लाइव न्यूज़ :

छत्रपति शिवाजी जयंती: 15 साल की उम्र में आदिलशाह के 3 किलों पर ऐसे कर लिया था कब्जा

By धीरज पाल | Updated: February 19, 2018 08:44 IST

Chatrapati Shivaji Birth Anniversary 2018: 15 साल की उम्र में शिवाजी ने आदिलशाही के अधिकारियों को रिश्वत देकर तोरना किला, चाकन किला और कोंडन किला को अपने अधीन कर लिया।

Open in App

भारत में एक से बढ़कर एक वीर योद्धा हुए हैं। इन वीर योद्धाओं में छत्रपति शिवाजी एक हैं। शिवाजी माराठा सामाज्य को संस्थापक के रूप में भी जाना जाता है। 19 फरवरी 1630 में शिवाजी का जन्म पुणे के जूनार में शिवनेरी के पहाड़ी किले में हुआ था। उनकी माता का नाम जीजाबाई और उनके पिता का नाम शाह जी भोसलें था। कहा जाता है कि उनकी माता ने उनका नाम शिवाजी, देवी शिवाई के नाम पर रखा था। शिवाजी की देख-रेख माता और उनके गुरु के सानिध्य में हुई। क्योंकि शिवाजी के पिता दक्षिण सल्तनत में बीजापुर सुल्तान आदिल शाह के सेना में सेनाध्यक्ष थे। उन्हें घर आने का कम मौका मिलता था। 

कहते हैं कि शिवाजी का अपनी माता के प्रति गहरा समर्पण भाव था। उनकी माता अत्याधिक धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। घर के धार्मिक माहौल का शिवाजी पर बहुत गहरा असर पड़ा। उन्होंने कम उम्र में ही रामायण और महाभारत का अध्ययन कर लिया। 

जब शाहजी ने शिवाजी और उनकी माता को पूणे में रखा तब उनकी देखरेख की जिम्मेदारी अपने प्रबंधक दादोजी कोंडदेव को दी। दादोजी ने शिवाजी को घुड़सवारी, तीरंदाजी एवं निशानेबाजी की शिक्षा दी। 

15 साल की उम्र में तीन किले को किया अधीन

सन् 1627 ईं में पूरे भारत पर मुगल साम्राज्य का आधिपत्य था। उत्तर में शाह जहां, बिजापुर में सुल्तान मोहम्मद आदिल शाह और गोलकोंडा में सुल्तान अबदुल्ला कुतुब शाह था। उधर डेक्कन के सुल्तान  सेना के लिए हमेशा से मुस्लिम अफसरों को ही प्राथमिकता देते थे। बंदरगाहों पर पुर्तगालियों  का कब्जा था और थल मार्ग पर मुगलों पर अधिकार। इसलिए उत्तरी अफ्रीका और मध्य एशिया से  मुसलमान अधिकारियों को ला पाना मुमकिन नहीं था और डेक्कन के सुल्तानों को हिंदू अधिकारी नियुक्त करने पड़ते थे। 

जब दादोजी का 1647 मौत हो हुआ तब दादोजी ने शिवाजी के पिता से कहा था कि शिवाजी को अपनी जगह दे दें यानी आदिलशाह के यहां सैनिक बन जाएं।  सन् 1646 में हिंदू शासक को हिंदुस्तान मे अपना स्वतंत्रत साम्राज्य स्थापित करने के लिए तीन चीजों का होना जरूरी था। एक कि वो शक्तिशाली साम्राज्यों की केंद्र से दूर हों, जमीन खेती के लिए अनउपयोगी हो और जंगलों से घिरा हुआ हो ताकि गुरिल्ला युद्ध या छापामारी किया जा सके। 

सन् 1646 में शिवाजी ने अपनी सेना स्थानीय किसानों मावली के समर्थन से अपनी सेना का निर्माण किया। उन्होंने अपना स्वतंत्र साम्राज्य स्थापित करने की योजना बनाने में जुटे। उन्हें मालूम था कि किसी भी साम्राज्य को खत्म करने के लिए किलों का कितना महत्व होता है। 15 साल की उम्र में उन्होंने आदिलशाही के अधिकारियों को रिश्वत देकर तोरना किला, चाकन किला और कोंडन किला को अपने अधीन कर लिया। इसके बाद उन्होंने आबाजी सोमदेव के साथ थाणे किला, कल्याण किला और भिमंडी किलों को मुल्ला अहमद से छीनकर अपने अधीन कर लिया। 

