चौधरी ने कहा कि यह सरकार ‘कार्पोरेट की है, कार्पोरेट के लिए है और कार्पोरेट के द्वारा है
By भाषा | Published: December 2, 2019 04:26 PM2019-12-02T16:26:53+5:302019-12-02T16:26:53+5:30
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कार्पोरेट कर में कटौती के कदम को निवेश बढ़ने के लिए जरूरी करार देते हुए सोमवार को लोकसभा में कहा कि इससे आर्थिक गतिविधियों बढ़ेंगी, रोजगार के अवसर पैदा होंगे, पूंजी बाजार में धन प्रवाह बढ़ेगा और इससे अर्थव्यवस्थ को मजबूती मिलेगी।
वहीं, विपक्ष ने कहा कि इससे देश का वित्तीय घाटा बढ़ेगा और मुश्किल का सामना कर रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर नहीं लाया जा सकेगा। कार्पोरेट कर में कटौती से जुड़े संशोधन वाले ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक 2019‘ को चर्चा एवं पारित कराने के लिए सदन में रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश में निवेश बढ़ाने के लिए कार्पोरेट में कर में कटौती की गई है। उन्होंने कहा कि एशिया के कई ऐसे देशों में कार्पोरेट कर पहले से अपेक्षाकृत कम हैं जिनकी भारत के साथ आर्थिक प्रतिस्पर्धा है।
निर्मला ने कहा कि कार्पोरेट कर में कटौती से निवेश बढ़ेगा और इससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि कार्पोरेट कर के कटौती का लाभ विनिर्माण क्षेत्र की नयी इकाइयों को मुख्य रूप से होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के इस कदम से पूंजी बाजार में धन का प्रवाह भी बढ़ेगा और इन उपायों से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी । दरअसल, सरकार ने मौजूदा कंपनियों के लिए मूल कार्पोरेट कर की दर को मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत किया है।
इसके साथ ही एक अक्टूबर 2019 के बाद लगने वाली नई विनिर्माण इकाईयों के लिए कर की दर को घटाकर 15 प्रतिशत पर ला दिया। ऐसी इकाइयों को 31 मार्च 2023 को अथवा इससे पहले उत्पादन शुरू करना होगा। विधेयक के संबंध में सांविधिक संकल्प रखने वाले कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह सरकार ‘कार्पोरेट की है, कार्पोरेट के लिए है और कार्पोरेट के द्वारा है।’’ उन्होंने दावा किया कि कार्पोरेट कर में कटौती से सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा जिससे वित्तीय घाटा बढ़ेगा।
Nishikant Dubey, BJP MP in Lok Sabha: GDP 1934 mein aaya issey pehle koi GDP nahi tha...... Keval GDP ko Bible, Ramayan ya Mahabharat maan lena satya nahi hai aur future mein GDP ka koi bahot zyada upyog bhi nahi hoga. pic.twitter.com/MVF4j07KF9
— ANI (@ANI) December 2, 2019
चौधरी ने देश के एक प्रमुख उद्योगपति के बयान का हवाला देते हुए कहा कि सरकार को यह स्वीकार करना चाहिए कि डर का माहौल है। उन्होंने कहा कि जीएसटी दर में कटौती करनी चाहिए और ईमानदार करदाताओं और वेतनभोगी वर्ग को आयकर में राहत देनी चाहिए।
भाजपा के निशिकांत दुबे ने कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि यह दौर सतत आर्थिक कल्याण का है और इस पैमाने पर मोदी सरकार पूरी सफलता से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इस सरकार में आम लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है । उज्ज्वला और स्वच्छ भारत मिशन तथा 2024 तक हर घर जल पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित करना ऐसे काम हैं जो इसे प्रमाणित करते हैं।