। बल की झांकी में महात्मा गांधी की समाधि पर सुरक्षा में तैनात जवानों को दिखाया जाएगा।
- 70 वें गणतंत्र दिवस की परेड में राजपथ पर ऐतिहासिक डेयरडेविल टीम के तहत असम राइफल्स की एक टुकड़ी की अगुवाई में अदम्य नारी शक्ति का प्रदर्शन होगा और एक अकेली महिला अधिकारी बाइक पर स्टंट दिखायेंगी।
क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस?
26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र देश के रूप में बदला और देश में संविधान लागू हुआ। 26 जनवरी 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था। इसी वजह से हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। प्रेस इन्फॉरमेशन ब्यूरो के मुताबिक देश में 26 जनवरी 1950 को सुबह 10.18 बजे भारत एक गणतंत्र बना था। हमारे देश को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी।
26 जनवरी (26th January) का ही दिन क्यों?
26 जनवरी का दिन संविधान लागू करने के लिए इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। यह भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है, अन्य दो स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती हैं।