शिवाजी के पिता को किया गिरफ्तार

किलों को अपने अधीन करने के बाद पूरे आदिलशाही साम्राज्य में हड़कंप मच गया। इस वजह से आदिलशाह ने उनके पिता को गिरफ्तार कर लिया। जिसकी वजह से शिवाजी ने 7 साल सीधा आक्रमण करना बंद कर दिया। इन सात सालों में शिवाजी ने एक विशाल सेना खड़ी की। इस सेना के घुड़सवार की कमना नेता जी बलकर के हाथों में थी और थल सेना की कमान यशाजी ने। 1657 में शिवाजी के पास कुल 40 किले आ गए थे।  

बीजापुर के सुल्तान के सेनापति अफजल खान के विरुद्ध प्रतापगढ़ के संग्राम ने उन्हें एक महत्वपूर्ण सफलता मिली। इसके बाद वे रातोंरात मराठाओं के नायक बन गए।  इसके बाद उन्होंने बीजापुर के सुल्तान के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ी जैसे की कोल्हापुर की लड़ाई, विशालगढ़ की लड़ाई और अन्य कई लड़ाइयां शामिल है। शिवाजी ने जैसे-जैसे कामयाबी हासिल की, उसी हिसाब से उनके दुश्मन भी बढ़ते गए। मुगल शिवाजी के सबसे बड़े दुश्मन थे, जिनके खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया था।

इसके बाद छत्रपति शिवजी ने औरंगजेब के शासन के दौरान मुगल साम्राज्य को चुनौती दे दी थी। हालांकि सम्राट औरंगजेब ने शिवाजी के अधीन सभी किलों और क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश की, वह शिवाजी के चतुर नेतृत्व के गुणों और गुरिल्ला रणनीति के कारण ज्यादा सफलता हासिल नहीं कर सका। शिवाजी कुछ समय के लिए निष्क्रिय बने रहे; वह सिंहगढ़ की लड़ाई के साथ वर्ष 1670 में उन्होंने फिर मुगलो के खिलाफ परचम लहराया। इस जीत के बाद जल्द ही 6 जून, 1674 को मराठों के राजा के रूप में उनका अभिषेक किया गया था। उनके समर्पित शासन के तहत, छोटे से स्वतंत्र राज्य 'हिंदवी स्वराज' ने उत्तरदक्षिणी भारत से पूर्व तक एक बड़ा राज्य बनने की यात्रा आरंभ की।

लंबी बीमारी के चलते 1680 में शिवाजी ने दम तोड़ दिया और उनके साम्राज्य को उनके बेटे संभाजी ने संभाल लिया। लेकिन इससे सभी भारतीयों के मन पर उनकी छोड़ी छाप को कोई नहीं मिटा पाया। छत्रपति शिवाजी का नाम हमेशा लोकगीत और इतिहास में एक महान राजा के रूप में लिया जायेगा जिसका शासन एक स्वर्ण युग था, जिसने भारत की आजादी का रास्ता साफ करते हुए स्वतंत्रता की राह दिखाई।

टॅग्स :बर्थडे स्पेशल
Open in App

संबंधित खबरें

भारतIndira Gandhi Birth Anniversary 2025: आज है देश की पहली महिला प्रधानमंत्री का जन्मदिन, जानें 19 नवंबर की तारीख भारतीय इतिहास में क्यों खास?

बॉलीवुड चुस्कीShahrukh Khan Birthday: आज हैं शाहरुख खान का बर्थडे, टीवी से शुरु किया करियर और बन गए बॉलीवुड के बादशाह, जानिए

बॉलीवुड चुस्कीShah Rukh Khan’s 60th Birthday: आज 2 नवंबर को 60 साल के हुए शाहरुख खान, फिल्म दीवाना से बॉलीवुड में कदम रखा था...

भारत'उनका जीवन याद दिलाता है विनम्रता और कड़ी मेहनत...', पीएम मोदी ने ‘मिसाइल मैन’ को किया याद

भारतMamata Banerjee Wished Amitabh Bachchan: अमिताभ बच्चन के जन्मदिन पर ममता बनर्जी ने याद किए 1984 के दिन...

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत