छत्तीसगढ़: CM भूपेश बघेल के खिलाफ जमीन आवंटन में गड़बड़ी को लेकर आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा की 'क्लोजर रिपोर्ट' स्वीकार, जानें क्या है पूरा मामला
By भाषा | Published: October 19, 2019 10:59 AM2019-10-19T10:59:49+5:302019-10-19T11:01:40+5:30
भूपेश बघेल के खिलाफ शिकायत की गई थी वर्ष 1995 में अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान जब वह दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे तब विशेष क्षेत्र प्राधिकरण ने भिलाई क्षेत्र में मानसरोवर आवास योजना के तहत जमीन का आवंटन किया था। इस दौरान बघेल प्राधिकरण के पदेन सदस्य थे।
छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिले की विशेष अदालत ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मामले को लेकर आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा की ‘क्लोजर रिपोर्ट’ को स्वीकार कर लिया है। राज्य की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा में वर्ष 2017 में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष बघेल और उनके परिजनों के खिलाफ आवास योजना में जमीन आवंटन में गड़बड़ी को लेकर मामला दर्ज किया गया था।
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में अदालत में अब क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी है। दुर्ग जिले के लोक अभियोजक सुदर्शन महलवार ने शुक्रवार को बताया कि विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) अजीत कुमार राजभानु ने बृहस्पतिवार को ईओडब्ल्यू को भूपेश बघेल को खिलाफ चल रहे मामले को बंद करने की अनुमति दे दी है।
महलवार ने बताया कि बघेल के खिलाफ जमीन वितरण में किसी तरह की अनियमितता किया जाना साबित नहीं होने पर अदालत ने ईओडब्ल्यू को इस मामले को बंद करने की अनुमति दी है। ईओडब्ल्यू ने वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2017 में ईओडब्ल्यू ने बघेल, उनकी माता और उनकी पत्नी के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
बघेल पर आरोप था कि जब वह विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के पदेन सदस्य थे तब उन्होंने दुर्ग जिले के भिलाई स्थित मानसरोवर हाउसिंग स्कीम में जमीन आवंटन को लेकर अनियमितता की थी। ईओडब्ल्यू ने यह मामला दुर्ग जिले के सांसद और वरिष्ठ भाजपा नेता विजय बघेल तथा अन्य की शिकायत पर दर्ज किया था।
भूपेश बघेल के खिलाफ शिकायत की गई थी वर्ष 1995 में अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान जब वह दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे तब विशेष क्षेत्र प्राधिकरण ने भिलाई क्षेत्र में मानसरोवर आवास योजना के तहत जमीन का आवंटन किया था। इस दौरान बघेल प्राधिकरण के पदेन सदस्य थे।
अधिकारियों ने बताया कि शिकायत के अनुसार भूपेश बघेल ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए नियमों के खिलाफ स्वयं, अपनी माता और अपनी पत्नी के नाम पर जमीनों का आवंटन करा लिया था। जबकि यह जमीन निम्न आय वर्ग के लिए आरक्षित था।
उन्होंने बताया कि शिकायत के बाद ईओडब्ल्यू ने बघेल के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। हांलकि बघेल ने ईओडब्ल्यू में मामला दर्ज होने के बाद इसे बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया था। शासकीय अधिवक्ता महलवार ने बताया कि इस मामले की विस्तृत जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने पिछले महीने अदालत के समक्ष एक क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि बघेल के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है।
इसके बाद अदालत ने इस पर शिकायतकर्ताओं की प्रतिक्रिया मांगी थी। उन्होंने बताया कि मामले की सुनवाई के बाद बृहस्पतिवार को अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली तथा जांच एजेंसी को मामले को बंद करने की अनुमति दे दी।