छत्तीसगढ़: नक्सलियों ने किया सेना की नई भर्ती योजना 'अग्निपथ' का विरोध, फेंका पर्चा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 20, 2022 09:47 PM2022-07-20T21:47:56+5:302022-07-20T21:52:43+5:30
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले सुकमा में नक्सलियों की जगरगुंडा एरिया कमेटी ने सेना की नई भर्ती योजना 'अग्निपथ' का विरोध करते हुए उसके खिलाफ पर्चे फेंके।
सुकमा:छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में से एक सुकमा में माओवादियों ने केंद्रीय रक्षा मंत्रालय की नवीन भर्ती योजना 'अग्निपथ' का विरोध किया है। जानकारी के मुताबिक नक्सलियों ने सुकमा के चिन्तलनार थाना क्षेत्र अंर्तगत जगरगुंडा सड़क मार्ग पर स्थित नरसापुरम गांव के पास 'अग्निपथ योजना' के विरोध में कई जगहों पर सड़क को क्षतिग्रस्त कर दिया और उसे काटकर कर पूरे सड़क मार्ग को अवरूद्ध कर दिया।
खबरों के अनुसार नक्सलियो के जगरगुंडा एरिया कमेटी ने सेना की नई भर्ती योजना का विरोध करते हुए पर्चे भी फेंके। इन पर्चों में कथित तौर पर केंद्र की मोदी सरकार को जन-विरोधी बताते हुए अग्निपथ योजना के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी हैं। इतना ही नहीं पर्चों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुतले को विरोध स्वरूप जलाने की बात भी कही गई है।
इस मामले में जैसे ही ग्रामीणों ने नक्सलियों का पर्चा देखा, उन्होंने फौरन लोकल थाने को खबर दी, जिसके बाद थाने की पुलिस के साथ सीआरपीएफ कोबरा बटालियन के जवान भी मौके पर पहुंचे। इस दौरान सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके की घेरबंदी करके तलाशी अभियान भी शुरू कर दिया लेकिन पर्चे फेकने वाले नक्सली उनकी जद में न आ सके। इस दौरान सड़क निर्माण विभाग के कर्मचारी भी मौके पर पहुंचे क्षतिग्रस्त हुए सड़क की मरम्मत करके उसे यातायात के लिए ठीक कर दिया।
मामले में जानकारी देते हुए सुकमा पुलिस प्रशासन ने कहा कि वो मुखबिरों के माध्यम से इस बात की जानकारी हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं कि पर्चे फेंकने के दौरान क्या नक्सलियों ने गांव वालों से भी मिलने का प्रयास किया। इसके अलावा पुलिस ग्रामीणों से भी लगातार पूछताछ कर रही ताकि पर्चे पेंकने वाले अपराधियों के बारे में पता लगाया जा सके।
मालूम हो कि देश की तीनों सैन्य ईकाईयों के लिए शरू की गई 'अग्निपथ' योजना के तहत जवानों के स्तर पर युवाओं को चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा। वहीं अगर ट्रेनिंग की बात करें तो 'अग्निपथ' के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को केवल तीन महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी और भर्ती होने वाले युवाओं में से 75 फीसदी को चार साल के बाद सेना से बाहर कर दिया जाएगा और बचे हुए केवल 25 फीसदी युवा ही लंबे समय के लिए सेना में सेवाएं दे पाएंगे।